Jharkhand Assembly Election 2019: हरियाणा के चुनाव परिणाम झारखंड भाजपा के लिए सबक, बूथ स्तर पर देना होगा ध्यान
Jharkhand Assembly Election 2019. हरियाणा में 75 प्लस का लक्ष्य था। झारखंड में भाजपा ने 65 प्लस का नारा दिया है। भाजपा को बूथस्तरीय इकाइयों की नए सिरे से समीक्षा करनी होगी।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Election 2019 - महाराष्ट्र का चुनाव परिणाम भाजपा और उसकी सहयोगी शिवसेना के लिए अनुकूल रहा है, लेकिन हरियाणा का परिणाम पार्टी की अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है। हरियाणा में भाजपा ने 75 प्लस का नारा दिया था लेकिन चुनाव परिणाम में पार्टी इसके आसपास भी नहीं पहुंच सकी। राजनीतिक जानकारों की मानें तो झारखंड में भी प्रदेश भाजपा को हरियाणा के चुनाव परिणामों से सबक लेने की जरूरत है।
राज्य विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया अगले माह से शुरू होगी। भाजपा झारखंड में भी अब तक अति आत्मविश्वास का शिकार रही है। संगठन की बढ़ती ताकत और विभिन्न दलों से टूटकर भाजपा में शामिल होने वालों की लंबी कतार ने भाजपा के लिए उत्साहजनक माहौल बनाया है। फिलहाल भाजपा यह मानकर चल रही है कि उसे सत्ता हासिल होनी तय है, लेकिन जनता के मिजाज को समझना कठिन है। हरियाणा और झारखंड में कई समानताएं हैं। दोनों सीटों के लिहाज से अपेक्षाकृत छोटे राज्य हैं।
हरियाणा में सीटों की संख्या 90 है तो झारखंड में 81। दोनों ही राज्यों में डबल इंजन की सरकार है। सीटों के लिहाज से हरियाणा के लिए 75 प्लस का नारा दिया गया था तो झारखंड के लिए चुनाव से पूर्व ही 65 प्लस का नारा दिया गया है। अगर हरियाणा के अनुपात में भी भाजपा को झारखंड में वोट मिले तो वह स्पष्ट बहुमत से चूक सकती है। हालांकि दोनों राज्यों में राजनीतिक समीकरण अलग-अलग हैं। फिर भी बेहतर यही होगा कि भाजपा इन परिणामों से सबक लेते हुए रणनीति बनाए।
बूथ स्तरीय इकाई पर देना होगा ध्यान
झारखंड में भाजपा ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बूथ तक इकाई का गठन किया है। पार्टी का दावा है कि राज्य के कुल 29500 बूथों में से 26 हजार बूथ पर उसकी संगठित इकाई का गठन हो चुका है। बूथस्तरीय इकाई में औसतन 10-12 सक्रिय कार्यकर्ता होते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बूथ स्तर पर गठित इकाइयों के लिए 19 तरह के टास्क निर्धारित किए थे।
सक्रिय कार्यकर्ताओं को इन टास्क को पूरा करने दायित्व सौंपा गया था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा कई बार दोहरा चुके हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्तर से सौंपे गए सभी टास्क पूरे हो गए हैं। हरियाणा और अन्य राज्यों जहां उपचुनाव में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है वहां भी इसी तरह के टास्क सौंपे गए थे। जाहिर है पार्टी को एक बार फिर नए सिरे से मंथन करना होगा।