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Judge Uttam Anand Murder Case: जज हत्याकांड में हाई कोर्ट की टिप्पणी, अब तक की सीबीआइ जांच से अदालत का हिल गया है विश्वास

Judge Uttam Anand Murder Case हाई कोर्ट ने धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड में सीबीआइ की जांच रिपोर्ट से नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि भले ही सीबीआइ इस मामले के खुलासे को लेकर आश्वस्त हो लेकिन अब तक की जांच से अदालत का विश्वास हिल गया है।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Sat, 20 Nov 2021 06:46 PM (IST)Updated: Sat, 20 Nov 2021 06:46 PM (IST)
Judge Uttam Anand Murder Case: जज हत्याकांड में हाई कोर्ट की टिप्पणी, अब तक की सीबीआइ जांच से अदालत का हिल गया है विश्वास
झारखंड हाई कोर्ट ने धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में सीबीआइ की जांच रिपोर्ट से नाराजगी जताई है।

रांची, राब्यू ।  झारखंड हाई कोर्ट ने धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में सीबीआइ की जांच रिपोर्ट से नाराजगी जताते हुए एक बार फिर टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि भले ही सीबीआइ इस मामले के खुलासे को लेकर आश्वस्त हो, लेकिन अब तक की जांच से अदालत का विश्वास हिल गया है। फिलहाल अदालत देखना चाहेगी कि सीबीआइ की आगे की जांच में क्या समाने आता है। इसके बाद अदालत ने सीबीआइ को अगले सप्ताह इस मामले की जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

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सुनवाई के दौरान सीबीआइ की ओर से कहा गया कि इस मामले में जांच अभी जारी है और कभी-कभी बड़े षडयंत्र का खुलासा करने में समय लगता है। सीबीआइ नए तरीके से हर पहलू की जांच कर रही और उम्मीद है कि जल्द खुलासा होगा। सीबीआइ ने कहा कि इस मामले में शामिल दोनों आरोपितों के खिलाफ गवाह और पर्याप्त सबूत होने के बाद ही निचली अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई है।

दोनों इससे पहले भी कई अपराध की घटनाओं में शामिल रहे हैं, जो आइपीसी की धारा 302 के तहत सजा दिलाने के लिए काफी है। इस पर अदालत ने कहा कि बिना किसी मोटिव, षडयंत्र और दुश्मनी के ही जज की हत्या कैसे हो सकती है। ऐसे में निचली अदालत में आइपीसी की धारा 302 के तहत सजा दिलाना संभव नहीं होगा। सीबीआइ द्वारा जांच जारी रहने की बात पर कोर्ट ने कहा कि आप (सीबीआइ) अभियोजन की तरह सोच रहे है। जबकि कोर्ट यह सोच रहा है कि निचली अदालत में सुनवाई के दौरान जज के दिमाग में मामले के फैक्ट को लेकर क्या-क्या सवाल उठेगा। क्योंकि अंत में जज को ही इस मामले में फैसला देना है।

कहीं मिस्ट्री अनएक्सप्लेन न बन जाए

सीबीआइ की ओर से कहा गया कि समयावधि को देखते हुए अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई, ताकि आरोपितों से पूछताछ किया जा सके। इस पर अदालत ने कहा कि कोर्ट ने पहले ही आगाह किया था कि इस मामले में समय बहुत महत्वपूर्ण है। समय बीतने पर यह मर्डर मिस्ट्री बन जाएगा। लेकिन डर है कि कहीं यह मामला मिस्ट्री अनएक्सप्लेन न बन जाए।


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