झारखंड में 3.90 लाख एकड़ सरकारी भूमि की अवैध जमाबंदी Ranchi News
Jharkhand. राज्य में 26522 मौजों की जमीन की अवैध जमाबंदी हुई है। इनमें बोकारो चतरा गिरिडीह रांची और धनबाद में सर्वाधिक हुए हैं।
रांची, [विनोद श्रीवास्तव]। गैर मजरूआ प्रकृति की 3,89,241 एकड़ सरकारी भूमि पर दशकों से काबिज लोगों की जमाबंदी रद करने में सरकार के हाथ-पांव फूल रहे हैं। तत्कालीन मुख्य सचिव ने 2016 में ही इस प्रकृति की जमीन को चिह्नित करते हुए उसकी जमाबंदी रद करने का आदेश उपायुक्तों को दिया था। इससे इतर तीन वर्ष बाद भी स्थिति यथावत है। उपायुक्तों के स्तर से भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में अवैध जमाबंदी की कुल संख्या 1,91,983 है, जिसका जुड़ाव 26,522 मौजों से है।
सर्वाधिक 50,622 अवैध जमाबंदी बोकारो में हुई है। इस मामले में दूसरा स्थान चतरा का है, जहां अवैध जमाबंदी की कुल संख्या 35,693 है। इसके बाद गिरिडीह, रांची और धनबाद का स्थान आता है, जहां अवैध जमाबंदी की संख्या क्रमश: 22,277, 17,640 और 12,136 है। बताते चलें कि सरकार ने 1961-62 के बाद सरकारी भूमि की हुई जमाबंदी को संदेहास्पद की श्रेणी में रखने तथा जांच के बाद उसकी जमाबंदी रद करने का आदेश दिया था। उपायुक्तों को प्रमंडलीय आयुक्तों के स्तर से संबंधित रिपोर्ट सरकार को मुहैया कराने की बात कही गई थी।
इस आदेश के बाद संबंधित भूमि की रसीद काटने की प्रक्रिया पर रोक दी गई थी। इधर, कैबिनेट की बैठक में संबंधित भूमि का रसीद तबतक काटने का निर्णय लिया गया है, जबतक संबंधित मामलों में अंतिम आदेश नहीं आ जाता। कैबिनेट के इस निर्णय के बाद राज्य में अबतक लगभग 35 हजार रसीद काटे जा चुके हैं। इससे इतर अवैध जमाबंदी के मामले सीओ से लेकर राज्य स्तर तक पर लंबित हैं।
किस जिले में कितनी अवैध जमाबंदी
बोकारो 732, चतरा 1477, दुमका 2940, देवघर 2729, धनबाद 1348, गोड्डा 421, गढ़वा 915, गिरिडीह 2763, गुमला 953, हजारीबाग 1335, जामताड़ा 1158, कोडरमा 698, लोहरदगा 354, पूर्वी सिंहभूम 1516, पश्चिमी सिंहभूम 526, पाकुड़ 1250, पलामू 1310, रांची 1215, रामगढ़ 351, सरायकेला-खरसावां 1223, साहिबगंज 86 तथा सिमडेगा में 454 मौजे ऐसे हैं, जिसकी जमीन की अवैध जमाबंदी की गई है।
किस स्तर पर कितने मामले हैं लंबित
संबंधित प्रकृति की जमीन की अवैध जमाबंदी को रद करने से संबंधित 176563 मामले अंचल, 6107 भूमि सुधार उपसमाहर्ता तथा अनुमंडल पदाधिकारी के स्तर पर लंबित हैं। इससे इतर अपर समाहर्ता के स्तर पर 5360, जबकि प्रमंडलीय आयुक्त और सरकार के स्तर पर ऐसे 46 मामले कार्रवाई के लिए लंबित हैं।
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