Move to Jagran APP

Water Level in Jharkhand: अब सैटेलाइट से होगी जलस्तर की मापी

Ground Water Level. पूरे राज्य में 117 जगहों पर डीप बोरिंग में लगाए जाएंगे डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डर। धुर्वा डैम के समीप सैटेलाइट स्टेशन का होगा निर्माण।

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 04:18 PM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 04:18 PM (IST)
Water Level in Jharkhand: अब सैटेलाइट से होगी जलस्तर की मापी
Water Level in Jharkhand: अब सैटेलाइट से होगी जलस्तर की मापी

रांची, [राजेश पाठक]। अब झारखंड में सैटेलाइट से भूगर्भ जलस्तर की वास्तविक मापी होगी। नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के तहत 2016-17 से ही सिंचाई विभाग इस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने की तैयारी में जुटा था। केंद्र सरकार व वर्ल्‍ड बैंक के सहयोग से इस योजना को 2023-24 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। सैटेलाइट सिस्टम से भूगर्भ जलस्तर की वास्तविक जानकारी मिलने के बाद समय रहते पेयजल किल्लत की समस्या का समाधान संभव होगा।

loksabha election banner

वर्तमान में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और गुजरात में सैटेलाइट के माध्यम से ही भूगर्भ जलस्तर की मापी की जा रही है। रूपांकन, समग्र योजना एवं जल विज्ञान विभाग के मुख्य अभियंता संजय कुमार के अनुसार पूरे राज्य में 117 जगहों पर डीप बोरिंग में ग्राउंड लेवल पर डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डर लगाए जाएंगे। शहरी क्षेत्रों में भूगर्भ जलस्तर की मापी के लिए जीपीएस सिस्टम व सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सैटेलाइट सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। इस तकनीक के माध्यम से 365 दिन प्रति घंटे भूगर्भ जलस्तर की रिपोर्ट मिलेगी।

डाटा सेंटर में संग्रहित किए गए आंकड़े एक क्लिक पर उपलब्ध होंगे। वर्तमान में भूगर्भ जलस्तर में वृद्धि व गिरावट की मापी मैन्युअल सिस्टम के तहत कुएं के जलस्तर से की जाती है। जबकि बोरिंग के जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। मापी की प्रक्रिया भी साल में मात्र दो बार मानसून से पूर्व व मानसून के बाद की जाती है। जिसके कारण भूगर्भ जलस्तर की वास्तविक जानकारी नहीं मिल पाती।

11 हजार वर्गफीट में डाटा सेंटर का होगा निर्माण
नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के तहत इस योजना पर कुल 60 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। प्रथम चरण में केंद्र सरकार ने विभाग को 10 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। मुख्य अभियंता ने बताया कि धुर्वा डैम के समीप सिंचाई विभाग की 11 हजार वर्गफीट जमीन पर डाटा सेंटर का निर्माण होगा, जो सैटेलाइट सिस्टम से लैस होगा। 

प्री व पोस्ट मॉनसून के लिए भूगर्भ जल सर्वेक्षण विभाग को कुएं के जलस्तर की मैन्युअल मापी से निजात मिलेगी। सैटेलाइट के माध्यम से भूगर्भ जलस्तर का वास्तविक रिकॉर्ड प्राप्त होगा। जलस्तर में गिरावट की जानकारी समय पर मिलेगी।- संजय कुमार, मुख्य अभियंता, रूपांकण, समग्र योजना एवं जल विज्ञान विभाग।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.