केंद्र ने किसानों पर थोपा कृषि बिल : हेमंत सोरेन
केंद्र सरकार के कृषि संशोधन संबंधी अध्यादेश पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के तेवर तल्ख हैं। उन्होंने इसे देश पर थोपे गए कानून की संज्ञा देते हुए कहा है कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का दुरुपयोग है।
रांची : केंद्र सरकार के कृषि संशोधन संबंधी अध्यादेश पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के तेवर तल्ख हैं। उन्होंने इसे देश पर थोपे गए कानून की संज्ञा देते हुए कहा है कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का दुरुपयोग है। मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट भवन में मीडिया को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब व्यवस्था ध्वस्त होगी तो उलगुलान होगा और लोग सड़क पर उतरेंगे। समझ में नहीं आ रहा है कि प्रधानमंत्री देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं। एक तरफ जीएसटी में करोड़ों के घोटालों की खबरें देशभर से आ रही है तो दूसरी तरफ एक के बाद एक बिल लाने में केंद्र सरकार मशगूल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान नीति ऐसा विषय है जो केंद्र सरकार के अधीन नहीं है। यह राज्यों का विषय है, लेकिन केंद्र सरकार ने मनमाने तरीके से इसे देश पर थोप दिया है। केंद्र सरकार ऐसा तभी कर सकती है जब देश में आपात स्थिति हो या राज्य सरकारों की ओर से कृषि नीति में बदलाव का अनुरोध किया गया हो। यह अजीब स्थिति है कि बगैर राज्यों से सुझाव मांगे बिल राज्य सरकारों पर थोप दिया गया। उन्होंने चाणक्य नीति का हवाले देते हुए कहा कि जिस देश का राजा व्यापारी होता है, उस देश की प्रजा भिखारी होगी। कृषि बिल में कांट्रैक्ट फार्मिंग (अनुबंध खेती) की बात की जा रही है। व्यापारी किसानों को बीज और पैसे देकर प्रोत्साहित करेगा और उसकी उपज खरीद लेगा। अगर कांट्रैक्ट टूट गया तो किसानों को न्याय कहां मिलेगा। यदि, अडानी-अंबानी ने झारखंड के मगरा मुंडा से करार किया और शर्तें पूरी नहीं की तो आदिवासी कोर्ट के चक्कर काटते रह जाएंगे और उनके जूते-चप्पल घिस जाएंगे। किसानों के पास आत्महत्या करने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा।
---------
राज्य में जमाखोरी के खिलाफ मुहिम
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने जमाखोरी के खिलाफ मुहिम छेड़ी है। जमशेदपुर में बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई है। नए बिल से महंगाई बढ़ेगी। केंद्र सरकार चाहती तो कानून बनाकर इसे राज्यों पर छोड़ देती। राज्य सरकारें अगर चाहती उसे तो लागू करती अथवा नहीं। अब व्यापारी किन वस्तुओं का दाम घटा-बढ़ा देंगे, इसका अंदाज नहीं लगा सकते।
-----------
डीवीसी बकाए पर संघर्ष करेंगे
राज्य सरकार बिजली क्रय के मद में डीवीसी के भारी-भरकम बकाए पर घुटने टेकने के मूड में नहीं है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस बाबत संकेत दिए। उन्होंने कहा कि डीवीसी के बकाए के मसले पर संघर्ष करेंगे। गौरतलब है कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा है कि अगर बकाए का भुगतान नहीं किया गया तो केंद्रीय अनुदान के मद में राज्य को मिलने वाली राशि से चार समान किस्तों में कटौती करेंगे।
--------
बॉक्स
कृषि बिल के विरोध में 28 को राज्यपाल से मिलेंगे इरफान
जासं, धनबाद : प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सह जामताड़ा के विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने कहा है कि राज्य हमारा है और सरकार भी हमारी है, ऐसे में कानून और अध्यादेश भी हमारा ही होगा। झारखंड में कृषि बिल को लागू नहीं किया जाएगा। जिला परिषद के गेस्ट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता में डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि भाजपा ने पहले रेल, फिर हवाई जहाज, यहां तक कि बीएसएनल और एलआइसी तक को बेच डाला और अब किसानों को बेचा जा रहा है। किसान हैं तो राज्य है और देश है। इसके खिलाफ वे 28 सितंबर को राजभवन जाएंगे और राज्यपाल से इस विषय पर चर्चा करेंगे। गांधी जयंती के अवसर पर दो अक्टूबर से प्रखंड स्तर पर इसके विरुद्ध प्रदर्शन होगा। झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने कहा कि कि इस बिल का कोई औचित्य नहीं। इससे पूर्व अंसारी ने दावा किया कि बेरमो व दुमका उप चुनाव काग्रेस भारी मतों से जीतेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर प्रोजेक्ट किया है, वे भाजपा के हैं ही नहीं। उन्होंने झाविमो के टिकट पर चुनाव जीता है। ऐसे में उन्हें पहले इस्तीफा देना चाहिए था, फिर भाजपा में शामिल होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को भी वे निर्दलीय मानते हैं। कांग्रेस ने उन्हें मान्यता नहीं दी।
------