जमीन खरीदने-बेचने वालों के लिए महत्वपूर्ण खबर... सरकार ने लिया बड़ा फैसला...
Land Record Property Tax JharSewa जमीन के ऑनलाइन रिकार्ड में त्रुटि सुधार के नाम पर वसूली की शिकायतों को दूर करने के लिए अब सभी जमीनों को यूनिक आइडी देने की तैयारी की जा रही है। यहां जमीन के मालिकाना हक में कई रैयतों की जाति ही बदल गई है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Land Record, Property Tax, JharSewa जमीन के ऑनलाइन रिकार्ड में कई त्रुटियां हैं। कई रैयतों की जाति ही बदल गई है। भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने ध्यानाकर्षण सूचना में यह मामला उठाते हुए कहा कि खूंटी, लाेहरदगा सहित पूरे प्रदेश में इस तरह की समस्या है। नीलकंठ का समर्थन करते हुए विधायक कोचे मुंडा ने कहा कि त्रुटि सुधार के नाम पर वसूली हो रही है।
बिना पैसे दिए त्रुटि में सुधार नहीं हो रहा है। अमर कुमार बाउरी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सदन में जमीन की यूनिक आइडी की बात कही थी, लेकिन सरकार एक साथ पूरे राज्य में सर्वे नहीं करा लेती है तो इस तरह की गड़बड़ियां दूर नहीं होंगी। सरकार के जवाब में प्रभारी मंत्री जोबा मांझी ने सदन को आश्वस्त किया कि जो भी त्रुटियां हुई हैं उन्हें माह में एक बार कैंप लगाकर दूर किया जाएगा। उन्होंने दोषी पदाधिकारियों व कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई का भी भरोसा दिलाया।
खतरा अभी टला नहीं है। कोरोना संक्रमण के प्रति सजग रहें। आपकी जागरूकता ही कोरोना से बचाव का बड़ा माध्यम बन सकता है। राज्य सरकार राज्यवासियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को लेकर संवेदनशीलता से कार्य कर रही है। हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री।
लॉकडाउन की तपिश में निखरी हेमंत सोरेन सरकार
लॉकडाउन के एक वर्ष पूरे हुए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में लॉकडाउन की घोषणा के बाद 23 मार्च 2020 को कहा था कि संकल्प, संयम, जिम्मेदारी और जनभागीदारी से मिलकर विपदा का सामना करेंगे। सरकार झारखंडवासियों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगी। 31 मार्च तक संपूर्ण लॉकडाउन रहेगा। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सबकुछ थम गया। आर्थिक गतिविधियां रूक गईं और लोग जहां थे वहीं रह गये। दुकानें, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, फैक्ट्री, साप्ताहिक हाट-बाजार सब बंद हो गए। मुख्यमंत्री लगातार लॉक डाउन के नियमों के पालन का आग्रह राज्यवासियों से करते रहे।
झारखंड वासियों के स्वास्थ्य और आजीविका रही प्राथमिकता
नवगठित सरकार के लिए यह मुश्किल का दौर था। राज्य सरकार ने चुनौतियों को स्वीकारा और उनका निदान भी किया। कोरोना के पैर पसारने से पहले ही सरकार ने 86, 370 करोड़ का बजट पेश किया। कोई भूखा न रहे, कोई लाइलाज न मरे के संकल्प के साथ सरकार ने कोरोना के खिलाफ जंग का आगाज किया। श्रमिकों के लिए बने पहली आवाज 23 मार्च 2020 मुख्यमंत्री केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री से आग्रह किया कि लॉकडाउन में बेरोजगारी भत्ता राशि भारत सरकार द्वारा मजदूरी मद से श्रमिकों के खाते में उपलब्ध कराई जाए, क्योंकि मनरेगा के तहत श्रमिकों को रोजगार नहीं पाने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का प्रविधान है।
झारखंड में रिकवरी रेट राष्ट्रीय औसत से अधिक, मृत्यु दर में राष्ट्रीय औसत से पीछे
इसके बाद से मुख्यमंत्री लगातार श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करते रहे। सरकार ने ग्रामीणों को गांव में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना, पोटो हो खेल विकास योजना के जरिये 25 करोड़ मानव दिवस सृजन करने एवं लाखों श्रमिकों के खाते में 20 हजार करोड़ देने का लक्ष्य तय किया। वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए संक्रमण काल में 913 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया, जो पूर्व की अपेक्षा सबसे अधिक है। इतना ही नहीं श्रमिकों को समय से मजदूरी भुगतान, व्यक्तिगत लाभ की योजना एवं कृषि कार्य से सर्वाधिक योजनाओं को लागू करने में भी झारखंड पूरे देश में अव्वल रहा।
प्रवासी श्रमिकों को लाने की शुरुआत छत्तीसगढ़ से मुख्यमंत्री को जानकारी मिली कि महाराष्ट्र से लौटते समय झारखंड के 50 से अधिक श्रमिक छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में फंस गए हैं। झारखंड लौटने की कोई सुविधा नहीं। भोजन भी नसीब नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से संपर्क साधा और राज्य के श्रमिकों को वापस ले आए। इसके बाद मुख्यमंत्री रुके नहीं। सोशल मीडिया के माध्यम से विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री से आग्रह कर राज्य के श्रमिकों को सुविधा उपलब्ध कराया। झारखंड पूरे देश से प्रवासी श्रमिकों को ट्रेन और हवाई जहाज से वापस झारखंड लाने वाला पहला राज्य बना।
करीब 8.50 से लाख से अधिक श्रमिक, श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लाए गए। 484 श्रमिक सुदूरवर्ती लेह-लद्दाख और अंडमान द्वीप समूह से एयरलिफ्ट हुए। प्रवासी श्रमिकों को आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए विशेष सहायता एप के माध्यम से श्रमिकों को उनके बैंक खाते में 1000 रुपये की आर्थिक मदद भेजी गई। भूख से नहीं हुई किसी की मौत 31 मार्च 2020 मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भूखा न सोये, यह हमारी सरकार की जिम्मेवारी। किसी की मौत भूख से न हो। मुख्यमंत्री ने निर्देश जारी कर दिया था। राज्य से बहार खाद्यान्न नहीं भेजा गया। पीडीएस दुकानों का जिओ टैगिंग करा गरीबों को राशन दिया गया।
संक्रमण काल में राज्य के विभिन्न जिलों में फंसे श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री दीदी किचन एवं मुख्यमंत्री विशेष दीदी किचन के संचालन के लिए 38 करोड़ से अधिक राशि निर्गत हुई। प्रवासी श्रमिकों के लिए 10 किलो चावल चना व अन्य खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गई। लॉकडाउन के दौरान 6 हजार 595 दीदी किचन, 1300 दाल भात केंद्र और 300 से अधिक सामुदायिक किचन के माध्यम से पांच करोड़ से अधिक भोजन की थाली या गरीबों को परोसी गई। कंटेनमेंट जोन में रह रहे लोगों को सरकार द्वारा मुफ्त राशन-मुख्यमंत्री आहार भी पहुंचाया गया। किसानों के लिए आगे आए, महिलाओं के सशक्तिकरण का रखा ध्यान लॉकडाउन में किसान खेतों में काम करने पर पाबंदी थी। इससे उन्हें नुकसान हो रहा था।
मुख्यमंत्री के संज्ञान में बात आते ही उन्होंने निर्देश दिया कि किसानों को उनके खेत में काम करने दें। इसके बाद मुख्यमंत्री ने लगभग 68 उत्पादक समूह के किसानों के उत्पादों को उचित मूल्य पर बाजार उपलब्ध कराने हेतु कदम उठाए। जोहार परियोजना के तहत करीब 133.50 मीट्रिक टन सब्जी की राशि करीब दो करोड़ की बिक्री सुनिश्चित की गई। झारखंड राज्य किसान राहत कोष के तहत 100 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया। एक लाख तक के कृषि ऋण माफी की घोषणा हुई। व्यवस्था हुई सुदृढ़, टीकाकरण जारी तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए राज्य सरकार ने संक्रमण से निपटने के लिए 16 जनवरी 2021 से राज्य भर के प्रथम चरण के तहत फ्रंट लाइन वर्कर के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत की है।
दूसरे चरण का टीकाकरण अभियान जारी है. वर्तमान में बेड बिना आक्सीजन के 12, 358, बेड आक्सीजन के साथ 2021, आइसीयू 577, वेंटिलेटर 642, राज्यस्तरीय वैक्सीन सेंटर 1, रीजनल वैक्सीन सेंटर 3, जिला स्तरीय वैक्सीन सेंटर 24, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वैक्सीन सेंटर 248, कोरोना वैक्सीन के लिए 275 स्टोर की व्यवस्था की गई है. ये है वर्तमान स्थितिवर्तमान परिपेक्ष्य में नजर डालें तो झारखंड में संक्रमण मुक्त होने वाले लोगों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से अधिक है और मृत्यु दर में झारखंड राष्ट्रीय औसत से पीछे है।
कोरोना संक्रमण के मामले में झारखंड का रिकवरी रेट 98.47 प्रतिशत और मृत्यु दर 0.90 प्रतिशत है। 22 मार्च 2021 तक 57,93,621 सैंपल कलेक्ट किए जा चुके हैं और 57,77, 287 की जांच हो चुकी है। कुल पॉजिटिव मामले 1,21,371 हैं। कुल 1,19,478 लोग कोरोना मुक्त हो चुके हैं जबकि वर्तमान में कुल 796 सक्रिय मामले हैं। 1097 लोगों की मौत संक्रमण से हो चुकी है।