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Father's Day 2020: बेटे को IPS बनाने के लिए इस पिता ने बेच दी एक-एक इंच जमीन, पढ़ें इनकी पूरी कहानी

Happy Fathers Day 2020 Wishes प्रेम प्रसाद सिन्हा के जुनून ने बेटे को बोकारो के साबरा गांव का पहला आइपीएस बना दिया। प. सिंहभूम के एसपी इंद्रजीत माहथा ने कहा पिता की मेहनत को सलाम.

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 20 Jun 2020 11:43 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 05:23 PM (IST)
Father's Day 2020: बेटे को IPS बनाने के लिए इस पिता ने बेच दी एक-एक इंच जमीन, पढ़ें इनकी पूरी कहानी
Father's Day 2020: बेटे को IPS बनाने के लिए इस पिता ने बेच दी एक-एक इंच जमीन, पढ़ें इनकी पूरी कहानी

चाईबासा, [सुधीर पांडेय]। Happy Father's Day 2020 Wishes पिता हैं ना...। सुनते ही सब दुख दर्द छू मंतर हो जाता है। यह कहानी ऐसे पिता की है जिन्होंने अपने 80 फीसद खेत बेचकर और कठिन परिश्रम कर बेटे को पढ़ाया बल्कि गांव का पहला आइपीएस भी बना डाला। यह पिता हैं- प्रेम प्रसाद सिन्हा। पश्चिम सिंहभूम जिले के पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत माहथा के पिता।

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झारखंड के बोकारो जिले के चंदनक्यारी अंतर्गत साबरा गांव में रहनेवाले प्रेम प्रसाद सिन्हा एक किसान हैं। बेटा को आइपीएस बनाने के लिए उन्होंने जो मेहनत की है, त्याग किया है वह मिसाल है। इंद्रजीत जब यूपीएससी की परीक्षा में पहली बार असफल हुए और पिता पर आर्थिक बोझ कम करने के लिए ट्यूशन पढ़ाकर परीक्षा की तैयारी करने की बात कही तो पिता ने साफ कर दिया तुम सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान लगाओ।

तुम्हें आइपीएस बनना है, पैसे की कमी की चिंता मत करो। तुम्हें जो भी संसाधन चाहिए निश्चिंत होकर लो, तुम्हारी कामयाबी के लिए मुझे सारी जमीन भी बेचनी पड़ जाए तो मलाल नहीं। पिता की यह बातें इंद्रजीत के दिल में उतर गईं। ठान लिया कि पिता का सपना जरूर पूरा करूंगा। यूपीएससी की परीक्षा दी और उसमें कामयाबी हासिल की। 100वां स्थान आया। आज आइपीएस हैं।

अपने पिता के संघर्ष को दैनिक जागरण के साथ साझा करते हुए माहथा कहते हैं, पिता जी हर रोज रात में दो बजे उठ जाते थे। गांव में बिजली की उस समय अच्छी हालत नहीं थी। पिताजी उठने के साथ ही लालटेन को अच्छे से साफ कर जलाते थे। रात 2.30 बजे मुझे पढऩे के लिए बैठा देते थे। सुबह 5.30 बजे तक मैं पढ़ता था। यह सिलसिला 12 साल तक जारी रहा। हर पिता की तरह उनका भी सपना था कि बेटा बड़ा होकर अधिकारी बने। मुझे इस बारे में तब ज्यादा ज्ञान नहीं था। पिता प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी जैसे प्रतिष्ठित पदों की गरिमा के बारे में बताया करते थे। किताबों की कमी न हो इसलिए किलो के भाव पुरानी किताबें खरीदकर ला देते थे।

जमीन बेचने के प्रसंग का जिक्र करते हुए माहथा ने कहा कि एक किसान के लिए उसके खेत औलाद जैसे होते हैं। किसान खेत तभी बेचता है जब उसके पास और कोई आर्थिक विकल्प नहीं रह जाता। पिता ने मेरी पढ़ाई के लिए इन खेतों का मोह नहीं किया। मेरे गांव में सालों से कोई आइएएस नहीं बना। यही वजह रही कि पिता ने कुछ नहीं सोचा सिवाय अपने बेटे को हर वो जरूरी संसाधन मुहैया कराने के जिसकी जरूरत यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए पड़ती है। पिता को बचपन से मेहनत करते देखा। उनसे सीख मिली कि लगातार परिश्रम करते रहो, कभी हार मत मानो। आज पुलिस की नौकरी में पिता की सीख बहुत काम आ रही है।


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