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हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछा, किसके आदेश से बंगले में शिफ्ट हुए लालू

लालू को रिम्स के पेइंग वार्ड से निदेशक बंगला भेजने पर अदालत सख्त

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 01:14 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 01:14 AM (IST)
हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछा, किसके आदेश से बंगले में शिफ्ट हुए लालू
हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछा, किसके आदेश से बंगले में शिफ्ट हुए लालू

राज्य ब्यूरो, रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत में शुक्रवार को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के जुड़े मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने सजायाफ्ता लालू प्रसाद को दी गई विशेष सुविधा और छूट के बारे में झारखंड सरकार से जवाब तलब किया। उधर चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे लालू प्रसाद को रिम्स से जेल शिफ्ट करने के लिए दाखिल जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। दोनों ही मामलों में अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। जनहित याचिकाओं के मामले में अदालत ने सरकार से प्रार्थियों के सभी आरोपों का जवाब आठ जनवरी तक देने का निर्देश दिया है। इसको लेकर हाई कोर्ट में तीन जनहित याचिकाएं दाखिल की गई हैं।

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उधर जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने लालू पर सरकार की मेहरबानी के संबंध में पूछा कि लालू प्रसाद को रिम्स के पेइंग वार्ड से रिम्स के निदेशक बंगले में किसके आदेश से शिफ्ट किया गया था और बाद में अब फिर वहां से पेइंग वार्ड में किसके आदेश से लाया गया है। अदालत ने कैदियों से मुलाकात और उनकी सुरक्षा के लिए सरकार की एसओपी (स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिड्योर) की भी विस्तृत जानकारी मांगी।

इस मामले में सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने कोर्ट के बताया कि कैदियों के मिलने और उनकी सुरक्षा को लेकर एक एसओपी बनाया गया है। इसी के तहत कैदियों को सुरक्षा और लोगों को कैदियों से मिलने की सुविधा दी जाती है। अगर लालू प्रसाद से किसी को मिलना है तो उन्हें 15 दिन पहले आवेदन देना पड़ता है। जेल अथॉरिटी के आदेश के बाद लालू की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी उनसे मिलने देते हैं।

इस दौरान अदालत ने पूछा कि उन्हें रिम्स निदेशक के बंगले में किसके आदेश से रखा गया और फिर पेइंग वार्ड में किसके आदेश से शिफ्ट किया गया।

अदालत ने यह भी जानना चाहा कि अगर कैदी से बाहरी लोग मिलते हैं तो इसके लिए कौन लोग जिम्मेवार होंगे। इस पर अपर महाधिवक्ता की ओर से पूरी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय की मांग की गई। अदालत ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की है। इस दौरान सीबीआइ की ओर से लालू प्रसाद के मोबाइल विवाद में प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही गई, लेकिन अदालत ने कहा कि यह दूसरा मामला है, जिसकी अभी सुनवाई नहीं की जा सकती।


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