अधिकारियों की इच्छा शक्ति की कमी से गुटखा पर प्रतिबंध की नीति हुई फेल : हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने गुटखा और पान मसाले की खुलेआम बिक्री होने पर एक बार फिर नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि सरकार ने गुटखा और पान मसालों पर प्रतिबंध लगा कर अच्छी नीति बनाई। लेकिन अधिकारियों की इच्छा शक्ति की कमी के कारण यह नीति फेल हो गई है।
रांची(राज्य ब्यूरो)। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में राज्य में गुटखा प्रतिबंधित होने के बाद भी बिक्री को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने गुटखा और पान मसाले की खुलेआम बिक्री होने पर एक बार फिर नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि सरकार ने गुटखा और पान मसालों पर प्रतिबंध लगा कर अच्छी नीति बनाई। लेकिन अधिकारियों की इच्छा शक्ति की कमी के कारण यह नीति फेल हो गई है।
अदालत ने कहा कि गुटखा को एंट्री प्वाइंट पर ही बैन लगाना चाहिए और वहां से प्रवेश करने पर दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। यह लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है, ऐसे में हाई कोर्ट इस पर रोक लगाने के लिए किसी भी हद तक जाएगा। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार और फूड स्टैंडर्ड सेफ्टी आफ इंडिया( एफएसएसआइ ) को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया और मामले में प्रगति रिपोर्ट सरकार से तलब की है। मामले में अगली सुनवाई 15 जनवरी को निर्धारित है। सरकार के जवाब पर कोर्ट ने कहा कि राज्य में बगैर निकोटीन पान मसाला की बिक्री पर बैन नहीं है। लोग अलग से प्लेन पान मसाला खरीदते हैं और निकोटीन मिलाकर खाते हैं। उसे रोकने के लिए राज्य सरकार क्या करेगी, यह भी बताया जाना आवश्यक है।
सुनवाई के दौरान राज्य के स्वास्थ्य सचिव भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से अदालत में हाजिर थे। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य में कई पान मसालों और गुटखा पर प्रतिबंध लगाया गया है। पूरे राज्य में अभियान चलाकर इसकी बिक्री करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
जागरूकता के लिए लें झालसा की मदद
सरकार के जवाब पर कोर्ट ने कहा कि सरकार के प्रयास को हम नकार नहीं सकते, लेकिन इसे पर्याप्त भी नहीं माना जा सकता है। सरकार को इसके लिए और प्रयास करने होंगे। इसके लिए लोगों को जागरूक भी करना होगा। सरकार लोगों को जागरूक करने के लिए झालसा की मदद ले सकती है। झालसा भी लोगों को जागरूक करेगा और आवश्यक कदम उठाएगा। अदालत ने कहा कि सिगरेट और शराब भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। लेकिन गुटखा इनसे ज्यादा हानिकारक होता है। इसलिए सरकार को अपनी नीति को सफल बनाने के लिए गंभीरता से काम करना होगा।
इसलिए गुटखा मंगाकर दिखाया था
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने स्वास्थ्य सचिव से कहा कि सरकार बार- बार दावा कर रही है कि प्रतिबंध के बाद से राज्य में गुटखा की बिक्री नहीं हो रही है। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। पिछली बार हमने बाजार से गुटखा मंगाया था और महाधिवक्ता को बताया था कि सरकार का इसको लेकर और प्रयास करने की जरूरत है।