मनरेगा के बारे में यह खबर आप भी जानिए, सरकार ने लिया बड़ा फैसला...
MANREGA Yojna NREGA Job Card शहरों में हाल कुछ हद तक ठीक है लेकिन गांवों में मनरेगा ही सहारा है। गांव-घर में ही रोजगार गांरटी देने वाली मनरेगा को लेकर सरकार बड़ा फैसला करने जा रही है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही मनरेगा में दैनिक मजदूरी बढ़ जाएगी।
रांची, जेएनएन। MANREGA Yojna, NREGA Job Card शहरों में हाल कुछ हद तक ठीक है, लेकिन गांवों में मनरेगा ही सहारा है। गांव-घर में ही रोजगार गांरटी देने वाली मनरेगा को लेकर सरकार बड़ा फैसला करने जा रही है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही मनरेगा में दैनिक मजदूरी बढ़ जाएगी। इससे रोज कमाने-खाने वाले मजदूरों को राहत मिलेगी। श्रमिक प्रधान राज्य कहे जाने वाले झारखंड में मनरेगा की जरूरत कुछ ज्यादा ही दिख पड़ती है।
हालांकि आज की तारीख में यहां मजदूरों को दूसरे राज्यों की तुलना में कम दिहाड़ी, पारिश्रमिक राशि मिल रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से इस बारे में केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर अवगत कराया गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही सरकार इस पर बड़ा फैसला लेगी। फिलहाल झारखंड में मनरेगा की योजनाओं में काम करने वाले मजदूरों को रोजाना 202 रुपये की दर से भुगतान किया जाता है।
शुरुआत के साथ ही मनरेगा ग्रामीण इलाकों के मजदूरों के लिए भरण पोषण का एक बड़ा सहारा बना जो आज भी झारखंड जैसे छोटे राज्यों के लिए बड़ी जरूरत के रूप में कायम है। पिछले दिनों कोरोना संक्रमण के दौरान जब पूरे देश में रोजगार का संकट पैदा हुआ और लोग ग्रामीण इलाकों में वापस लौटने लगे तब झारखंड के मजदूरों के लिए मनरेगा बड़ा सहारा बना और महानगरों से लौटकर पहुंचे मजदूरों के भरण पोषण को कहीं कोई परेशानी नहीं हुई।
देश में मनरेगा के माध्यम से रिकॉर्ड कायम करने में झारखंड को बड़ी सफलता मिली। इस दौरान जिन दो केंद्रीय योजनाओं में झारखंड का नाम आगे रहा उनमें प्रधानमंत्री आवास योजना और मनरेगा का नाम सबसे आगे रहा। अब झारखंड के अधिकारियों और नेताओं के सामने बड़ी चुनौती है मनरेगा की मजदूरी को बढ़ाना। राज्य सरकार के स्तर से लगातार इसके लिए पहल की जा रही है और मुख्यमंत्री ने स्वयं इस मुद्दे से प्रधानमंत्री को अवगत करा कर इस विषय की गंभीरता को सबके सामने रखा है।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जिन दो मुद्दों को गंभीरता से उठाया उनमें एक तो है आदिवासियों के लिए जनगणना में अलग कॉलम की मांग और दूसरा मनरेगा की मजदूरी को बढ़ाना। मुख्यमंत्री ने बैठक में मौजूद लोगों को बताया कि कैसे श्रमिक प्रधान राज्य झारखंड में मनरेगा की आवश्यकता हर घर को है और आज की तारीख में मनरेगा मजदूरों को दूसरे राज्यों की तुलना में कम राशि मिल रही है।
झारखंड में फिलहाल मजदूरों को 202 रुपये की दर से भुगतान किया जा रहा है जो आसपास के राज्यों से कम है। मजदूरी दर को बढ़ाने के लिए झारखंड लंबे समय से मांग करता रहा है मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के कुछ दिन बाद ही हेमंत सोरेन ने इस विषय पर केंद्रीय वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। दोबारा इस मुद्दे को उठाकर मुख्यमंत्री ने यह साबित कर दिया है कि इसके प्रति उनकी गंभीरता अभी भी बनी हुई है।
मनरेगा और श्रमिकों के लिए बने कानून को मजबूती प्रदान करने के साथ ही झारखंड के श्रमिकों को यहां मौजूद संसाधनों से व्यस्त रखना संभव हो सकेगा। ऐसा नहीं होने पर जाहिर तौर पर परेशानी बढ़ेगी।