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इस गांव में नहीं होता बच्चों का शोर, एक दर्जन से अधिक घरों के बच्चे मूक-बधिर व दिव्यांग Hazaribagh News

Hazaribagh Jharkhand News हजारीबाग जिले के दारु प्रखंड का दारुबक्शीडीह गांव में सन्नाटा है। 22 घरों के गांव में एक दर्जन से अधिक घरों में बच्चे मूक-बधिर व दिव्यांग बच्‍चे हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 09:05 AM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 09:41 AM (IST)
इस गांव में नहीं होता बच्चों का शोर, एक दर्जन से अधिक घरों के बच्चे मूक-बधिर व दिव्यांग Hazaribagh News
इस गांव में नहीं होता बच्चों का शोर, एक दर्जन से अधिक घरों के बच्चे मूक-बधिर व दिव्यांग Hazaribagh News

हजारीबाग, [विकास कुमार]। Hazaribagh Jharkhand News आपने शायद ही कभी सुना होगा कि किसी घर में बच्चे हों और वे शोर नहीं करें। या, कोई दो दर्जन घरों वाले गांव में एक दर्जन घरों में बच्चे हों और कोई शोर या हंगामा न हो। लेकिन, हजारीबाग जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर दारु प्रखंड का दारुबक्शीडीह ऐसा ही एक गांव है। 22 घरों के इस गांव में एक बार अंदर प्रवेश करने पर सबकुछ सामान्य नजर आता है। घरों के बाहर बैठे लोग।

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गांव के अंदर पहुंचने पर धूल में खेलती चार वर्षीया रमा और उसकी बड़ी बहन छह वर्षीया रचना दिखती हैं। ये सामान्य बच्चों की तरह ही हैं, लेकिन दोनों एक भी शब्द नहीं बोल पाती हैं। बिना शोर किए जब दोनों बच्चे काफी देर तक खेलते रहे, तो ग्रामीणों से पूछने पर पता चला कि ये दोनों बहनें जन्म से बोल और सुन नहीं सकतीं। मूक-बधिर हैं। इन दोनों बच्चियों में एक रचना तो अपने पैरों पर खड़ी भी नहीं हो सकती।

दोनों दिव्यांग बच्चियों के बेबस मां-पिता ग्रामीणों को भरोसे ही इन्हें छोड़कर हर दिन मजदूरी करने निकल जाते हैं। दिन भर ग्रामीण ही इन्हें कुछ खाना मिला, तो खिलाते हैं। ग्रामीण राजेंद्र के अनुसार, ऐसे इस गांव में एक दर्जन से अधिक बच्चे और युवक हैं, जो मूक-बधिर व दिव्यांग हैं। कोई बोल नहीं सकता, तो किसी का शारीरिक विकास नहीं हुआ है। हालांकि, इसकी वजह क्या है, इसका जवाब उनके पास नहीं है। वहीं, प्रशासन का ध्यान कभी इस ओर गया ही नहीं है।

22 वर्ष का सूरज सिर्फ तीन फीट का, पढ़ता है चौथी कक्षा में

गांव में मूक-बधिर होने के साथ बच्चों का शारीरिक विकास भी नहीं हो पा रहा है। कौलेश्वर राम के पुत्र सूरज राम की उम्र 22 वर्ष हो चुकी है, लेकिन उसका शारीरिक व मानसिक विकास नहीं हो सका है। सूरज के पिता बताते हैं कि इसके साथ गांव के पैदा हुए अन्य बच्चों की शादी हो गई लेकिन, यह अभी बच्चों की तरह ही है। वर्तमान में चौथी कक्षा में पढ़ाई कर रहा है।

कद भी तीन फीट से ज्यादा नहीं बढ़ सका है। काफी मुश्किल से बोल पाता है। सूरज की तरह ही 14 वर्षीय निशा रानी भी मूक-बधिर है। इनके अलावा, गांव के 25 वर्षीय पुतुल राम, गूंजा कुमारी, मुन्नी कुमारी, पूनम देवी, लालजी पासवान, तेजो राम आदि मूक-बधिर व दिव्यांग हैं। यह स्थिति बयां कर रही है कि गांव लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी या कुपोषण का शिकार है।

शराब बना काल, गांव में दो दर्जन विधवाएं

इस गांव में शराब के कारण तीन दर्जन से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। वर्तमान में गांव में दो दर्जन से अधिक विधवाएं हैं।

'मेरे संज्ञान में यह मामला नहीं था। अशिक्षा व शराब एक वजह हो सकती है। शराब की वजह से पौष्टिक खान-पान पर लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते। बच्चे मूक-बधिर व दिव्यांग इतनी बड़ी संख्या में हैं, यह देखना होगा। गांव जाकर यहां के लोगों की हर संभव मदद की कोशिश की जाएगी।' -राम रतन कुमार वर्णवाल, बीडीओ, दारु प्रखंड, हजारीबाग।


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