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मोबाइल और गैजेट का ज्यादा इस्तेमाल बना रहा बांझपन का शिकार

इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी झारखंड चैप्टर की ओर सोमवार को आयोजन किया गया।

By Edited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 03:04 AM (IST)
मोबाइल और गैजेट का ज्यादा इस्तेमाल बना रहा बांझपन का शिकार
रांची, जासं। इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी झारखंड चैप्टर की ओर सोमवार को रांची के एक होटल में प्रथम वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसी परिपेक्ष में इनफर्टिलिटी की कारगर तकनीक आईयूआई (इंट्रा यूटेरीन इंसेमिनासन) पर कार्यशाला रखी गई थी। कार्यशाला का संचालन आईएफएस के नेशनल जनरल सेक्रेट्री डॉ. पंकज तलवार व डॉ. सुपर्णा बनर्जी ने किया। इस सेमिनार में राज्य की 100 से ज्यादा महिला चिकित्सकों ने हिस्सा लिया और तकनीक की विस्तृत जानकारी ली।
इस दौरान डॉ पंकज तलवार द्वारा पुरुष नि:संतानता के बारे में नए शोधों से अवगत कराया गया। दिल्ली के प्रख्यात पुरुष बाझपन विशेषज्ञ व आईएफएस के महासचिव डॉ. पंकज तलवार ने कहा कि जिम में मसल्स बनाने के लिए जो प्रोटीन लेते हैं उसमें भी कुछ दवाएं ऐसी मिली होती है जो पौरुष ताकत को कम करती हैं। कहा कि आज हर चौथा या पाचवा व्यक्ति किसी न किसी तरह से इंफर्टिलिटी की समस्या का शिकार है और उन्हें डॉक्टर की मदद की जरूरत है।
बताया कि रहन सहन का तरीका, तनाव, मोबाइल फोन का इस्तेमाल, टेलीफोन टॉवर, लैपटॉप, सिगरेट के साथ-साथ डायबिटीज, हायपरटेंशन के चलते पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होता जा रहा है। साफ किया कि भले ही पेपर के अंदर पक्का नहीं कहा जाए कि मोबाइल फोन-लैपटॉप के ज्यादा इस्तेमाल से स्पर्म काउंट कम होता है, लेकिन जो इंडिकेशन आ रहे हैं वो चिंता की बात है। जरुरत है कि अब पुरुषों के इलाज की तकनीक को बढ़ाया जाए और उन्हें इसके प्रति जागरूक किया जाए।
अर्चना ने कहा कि राज्य में बाझपन की समस्या बढ़ी है, लेकिन उसके इलाज की सुविधा सिर्फ शहरों और निजी अस्पतालों में ही है। पुरुषों के बाझपन को दूर करने के लिए बेहद सस्ती तकनीक आईयूआई और आईवीएफ तकनीक से इलाज की सुविधा सरकारी अस्पतालों में होने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि सोसाइटी राजधानी से बाहर के डॉक्टरों को भी बाझपन के इलाज की तकनीक की जानकारी दी जाएगी। ताकि लोगों को बाझपन की समस्या से निदान मिल सके।

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