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राजधानी में सुगम यातायात के लिए चाहिए 2075 करोड़, 20 टर्मिनल और 540 स्टैंडर्ड बसों की जरूरत

रांची में सुगम यातायात के लिए सरकार व्यापक तैयारी कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 11:41 AM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 11:41 AM (IST)
राजधानी में सुगम यातायात के लिए चाहिए 2075 करोड़, 20 टर्मिनल और 540 स्टैंडर्ड बसों की जरूरत
राजधानी में सुगम यातायात के लिए चाहिए 2075 करोड़, 20 टर्मिनल और 540 स्टैंडर्ड बसों की जरूरत

रांची, राज्य ब्यूरो। राजधानी रांची में सुगम यातायात के लिए सिटी बसों का परिचालन वर्तमान की मांग है। एक सर्वे के अनुसार राजधानी रांची की 86.2 फीसद आबादी की औसत सालाना आय आज भी 15 हजार के आसपास है। अगर व्यवस्था सुदृढ हो तो लगभग 80 फीसद आबादी सिटी बसों से चलना पसंद करेगी।

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सिटी बसों के परिचालन के राष्ट्रीय मानकों की बात करें तो प्रति एक लाख आबादी पर 40 से 60 सिटी बस की उपलब्धता होनी चाहिए। इस हिसाब से रांची जैसे शहर के लिए 540 स्टैंडर्ड अथवा 840 सामान्य बसों की जरूरत होगी। बसों के सुगम परिचालन के लिए 26 बस डिपो तथा 20 बस टर्मिनल की जरूरत होगी।

संबंधित आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर तकरीबन 2075 करोड़ रुपये की लागत आएगी। सिटी बसों के परिचालन की दिशा में कार्य कर रही कंपनी आइटीडीपी की ओर से यह जानकारी बुधवार को दी गई।

होटल बीएनआर में आयोजित राष्ट्रीय निवेशक सम्मेलन में प्रजेंटेशन देते हुए आइटीडीपी के इंडिया प्रोग्राम लीड राजेंद्र वर्मा ने रांची के रातू रोड तथा राजेंद्र चौक का हवाला दिया।

उन्होंने कहा कि प्रति घंटे इन सड़कों पर क्रमश: 3803 तथा 2900 लोगों का आवागमन है। राजधानी की लगभग 50 फीसद आबादी भी सिटी बसों से सफर करे तो यातायात व्यवस्था स्वयं सुगम हो जाएगी। एक अन्य सर्वे के हवाले से उन्होंने बताया कि 177 कारों से 200 लोग सफर करते पाए गए। अगर कार हटा दिए जाएं तो इतने लोग तीन बसों में समा जाएंगे। उन्होंने इसके लिए ठोस नीति बनाने पर जोर दिया।

बसों के परिचालन के चार मॉडलों पर फोकस : आइटीडीपी ने सिटी बसों के परिचालन के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग की ओर से चार मॉडल पेश किए गए। बताया गया कि सरकार अपने स्तर से बस खरीदे और उसका परिचालन किसी एजेंसी से कराए। दूसरे मॉडल के तहत सरकार किसी एजेंसी को आधारभूत संरचना उपलब्ध करा सकती है, बसों के परिचालन और उसके रखरखाव पर आनेवाली लागत और मुनाफे पर एजेंसी का हक होगा।

सरकार चाहे तो स्वयं बस खरीदकर किसी एजेंसी के माध्यम से प्रति किलोमीटर किराया लेकर उसका परिचालन करवा सकती है। चौथे मॉडल के तहत खुद के संसाधन से सरकार बस खरीदने से लेकर उसका परिचालन तक करा सकती है।

नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव अजय कुमार सिंह ने राजधानी रांची के परिप्रेक्ष्य में चारों मॉडलों की विस्तृत रूपरेखा उपलब्ध कराने का निर्देश आइटीडीपी को दिया। उन्होंने कहा कि सिटी बसों के परिचालन की परियोजना स्मार्ट सिटी कारपोरेशन के माध्यम से संचालित होगी।

रांची को स्मार्ट बनाने में यूके देगा तकनीकी सहयोग : राजधानी रांची को स्मार्ट बनाने में यूके का अंतरराष्ट्रीय विकास विभाग तकनीकी सहयोग देगा। इस संदर्भ में बुधवार को संबंधित विभाग का पांच सदस्यीय शिष्टमंडल रांची पहुंचा।

शिष्टमंडल ने इस दौरान रांची स्मार्ट सिटी कारपोरेशन और रांची नगर निगम के पदाधिकारियों से मुलाकात की तथा संचालित योजनाओं की जानकारी ली। गुरुवार को भी शिष्टमंडल संबंधित दफ्तरों का दौरा करेगा। शिष्टमंडल ने अफसरों से प्राथमिकता आधारित उन योजनाओं की सूची तैयार रखने की अपील की है, जिसमें उन्हें तकनीकी सहयोग की आवश्यकता है।

बताते चलें कि शहरी विकास मंत्रालय ने तकनीकी सहयोग के लिए देश के 100 स्मार्ट शहरों में से छह का चयन किया है, जिसमें रांची भी शामिल है।


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