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राज्य सरकार ने कांवर यात्रा पर खड़े किए हाथ, 200 साल में पहली बार ग्रहण

पिछले 200 साल से बाबाधाम देवघर में श्रावणी मेले का आयोजन होता आया है कावरिये भोला बाबा पर जलाभिषेक करते रहे हैं। लेकिन इस बार इस पर ग्रहण लग गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 01:17 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 01:17 AM (IST)
राज्य सरकार ने कांवर यात्रा पर खड़े किए हाथ, 200 साल में पहली बार ग्रहण
राज्य सरकार ने कांवर यात्रा पर खड़े किए हाथ, 200 साल में पहली बार ग्रहण

राज्य ब्यूरो, रांची : पिछले 200 साल से बाबाधाम देवघर में श्रावणी मेले का आयोजन होता आया है, कावरिये भोला बाबा पर जलाभिषेक करते रहे हैं। लेकिन इस बार इस पर ग्रहण लग गया है। राज्य सरकार ने कावर यात्रा निकालने पर हाथ खड़े कर दिए हैं और कहा है कि इससे कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा है। इधर हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए बिहार सरकार ने श्रावणी मेले के आयोजन को झारखंड सरकार का मामला बताया। वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कुछ शर्तो के कावर यात्रा की अनुमति दी जा सकती है। बहरहाल हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में अदालत अब तीन जुलाई को फैसला सुनाएगी।

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मंगलवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि फिलहाल राज्य में कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम हुई है। सावन में देवघर मंदिर खोले जाने और कावर यात्रा शुरू करने पर लाखों की भीड़ जमा होगी। इससे कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है। राज्य में लॉकडाउन की अवधि 31 जुलाई तक बढ़ा दी गई है, जिसमें धाíमक स्थल खोलने, मेले और सामाजिक आयोजन पर रोक जारी है। ऐसे में कावर यात्रा की अनुमति नहीं दी सकती।

इस बीच प्रार्थी निशिकात दुबे की ओर से अधिवक्ता रवि प्रकाश मिश्रा व खुशबू कटारूका मोदी ने अदालत को बताया कि कोरोना काल में रेल व बस की सेवा बंद होने से श्रावणी मेले में ज्यादा भीड़ नहीं होगी। मंदिर में जाने से पहले लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा सकती है। सिर्फ 10 से 15 लोगों को ही मंदिर में दर्शन करने की अनुमति दी जा सकती है। कहा गया कि श्रावणी मेले का आयोजन आज तक रोका नहीं गया है। पहले भी देश में प्लेग और कॉलरा जैसी महामारी के दौरान भी श्रावणी मेले का आयोजन हुआ था। बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तो के साथ पुरी की रथयात्रा को जारी रखने का आदेश दिया था। कुछ शर्तो के साथ श्रावणी मेले का भी आयोजन किया जा सकता है। वहीं, बिहार सरकार का कहना था कि यह मामला पूरी तरह से झारखंड सरकार का है, इसलिए राज्य सरकार ही इसके आयोजन पर निर्णय ले सकती है। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। बता दें कि सांसद निशिकांत दुबे ने कांवर यात्रा, ंवैद्यनाथ धाम व बासुकीनाथ मंदिर खोले जाने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।


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