हेमंत सोरेन के दो फैसलों पर झामुमो में घमासान, पूर्व विधायक ने दी पार्टी छोड़ने की धमकी
Jharkhand Language dispute हेमंत सोरेन सरकार के दो महत्वपूर्ण फैसलों का उनकी पार्टी झामुमो के भीतर ही विरोध शुरू हो गया है। उनकी पार्टी के मंत्री और पूर्व विधायक सरकार को चेतावनी देते नजर आ रहे हैं। पूर्व विधायक ने तो पार्टी तक छोड़ने की धमकी दे दी है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा में इस समय राजनीतिक घमासान का दौर जारी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार के कुछ फैसलों से उनकी ही पार्टी के पूर्व विधायक और नेता-कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैं। इसका खुलासा भी गुरुवार को भी हो गया है।
सिल्ली विधानसभा क्षेत्र के विधायक रह चुके अमित
सिल्ली विधानसभा क्षेत्र से सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक रह चुके अमित महतो ने हेमंत सोरेन की सरकार के फैसले से नाराजगी जताते हुए पार्टी छोड़ देने की धमकी दी है। इस आश्य का एक tweet और उसका स्क्रीन शॉट इस समय सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है।
इसलिए पूर्व विधायक ने दी पार्टी छोड़ने की धमकी
झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक रह चुके अमित महतो ने अपनी ही सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन से मांग की है कि खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति लागू करें। इतना ही नहीं भोजपुरी, मगही, अंगिका को क्षेत्रीय भाषा की सूची से तत्काल हटाने की पहल करें। ऐसा नहीं करने पर वह पार्टी से इस्तीफा दे देंगे।
अमित महतो ने 20 फरवरी तक की दी मोहलत
पूर्व विधायक अमित महतो ने लिखा है- अगर एक महीने के अंदर हेमंत सरकार पुनर्विचार कर खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति नहीं बनाती है और बाहरी भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा की सूची से नहीं हटाती है तो 20 फरवरी 2022 को झारखंड मुक्ति मोर्चा से इस्तीफा दे दूंगा।
सरकार के इन दो फैसलों का कर रहे विरोध
मालूम हो कि झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा में भितरखाने इन दोनों मांगों को लेकर दबाव बढ़ रहा है। झामुमो के कार्यकर्ता और कई नेता खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति लागू करने का दबाव बना रहे हैं। इसके अलावा भोजपुरी, मगही, अंगिका को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने का दबाव अपनी सरकार पर बना रहे हैं।
पार्टी के भीतर शुरू हो गई हैं तरह तरह की चर्चाएं
पूर्व विधायक अमित महतो के पार्टी छोड़ने की धमकी के बाद अब संभावना है कि कई अन्य झामुमो नेता भी खुलकर बयान दे सकते हैं। अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर इन मांगों को लागू करने के लिए दबाव बना सकते हैं। अमित महतो के बयान के बाद पार्टी के भीतर चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं।
अमित महतो को मनाने की हो सकती कवायद
यह भी संभावना जताई जा रही है कि अगर पूर्व विधायक अमित महतो पार्टी छोड़ते हैं तो कई अन्य झामुमो कार्यकर्ता भी उनके साथ पार्टी छोड़ सकते हैं। वैसे पार्टी के भीतर चर्चा चल रही कि वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक अमित महतो को बहुत जल्द मना लेंगे, ताकि सरकार की बदनामी नहीं हो।
शिक्षा मंत्री भी कर चुके हैं इस फैसले का विरोध
मालूम हो कि शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस बारे में पत्र लिख चुके हैं। बोकारो और धनबाद में स्थानीय भाषाओं में भोजपुरी और मगही को जगह देने पर आपत्ति जता चुके हैं। शिक्षा मंत्री ने इसे हटाने का आग्रह किया है। मंत्री ने चेतावनी दी है कि ऐसा नहीं होने पर कई जिलों में आंदोलन शुरू हो सकता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कुछ अग्रिम संगठन भी खुला विरोध कर रहे हैं। कई विधायक भी इसके पक्ष में हैं।
दैनिक जागरण से बोले पूर्व विधायक अमित महतो
दैनिक जागरण से पूर्व विधायक अमित महतो ने बातचीत में कहा कि अगर लागू नहीं हुआ 1932 का खतियान और क्षेत्रीय भाषाओं से नहीं हटाया गया भोजपुरी, मगही आदि भाषाओं को तो झामुमो और कांग्रेस नेताओं का विरोध आरंभ होगा। राजनीतिक भविष्य की चिंता नहीं है, झारखंडी हितों की लड़ाई लड़नी है। यह भी कहा कि झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन अगर स्वस्थ रहते तो ये मसले अधर में नहीं लटकते। संगठन के भीतर कई बार उठाए ये मुद्दे, लेकिन ढुलमुल रवैया है, जो बर्दाश्त नहीं होगा...। झारखंड मुक्ति मोर्चा को अपनी विचारधारा को छोड़ना नहीं चाहिए, ये आवश्यक मुद्दे हैं। अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटेंगे, अमल नहीं हुआ तो पार्टी छोड़ देंगे...।