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हजारीबाग का ये स्कूल अपने आप में पूरा इतिहास समेटे हुए हैं, अब बना मॉडल विद्यालय

Hazaribagh News शहर का एतिहासिक जिला स्कूल जिसे स्वतंत्रता सेनानियों का विद्यालय भी कहा जाता है ऐसी ही स्मृतियां अपने आप में समेट हुए है। यहां से एक दो नहीं बल्कि दो दर्जन से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों ने शिक्षा ग्रहण किया।

By Madhukar KumarEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 05:14 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 05:14 PM (IST)
हजारीबाग का ये स्कूल अपने आप में पूरा इतिहास समेटे हुए हैं, अब बना मॉडल विद्यालय
हजारीबाग का ये स्कूल अपने आप में पूरा इतिहास समेटे हुए हैं, अब बना मॉडल विद्यालय

हजारीबाग, जागरण संवाददाता। 1857 की क्रांति में आजादी की मशाल जलाने वालों में हजारीबाग के भी कई लोग शामिल थे। इनमें जय मंडल पांडेय, नादिर अली खां का नाम प्रमुख है जिन्हें पटना में बाबू कुंवर सिंह की सेना में शामिल होने जाने के दौरान चतरा जिला के फांसीहारी तालाब पर हुए अंग्रेजों से मुठभेड़ में पकड़े जाने के बाद अन्य 100 के साथ फांसी पर चढ़ा दिया था। हजारीबाग की एक ऐसी स्थली भी है जहां आजादी के दीवानों ने मशाल जलायी थी।

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एक स्कूल जिसे स्वतंत्रता सेनानियों का विद्यालय कहा जाता है

शहर का एतिहासिक जिला स्कूल जिसे स्वतंत्रता सेनानियों का विद्यालय भी कहा जाता है, ऐसी ही स्मृतियां अपने आप में समेट हुए है। यहां से एक दो नहीं बल्कि दो दर्जन से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों ने शिक्षा ग्रहण किया। देश की आजादी में में अपने प्राण भी न्यौछावर कर दिए। ऐसे और कई गुमनाम भी हैं जो आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, मगर जिन्हें शायद ही कोई जान पाता हो। मगर आज भी उनकी यादें आज भी जिला स्कूल मैदान शिलाट्ट के रूप में मौजूद है । भारत सरकार ने विद्यालय की महत्ता और यहां पढ़ने वाले कुल 27 स्वतंत्रता सेनानियों की पहचान कर आजादी की रजत जयंती वर्ष 1973 में शिलालेख स्थापित कर इसे स्वतंत्रता सेनानियों के विद्यालय के रूप में मान्यता दी थी।

अपने आप में कई इतिहास समेटे हुए है विद्यालय

विद्यालय की स्थापना दस्ताजेजों के अनुसार 1835 में हुआ था और उच्च विद्यालय की स्थापना 1865 में है। विद्यालय की धमक कुछ ऐसी थी कि यहां शिक्षा ग्रहण करने छात्र ओडिशा और बंगाल से आते थे। यहां के प्राचार्य आईसीएस हुआ करते थे। 1905 में बंटवारा के बाद बिहार के छात्र भी यहां पढ़ने आते रहे। जिला स्कूल में पढ़ाई का मानक क्या होगा इस बात से तय किया जा सकता है, कि यहां प्राचार्य भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हुआ करते थे और प्राचार्य के पद से प्रोन्नत होने पर वे सीधे आयुक्त बनते थे। 20 एकड़ में आज भी विद्यालय कायम है। इसके अलावा इसकी जमीन पर राजकीय बीएड कालेज तीन एकड़ में, पुलिस नियंत्रण कक्ष तथा संस्कृत उच्च विद्यालय संचालित है।

कई महान लोगों ने की है यहां से पढ़ाई

बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी केबी सहाय भी थे, यहां के छात्रजिला ने गुलाम भारत में कई स्वतंत्रता सेनानी और आजादी के बाद आईएएस, विधायक, सांसद व पार्षद दिए । इनमें एक प्रसिद्ध राजनीतिक केबी सहाय भी थे जो 1965 में बिहार के मुख्यमंत्री बने । आज भी देश विदेश में यहां के छात्र अपना परचम लहरा रहे है।शिलापट में शामिल हैं इन स्वतंत्रता सेनानियों के नामकर्मवीर सिंह , मदन लाल शर्मा, सुनील कुमार मल्लिक, श्रीधर नारायण लाल, सीताराम अग्रवाल, घनश्याम राम, कस्तूर मल अग्रवाल, सरस्वती देवी, भैया राम शरण लाल, राम प्रकाश लाल, गोविंद साहू, चौधरी शिवनंदन प्रसाद, मो. अब्दूल गफ्फूर, छेदी लाल जैन, श्यामलाल भारती, जानकी महतो, बाली महतो, केदान नाथ सिन्हा, शिव मंगल प्रसाद, डा. त्रिवेणी प्रसाद, राधा गोविंद प्रसाद, मो. अब्दूल हई, भैया द्वारिका नाथ सहाय, मो. सालेह, बालमुकूंद सहाय व रुपू महतो का नाम अंकित है।


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