चौका थानेदार को रांची का कुख्यात अपराधी बताते हुए मांगी थी फोन टैपिग की अनुमति
रांची राज्य में यह पहली बार है जब एक अधिकारी पर गलत तरीके से फोन टैप करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है। अब तक के अनुसंधान में यह खुलासा हो गया है कि पूर्व की सरकार में हो रही पुलिसिग में कायदे व कानून ताक पर थे। राज्य सरकार के गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग को अंधेरे में रखकर अफसरों ने सभ्य व प्रतिष्ठित लोगों को अपराधी बताते हुए उनके फोन को टैप करने की अनुमति मांगी थी।
रांची : राज्य में यह पहली बार है, जब एक अधिकारी पर गलत तरीके से फोन टैप करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है। अब तक के अनुसंधान में यह खुलासा हो गया है कि पूर्व की सरकार में हो रही पुलिसिग में कायदे व कानून ताक पर थे। बड़े अफसर जो चाहते थे, वही हो रहा था। एक दिन पूर्व डोरंडा थाने में दर्ज विशेष शाखा के इंस्पेक्टर अजय कुमार साहू व अन्य पर प्राथमिकी में कई विशेष जानकारी दी गई है। राज्य सरकार के गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग को अंधेरे में रखकर अफसरों ने सभ्य व प्रतिष्ठित लोगों को अपराधी बताते हुए उनके फोन को टैप करने की अनुमति मांगी थी।
प्रारंभिक अनुसंधान में जानकारी मिली है कि जिन तीन पुलिसकर्मियों-पदाधिकारियों के फोन को टैप किए गए थे, उनमें सरायकेला-खरसांवा जिले के चौका थानेदार रतन कुमार सिंह, विशेष शाखा के सिपाही मोहम्मद इरफान व चुटिया थाने के पदाधिकारी रंजीत सिंह के मोबाइल नंबर शामिल हैं। गृह विभाग से तीनों के बारे में अलग-अलग जानकारी देकर फोन टैप करने की अनुमति ली थी। चौका के थानेदार रतन कुमार सिंह को रांची का कुख्यात अपराधी बताया था, तो विशेष शाखा के सिपाही मोहम्मद इरफान को अवैध पशु तस्करों का सहयोगी बताया था। इतना ही नहीं, चुटिया थाने के पदाधिकारी रंजीत सिंह के मोबाइल धारक की पहचान रौनक कुमार के रूप में करते हुए उसे धनबाद क्षेत्र का गोवंश तस्कर बताया था।
गृह विभाग से अनुमति के लिए भेजे गए अनुरोध पत्र पर तत्कालीन एसपी सीआइडी मनोज रतन चोथे व तकनीकी कोषांग के तत्कालीन डीएसपी विनोद रवानी के हस्ताक्षर हैं।
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एसपी-डीएसपी ने खुद को बताया निर्दोष :
पूर्व मंत्री सरयू राय की शिकायत के बाद डीजीपी के आदेश पर सीआइडी के एडीजी अनिल पाल्टा ने अवैध फोन टैपिग के पूरे मामले की जांच कराई थी। जांच अधिकारी सीआइडी के डीएसपी रंजीत लकड़ा थे। उन्होंने गृह विभाग को भेजे गए अनुरोध पत्र पर तत्कालीन एसपी मनोज रतन चोथे व तत्कालीन डीएसपी विनोद रवानी का हस्ताक्षर मिलने के बाद उनका भी बयान लिया गया। तत्कालीन एसपी व डीएसपी ने खुद को निर्दोष बताया। कहा कि जिन नंबरों को तत्कालीन तकनीकी शाखा प्रभारी पुलिस निरीक्षक अजय कुमार साहू उनके सामने लाते थे, वे आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रेषित करते थे। उनके द्वारा नंबरों का सत्यापन व टैपिग नहीं किया गया।
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प्राथमिकी में आरोपित इंस्पेक्टर अजय कुमार साहू पर आरोप :
सीआइडी की जांच में इंस्पेक्टर अजय कुमार साहू पर इस आरोप की पुष्टि हुई है कि उन्होंने पुलिसकर्मियों के मोबाइल नंबरों के अनुश्रवण के लिए वरीय अधिकारियों को भेजी गई रिपोर्ट में वास्तविक पहचान को छुपाकर गलत तथ्य प्रस्तुत किए। इसके आधार पर फोन टैप किया। इंस्पेक्टर अजय कुमार साहू ने लोकसेवक होते हुए भी वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया, गलत तथ्य के आधार पर रिपोर्ट बनाई, पुलिसकर्मियों के व्यक्तिगत संवादों को बिना किसी आधार के सुनकर उन्हें क्षति पहुंचाई। यह एक अपराध है।
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विशेष शाखा के अवैध दफ्तर का भी हो चुका है खुलासा :
पूर्व मंत्री सरयू राय की शिकायत के बाद जांच में इस बात का भी खुलासा हो चुका है कि मुख्यमंत्री आवास के समीप गोंदा थाने के पीछे विशेष शाखा का अवैध दफ्तर संचालित हो रहा था। इसी तरह फोन टैपिग मामले की जांच में उपरोक्त चौकाने वाला खुलासा हुआ, जिसके बाद फोन टैप करने वाले अधिकारी पर प्राथमिकी दर्ज हुई।
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