झारखंड स्थापना दिवस पर बाधा डाली तो जाएगी पारा शिक्षकों की नौकरी
झारखंड स्थापना दिवस के दिन विरोध प्रदर्शन की चेतावनी देने वाले पारा शिक्षकों के रुख को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है।
रांची। 15 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस के दिन विरोध प्रदर्शन की चेतावनी देने वाले पारा शिक्षकों के रुख को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि झारखंड स्थापना दिवस पूरे राज्य व यहां के निवासियों के लिए गौरव का दिन है। उस दिन किसी प्रकार की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। स्थापना दिवस के दिन कोई विघ्न या बाधा डालता है तो, इसे राज्य के असम्मान के रूप में लिया जाएगा। वैसे लोगों को चिह्नित कर उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी और उन्हें अगले दिन से ही कार्यमुक्त कर दिया जाएगा।
विरोध-प्रदर्शन की वीडियोग्राफी के साथ-साथ अन्य माध्यमों से भी इसकी जानकारी ली जाएगी। बता दें कि पारा शिक्षक स्थायीकरण व वेतनमान को लेकर आंदोलनरत हैं। उन्होंने राज्य सरकार से स्पष्ट कहा है कि यदि 15 नवंबर को उनकी मांगों पर सकारात्मक घोषणा नहीं की जाएगी तो वे काला झंडा दिखाएंगे और अगले दिन से हड़ताल पर चले जाएंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों को लेकर घोषणा करेगी तो वे सरकार के पक्ष में जय-जयकार करेंगे।
सीएम की हां पर लगाएंगे जयकारा, ना पर करेंगे विरोध
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने कहा है कि सरकार उनके साथ वार्ता की पहल नहीं कर उनपर दबाव डालना चाहती है। पारा शिक्षक नेताओं की गिरफ्तारी की तैयारी है। मोर्चा ने मुख्यमंत्री से पारा शिक्षकों के हित में निर्णय लेने की अपील की है। मोर्चा के संजय कुमार दुबे तथा हृषिकेश पाठक ने पूर्वी सिंहभूम के जिलाध्यक्ष सुमित तिवारी को स्कूल से गिरफ्तार कर थाने में रखने की बात कही है। साथ ही अन्य जिलों में भी इस तरह की कार्रवाई की आशंका जताई है। मोर्चा ने कहा है कि उनका आंदोलन जारी रहेगा। राज्य भर के पारा शिक्षक 15 नवंबर को मोरहाबादी मैदान में जुटेंगे। यदि मुख्यमंत्री उनके स्थायीकरण की घोषणा नहीं करते हैं तो वे काला झंडा दिखाएंगे तथा अगले दिन से हड़ताल पर चले जाएंगे।
छुट्टियां रद, स्थापना दिवस के दिन खुले रहेंगे स्कूल
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने राज्य के स्थापना दिवस के दिन भी सभी विद्यालयों को खुला रखने का फरमान जारी किया है। जिलों को भेजे गए इस आशय के पत्र में विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह ने स्थायी, अस्थायी, अनुबंध आधारित शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारी, पारा शिक्षकों आदि का अवकाश स्थापना दिवस के दिन रद करते हुए इसका समायोजन किसी दूसरे दिन करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि स्थापना दिवस को लेकर राज्य और जिला स्तर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। इस आयोजन में विद्यालयों की सहभागिता भी अनिवार्य है। राज्य गठन के इन 18 वर्षो में विद्यालय स्तर पर क्या प्रगति हुई है, इसकी भी समीक्षा की जाएगी।
बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य, चलेगा नो वर्क नो पे का फार्मूला
सरकार ने पठन-पाठन को धता बताकर आंदोलनात्मक गतिविधियों में संलग्न रहने वाले पारा शिक्षकों की पहचान करने का निर्देश जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दिया है। ऐसे शिक्षकों को अनुपस्थित करार देते हुए उनपर नो वर्क नो पे का फार्मला लागू करने के साथ-साथ उनसे स्पष्टीकरण मांगने तथा संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अनुबंध समाप्त करने की कार्रवाई करने को कहा है। राज्य परियोजना निदेशक उमाशंकर सिंह के स्तर से जारी निर्देश में पारा शिक्षकों के लिए एक दिसंबर से बायोमीट्रिक पद्धति से उपस्थिति अनिवार्य कर दिया गया है। उपस्थिति केआधार पर ही मानदेय के भुगतान की सख्त हिदायत दी गई है।
दावा : आठ बिंदुओं पर बनी थी सहमति, क्रियान्वयन भी हुआ
इधर, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग का दावा है कि आंदोलनरत पारा शिक्षकों एवं रसोइयां संघ के मांगों पर कई दौर की वार्ता हुई। इन वार्ताओं में आठ बिंदुओं पर सहमति बनी थी, जिसका कार्यान्वयन भी हो चुका है। जेटेट पास पारा शिक्षकों की अनुमान्य अवधि पांच साल से बढ़ाकर सात साल करने, शिक्षक कल्याण कोष मद की राशि पांच करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ करने, टेट पास पारा शिक्षकों के मानदेय में लगभग 20 फीसद वृद्धि की अनुशंसा की गई है। इसी तरह रसोइयों के मानदेय में प्रति माह 500 रुपये की वृद्धि की जा चुकी है।