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दिल्‍ली से मुक्‍त कराई गई झारखंड की 26 लड़कियां, रिश्‍तेदारों ने ही बेच दिया था; जानें इनकी जुल्‍म की दास्‍तान

Human Trafficking Jharkhand News मुक्‍त कराई गई लड़कियों ने बताया कि उन्‍हें मारते-पीटते और पैसे भी नहीं देते थे। इनमें साहिबगंज के 10 गुमला के आठ पश्चिम सिंहभूम के पांच सिमडेगा बोकारो एवं धनबाद के एक-एक बच्चे हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 10 Jul 2021 01:34 PM (IST)Updated: Sat, 10 Jul 2021 02:47 PM (IST)
Human Trafficking Jharkhand News रांची रेलवे स्‍टेशन पहुंची सभी लड़कियां।

रांची, जासं। नजदीक के रिश्तेदार ही हमें बहला-फुसलाकर दिल्ली ले गए। वहां पर घरों में दाई के काम में लगा दिया। जहां काम कर रहे थे, वहां हमें तरह-तरह से प्रताड़‍ित किया जाता था। मारते-पीटते थे, शारीरिक शोषण किया जा रहा था। पैसा भी नहीं मिलता था। दिल्ली से मुक्त होने के बाद शुक्रवार को रांची लाए गए 26 बालक-बालिकाओं ने अपनी पीड़ा बताई। इनमें से एक बच्ची ने बताया कि अपने घर वापस आकर बहुत खुशी हो रही है। मुझे गांव की एक दीदी ने चार साल पूर्व दिल्ली में ले जाकर बेच दिया था।

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उम्मीद छोड़ दी थी कि कभी अपने परिवार से मिल पाऊंगी। अपने परिवार से मिलने की खुशी मैं बयान नहीं कर सकती। एक दूसरी लड़की ने बताया कि रिश्ते के चाचा ने ही उसे दिल्ली में लाकर एक घर में आया के काम में लगा दिया। वहां ठीक से खाना भी नहीं मिलता था, मारपीट होती थी वो अलग। कोई मेहनताना भी नहीं मिलता था। अब घर आने की खुशी बयान नहीं कर सकती। दरअसल, एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र ने इन बच्चों को दिल्ली के विभिन्न स्थानों से मुक्त कराया था। शुक्रवार को रांची लाकर बाल कल्याण समिति में इन्हें प्रस्तुत किया गया।

जो बच्चे रांची लाए गए, उनमें साहिबगंज के 10, गुमला के आठ, पश्चिम सिंहभूम के पांच, सिमडेगा, बोकारो एवं धनबाद के एक-एक शामिल हैं। रांची रेलवे स्टेशन पर इन बच्चों को रिसीव करने के लिए बाल कल्याण संघ के सचिव संजय कुमार मिश्र, बाल कल्याण समिति की रूपा वर्मा के अलावा पुलिस पदाधिकारी पहुंचे। सभी बच्चों का कोरोना टेस्ट किया गया। कुछ को बाल कल्याण समिति में प्रस्तुत करने के बाद उनके गृह जिला भेज दिया गया। वहीं कुछ को बाल आश्रय में भेजा गया। कार्यक्रम समन्वयक सुनील कुमार गुप्ता, निर्मला खलखो एवं राज्य द्वारा भेजे गए अशोक नायक, ओमप्रकाश तिवारी, अमोल टीम में शामिल थे।

मुआवजे के रूप में एक लाख 19 हजार दिलवाए

सभी को काम के बदले में कंपनसेशन के रूप में 1,19,000 रुपये दिलवाए गए। बाकी बालिकाओं की बकाया मजदूरी दिलाने के लिए भी कार्रवाई की जा रही है। पूरी प्रक्रिया एवं बच्चों के एस्कॉर्ट करने में महिला विकास समिति, बाल कल्याण संघ, एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र एवं राज्य संसाधन केंद्र रांची का अहम योगदान रहा। बता दें कि एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र नई दिल्ली एवं राज्य संसाधन केंद्र का संचालन बाल कल्याण संघ रांची द्वारा किया जा रहा है।

दिल्ली पुलिस का रहा योगदान

बच्चों ने परेशान होकर एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र द्वारा संचालित निश्शुल्क हेल्पलाइन नंबर 10582 पर कॉल किया था। इस केंद्र एवं दिल्ली पुलिस के सहयोग से इन बालक-बालिकाओं को मुक्त करा कर दिल्ली में संचालित बालगृहों में रखा गया था। सभी बालक-बालिकाओं की काउंसलिंग करने के पश्चात उनके घर के सत्यापन हेतु जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी से समन्वय स्थापित किया गया।


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