घर से निकलते वक्त अगर कोई छींक दे... पंडित जी पूरा घर सर पर उठा लेते हैं
Jharkhand News झारखंड फिल्म एंड थियेटर एकेडमी ने हिंदी हास्य नाटक हाय रे छींक का रांची में मंचन किया। नाटक के संवाद इतने गुदगुदाने वाले हैं कि दर्शक हंसते-हंसते लोटपोट हो जाते हैं। छींक का इतिहास ही कुछ ऐसा रहा है।
रांची, जासं। अनलाॅक में रांची का जनजीवन अब संक्रमण से रक्षा के उपायों के साथ धीरे-धीरे सामान्य होता जा रहा है। अब धीरे-धीरे नाटक और कार्यक्रमों का दौर भी शुरू हो गया है। अंधविश्वास पर आधारित एक नाटक "हाय रे छींक" का मंचन झारखंड फिल्म एंड थियेटर एकेडमी के द्वारा किया गया। इन दिनों कोरोनाकाल में घर हो चाहे बाहर, कहीं भी छींक मारना खतरे से खाली नहीं। लोग संदेह भरी नजरों से देखने लग जाते हैं।
जबकि छींक का इतिहास कुछ ऐसा रहा है कि घर से निकलते वक्त अगर कोई छींक दे तो अशुभ माना जाता है। इस नाटक में पात्र पंडित पंचम मिसिर चाहते हैं कि उनकी आंख खुलने से पहले सुबह में शुभ संदेश वाली क्रियाकलाप हो, जबकि उनका नौकर संपत उनके पास आकर छींक देता है। फिर पंडित जी पूरा घर सर पर उठा लेते हैं।
जबकि पंडिताइन उन्हें खूब समझाने कि कोशिश करती हैं लेकिन पंचम मिसिर उनकी एक नहीं सुनते। नाटक के संवाद इतने गुदगुदाने वाले हैं कि दर्शक हंसते-हंसते लोटपोट हो जाते हैं। नाटक में पंडित के किरदार में ऋषिराज, पंडिताइन प्रीती सिन्हा, संपत शिवशक्ति और देवदीन ग्वाले के किरदार में शिवशक्ति शामिल हुए। इस गुदगुदाते संवादों के साथ प्रस्तुत नाटक के लेखक डा राजकुमार वर्मा हैं। वहीं इस नाटक का निर्देशन राजीव सिन्हा ने किया है। इस नाटक का ऑनलाइन मंचन भी किया गया। इसमें हजारों लोग देश के अलग-अलग कोने से जुटे।