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आजीविका के लिए व्यापारी जरूरी, पर भाई बात जान है तो जहान की है..

फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने राज्य में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के आकड़ों को देखते हुए सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 01:53 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 01:53 AM (IST)
आजीविका के लिए व्यापारी जरूरी, पर भाई बात जान है तो जहान की है..
आजीविका के लिए व्यापारी जरूरी, पर भाई बात जान है तो जहान की है..

जागरण संवाददाता, रांची : फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने राज्य में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के आकड़ों को देखते हुए सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की है। चैंबर अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने कहा कि लोकहित में चैंबर के द्वारा स्मार्ट लॉकडाउन की घोषणा की गयी थी। मगर कुछ लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। ऐसे में अब राज्य सरकार या जिला प्रशासन को सख्ती से हमारे प्रयासों को लागू कराने की जरूरत है।

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कुणाल अजमानी ने कहा कि संक्रमितों की बढती संख्या के कारण अस्पतालों में बेड की कमी होने लगी है। आइएमए की रिपोर्ट भी कह रही है कि झारखंड में कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो चुका है। इसे देखते हुए ही विभिन्न व्यवसायिक संगठनों के सुझाव और सहमति से फेडरेशन चैंबर द्वारा सप्ताह में तीन दिन के स्मार्ट लॉकडाउन की पहल की गई है। चूंकि यह निर्देश नहीं था, चैंबर ने अपने लिए, अपनों के लिए व्यापार जगत से स्वेच्छा से दुकानें बंद करने की अपील की थी। हालांकि कुछ लोगों द्वारा चैंबर के निर्णयों का सम्मान नहीं करते हुए, दूसरों को भी इसका अनुपालन नहीं करने के लिए प्रेरित किया गया। एक दूसरे को देखकर दोपहर में 1 बजे के उपरांत राजधानी में दुकानें खुलने लगी। लोगों को यह समझना होगा कि आजीविका के लिए व्यापार जरूरी है लेकिन बात जान है तो जहान की है। उन्होंने कहा कि हमने सड़कों पर भीड़ को नियंत्रित करने के उद्देश्य से स्मार्ट लॉकडाउन की पहल की है।

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चैंबर महासचिव धीरज तनेजा ने कहा कि झारखंड में मुंबई व दिल्ली जैसे हालात उत्पन्न न हो इसलिए लॉकडाउन की घोषणा की गयी। इसे व्यापारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। हालांकि हम उन सभी व्यापारियों का आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने चैंबर द्वारा आहूत इस स्मार्ट लॉकडाउन में अपनी सहभागिता दी है। व्यापारी यह अवश्य समझें कि सतर्कता व सुरक्षा के लिए प्रशासन के निर्देशों की प्रतीक्षा जरूरी नहीं है, यह स्वयं के विवेक पर निर्भर है।


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