DVC से हुए एग्रीमेंट के कागजात गायब, मुख्यालय झारखंड लाने को बंगाल व बिहार से बात करेगी सरकार
Jharkhand Assembly Budget Session राज्य सरकार ने सदन में स्वीकार किया कि जिस करार के साथ राज्य में डीवीसी की स्थापना हुई थी उसके कागजात उपलब्ध नहीं हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने कहा था कि डीवीसी सरकार को हमेशा आंख दिखाता है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Budget Session झारखंड विधानसभा में आज एक बार फिर डीवीसी (दामोदर घाटी निगम) का मामला उठा। राज्य सरकार ने सदन में स्वीकार किया कि जिस करार के साथ राज्य में डीवीसी की स्थापना हुई थी, उसके कागजात उपलब्ध नहीं हैं। बिहार सरकार और पश्चिमी बंगाल सरकार से लागातार पत्राचार के बाद भी यह झारखंड सरकार को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।
सरकार ने सदन को आश्वस्त किया कि कागजात उपलब्ध कराने तथा डीवीसी का मुख्यालय झारखंड लाने के लिए शीघ्र ही तीनों राज्यों के बीच सचिव स्तर की वार्ता कराई जाएगी। बता दें कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में कहा था कि विपक्ष सहयोग करे तो राज्य सरकार डीवीसी के विरुद्ध कार्रवाई करेगी। यह सरकार को हमेशा आंख दिखाता है।
बजट सत्र के दौरान 9 मार्च को सीएम ने सदन में कहा था कि डीवीसी से वाकई झारखंड त्रस्त है। सदन अगर सहमत हो और विपक्ष सहमति दे तो हमलोग बड़ी कार्रवाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा था कि झारखंड के करोड़ों रुपये डीवीसी ने काट लिए और हमें बिजली भी नहीं देता। आए दिन डीवीसी आंख दिखाता है। डीवीसी मोनोपोली करता है और सिर्फ उद्योग को बिजली देता है, ग्रामीणों को नहीं।
डीवीसी प्रदूषण फैला रहा है। इससे पूर्व विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने मामला उठाते हुए कहा था कि डीवीसी के कारण कई गांव डूब जाते हैं। डीवीसी के साथ करार हुआ था कि वे क्षेत्र के विकास में सहयोग करेगा, लेकिन उसका काम बंगाल तक सीमित है। सीएसआर के तहत भी डीवीसी कोई कार्य नहीं करता। डीवीसी के मैथन पावर प्रोजेक्ट के कारण क्षेत्र में प्रदूषण फैल रहा है। डीवीसी झारखंड का कोयला-पानी लेकर हमें ही धौंस दिखाता है।