रांची (जागरण संवाददाता) । कोरोना मरीजों के शरीर में कई तरह से प्रभाव डाल रहा है। संक्रमण को हराकर स्वस्थ हुए लोगों में करीब 15 फीसद लोगों में फेफड़े और हृदय संबंधित रोग के लक्षण मिल रहे हैं। संक्रमण के दौरान कई बार इसके प्रभाव का पता नहीं चलता। लेकिन स्वस्थ होने के बाद मरीज जब शिकायत मिलने पर अस्पताल पहुंच रहे हैं तो उनमें परेशानी देखने को मिल रही है। रिम्स कार्डियोलाजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. प्रशांत कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद लोगों में हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। इसके तीन प्रमुख कारण हैं। पहला रक्त वाहिकाओं के आर्टरी में एक एंडोथीलियम होता है। इसमें एक रिसेप्टर होता है जिसे एसीइ-टू कहा जाता है। देखा गया है कोविड-19 वायरस एसीइ-टू रिसेप्टर से रक्त वाहिकाओं के एंडोथिलियम में अटैच होकर यह एंडोथिलियम में गडबड़ी कराता है। इस कारण रक्त वाहिकाओं की नली में ब्लड क्लॉट हो जाता है और रोगी को हार्ट अटैक हो जाता है। दूसरा कारण है कि कोविड-19 एक वायरल इंफेक्शन है, जो शरीर में सूजन पैदा कराता है। जहां खून जमा होकर वहां के आर्टरी को ब्लॉक कर देता है। वहीं तीसरा कारण है स्ट्रेस। इससे भी हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। डा. प्रशांत ने बताया कि इधर पिछले 10 सालों की तुलना में युवाओं में हार्ट अटैक की संभावना काफी बढ़ गई है। जरूरत से अधिक तनाव और धूमपान दोनों इसके कारक हैं। इससे बचाव के लिए जरूरी सभी एहतियात बरतें। उन्होंने बताया कि अधिकांश में देखा जा रहा है कि खून मोटा हो जाता है जिससे थक्का जमने की संभावना भी बन जाती है। ऐसे में समय पर इलाज से कुछ दवाएं देकर खून को पतला किया जा सकता है।
रिम्स के कार्डियोलाजी व सीटीवीएस में कोरोना काल में हुए उपचार
-350 से अधिक एंजियोप्लास्टी
-3500 के करीब एंजियोग्राफी
-100 से अधिक मरीजों में लगाए गए पेसमेकर
-45 ओपन हार्ट सर्जरी
-45 वैस्कुलर और थोरेसिक सर्जरी
हाई ब्लडप्रेशर से बचें, पौष्टिक आहार लें और खूब योग-व्यायाम करें
इधर, रिम्स के सीटीवीएस विभाग के हेड डां अंशुल कुमार ने बताया कि ब्लडप्रेशर को नियंत्रण में रखना भी हार्ट अटैक से बचने का महत्वपूर्ण तरीका है। ब्लडप्रेशर अधिक होने से हृदय को शरीर में रक्त को धकेलने में अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। इससे हृदय का आकार बड़ा हो सकता है और धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका बढ़ जाती है।उन्होंने बताया कि आपका कैलरी इनटेक आपकी शारीरिक सक्रियता और मेटाबालिज्म के अनुसार होना चाहिए। अपने भोजन में फलों, सलाद, हरी सब्जियां, साबूत अनाज को प्रमुखता से शामिल करें। तेल और घी का सेवन बहुत कम करें। प्रतिदिन 30 ग्राम लहसुन खाएं, क्योंकि यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और रक्त संचरण को ठीक करता है। एल्कोहल और धूमपान से दूर रहें। ज्यादा नमक का सेवन करने से बचें। वहीं व्यायाम दिल की बीमारियों के साथ कई तरह के कैंसर से भी बचाता है। दिन में कम से कम 30 मिनट हल्का-फुल्का व्यायाम जरूर करें। इससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी नियंत्रित रहेगा।
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