Move to Jagran APP

Govardhan Puja: जानिए कब है गोवर्धन पूजा, इस दिन क्‍यों होती है भगवान श्रीकृष्‍ण के साथ गौ माता की पूजा

Govardhan Puja पूजा के लिए दोपहर 03.19 बजे से संध्या 05.26 का समय उत्तम है। गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनायी जाती है। आकृति के साथ श्रीकृष्ण और गौ माता की आराधना करने की परंपरा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 12 Nov 2020 12:04 PM (IST)Updated: Thu, 12 Nov 2020 12:07 PM (IST)
Govardhan Puja: जानिए कब है गोवर्धन पूजा, इस दिन क्‍यों होती है भगवान श्रीकृष्‍ण के साथ गौ माता की पूजा
गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है।

रांची, जासं। दीपावली के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा व अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गाय, बैल आदि की विधि-विधानपूर्वक पूजा होती है। पशुओं को स्नान-ध्यान कराने के बाद सिर में तेल-सिंदूर लगाकर माला पहनाया जाता है। धूप-आरती के बाद मिष्ठान्न खिलाया जाता है। रस्सी बदले जाते हैं। पंडित मनोज मिश्र के अनुसार इस दिन श्रीकृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत की भी पूजा होती है।

loksabha election banner

गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है। आकृति के साथ श्रीकृष्ण और गौ माता की आराधना करने की परंपरा है। इस बार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा 15 नवंबर को सुबह 10.36 बजे आरंभ हो रहा है जो 16 नवंबर को सुबह 07.05 बजे तक रहेगा। वहीं, गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 03.19 बजे से संध्या 05.26 बजे तक है। शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना विशेष फलदायी होगा।

जब गोकुलवासियों के लिए इंद्र से भिड़ गए थे श्रीकृष्ण

मान्यतानुसार भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को इंद्रदेव की बजाय गावर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया। श्रीकृष्ण का कहना था कि बारिश गोवर्धन पर्वत की वजह से होता है, इंद्रदेव की वजह से नहीं। गोवर्धन पर्वत ही बादल को रोकता है। इससे बारिश होती है। श्रीकृष्ण के कहने के बाद से गोकुलवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। इससे इंद्रदेव को बड़ा गुस्सा आया और गोकुल में मूसलाधार बारिश शुरू कर दी।

तेज बारिश से गोकुलवासी भयभीत हो गए। इसी समय श्रीकृष्ण ने बारिश से गोकुलवासियों को बचाने के लिए अपनी एक उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया। समस्त गोकुलवासियों ने गोवर्धन पर्वत की शरण लेकर बारिश से खुद को बचाया। इस तरह श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अभिमान तोड़ दिया। गोकुलवासी श्रीकृष्ण की आराधना करने लगे। भगवान को 56 भोग लगाया। इससे प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को आशीर्वाद दिया कि वह सदैव उनकी रक्षा करेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.