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झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार अब खुद शराब बेचने की कर रही तैयारी, सौंप दी गई रिपोर्ट

Jharkhand News झारखंड सरकार (Jharkhand Government) प्रदेश में शराब (Liquor) की बिक्री में फिर से पुरानी नीति पर अमल करने की ओर आगे बढ़ रही है। शराब की बिक्री (Liquor Sale) और वितरण में झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (Jharkhand State Beverages Corporation Limited) (जेएसबीसीएल) शामिल हो सकती है।

By Sanjay KumarEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 07:34 AM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 06:54 AM (IST)
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार अब खुद शराब बेचने की कर रही तैयारी, सौंप दी गई रिपोर्ट
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार अब खुद शराब बेचने की कर रही तैयारी

रांची, (राज्य ब्यूरो)। Jharkhand News : झारखंड सरकार (Jharkhand Government) प्रदेश में शराब (Liquor) की बिक्री में फिर से पुरानी नीति पर अमल करने की ओर आगे बढ़ रही है। इसमें शराब की बिक्री (Liquor Sale) और वितरण में झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (Jharkhand State Beverages Corporation Limited) (जेएसबीसीएल) शामिल हो सकती है। पूर्व में बिवरेज कारपोरेशन (Beverages Corporation) का एकाधिकार खत्म करते हुए झारखंड सरकार ने नई नीति (New Policy) लागू की थी। इसमें जिलावार एजेंसियों का चयन करते हुए वितरण का अधिकार दिया गया था।

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उच्चस्तरीय दल ने इस नीति का अध्ययन कर सौंप दी है रिपोर्ट

अधिकारियों के मुताबिक इससे राजस्व की क्षति हो रही थी, इसे देखते हुए सरकार ने छत्तीसगढ़ माडल को अंगीकार करने का निर्णय किया है। झारखंड सरकार के निर्देश पर अधिकारियों के एक उच्चस्तरीय दल ने इस नीति का अध्ययन कर रिपोर्ट सौंप दी है। 

नई नीति लागू किए जाने की संभावना प्रबल

इसके पहले राज्य सरकार देसी और विदेशी शराब का व्यापार वर्ष 2010 में गठित बिवरेज कारपोरेशन के माध्यम से करती थी। इसके अलावा शराब की खुदरा दुकानों का संचालन भी कारपोरेशन के जरिए होता था। राजस्व में कमी की बात करते हुए उत्पाद विभाग ने नियमावली में बदलाव करते हुए निजी कंपनियों और व्यापारियों के लिए दरवाजा खोला था। अब इस नीति में भी बदलाव संभावित है। नई उत्पाद नीति लागू करने के पूर्व राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ की नीति का अध्ययन करने के लिए एक उच्चस्तरीय अध्ययन दल छत्तीसगढ़ भेजा था। इस टीम ने झारखंड सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस परिप्रेक्ष्य में नई नीति लागू किए जाने की संभावना प्रबल हो गई है।

क्या है छत्तीसगढ़ का उत्पाद माडल

छत्तीसगढ़ में शराब का व्यापार छत्तीसगढ़ सरकार के स्तर से संचालित किया जाता है। शराब के थोक और खुदरा वितरण व्यापार पर सरकार का सीधा नियंत्रण है। निजी कंपनियों और व्यापारियों को वितरण व्यवस्था में शामिल नहीं किया गया है। राज्य में यह व्यवस्था पूर्व में की लागू की गई थी।

घाटे का सौदा भी बन सकता है यह माडल

सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017 में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड में शराब बिक्री का जिम्मा अपने हाथों में लिया था। जबरदस्त राजस्व क्षति के कारण वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस फैसले को वापस लेना पड़ा। वित्तीय वर्ष 2017-18 में जब तत्कालीन सरकार ने छत्तीसगढ़ की तर्ज पर शराब बिक्री का जिम्मा अपने हाथों में लिया था तब राज्य सरकार के उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग को राजस्व मद में 841 करोड़ रुपये मिले थे। जबकि उससे पहले वित्तीय वर्ष 2016-17 में सरकार को इस मद में 962 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1083 करोड़ रुपये मिले थे। वित्तीय वर्ष 2019-20- में सरकार ने इसे रद करते हुए विक्रय का जिम्मा निजी हाथों को सौंपा। इसके बाद वित्तीय वर्ष 2019-20 में राजस्व बढ़कर 2009 करोड़ रुपये हो गए। कोरोना काल में बंदी और लॉकडाउन के मद्देनजर यह आंकड़ा राजस्व उगाही के लिहाज से संतोषप्रद रहा। नई नीति अंगीकार करने के बाद राजस्व का यह दर प्राप्त करने की चुनौती राज्य सरकार की होगी।

विधानसभा में भी उठा था मामला

विधानसभा के शीतकालीन सत्र में नई उत्पाद नीति को लागू करने की कवायद का मामला जोरशोर से उठा। विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने इसका विरोध किया। नई नीति को अंगीकार करने से राजनीतिक विरोध की संभावना जताई जा रही है। पूर्ववर्ती सरकार ने जब इस नीति को अंगीकार किया था तो विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया किया था। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के मुताबिक संगठन सैद्धांतिक तौर पर शराबबंदी की पक्षधर है।


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