बच्चों की सेहत पर जोर, टॉफी के रैपर में अब नहीं होंगे खिलौने व टैटू Ranchi News
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने राज्य सरकार को इस संबंध में विशेष निर्देश भेजा है। प्लास्टिक में कई तरह के रासायनिक पदार्थ मिले होने से यह नुकसानदायक होता है।
रांची, [विनोद श्रीवास्तव]। दर्जनों टॉफी निर्माता कंपनियों के सैकड़ों उत्पादों पर अब सरकार का पहरा होगा। टॉफी के रैपर में अब न खिलौने होंगे, न ही टैटू होगा। टॉफी निर्माण के निर्धारित मानकों की अवहेलना करने पर जहां कंपनियां दंड की भागीदार होंगी, वहीं दुकानदार भी इससे बच नहीं पाएंगे। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) ने इस संदर्भ में राज्य सरकार को विशेष दिशा-निर्देश भेजा है। खाद्य सुरक्षा आयुक्त को इन दिशा-निर्देशों के अनुपालन की अंतिम जवाबदेही सौंपी गई है।
दुकानों तथा फूड बिजनेस ऑपरेटरों को इस मामले में जागरूक करने का टास्क सौंपा गया है। दरअसल बच्चों को लुभाने की कड़ी में हाल के वर्षों में टॉफी के रैपर के अंदर तरह-तरह के प्लास्टिक के खिलौनों के अलावा टैटू आदि का प्रचलन बढ़ा है। कंपनियों की ओर से लांच किए गए चिप्स आदि उत्पादों के पैकेटों में इसकी बहुलता बढ़ी है। प्लास्टिक के ये उत्पाद बच्चों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। इससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ रहा है। इसे देखते हुए ही एफएसएसएआइ ने यह कड़ा कदम उठाया है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार कुछ ब्रांडेड कंपनियां टॉफी निर्माण के दौरान फूड सेफ्टी के सुरक्षा मानकों का ख्याल रखते हुए खाद्य सामग्री और खिलौनों की अलग-अलग पैकिंग करती हैं। इससे इतर अधिकतर कंपनियां एक ही रैपर में उत्पाद और खिलौने दोनों डाल रही हैं। खासकर स्थानीय स्तर पर बनाए जा रहे इस तरह के उत्पादों की बिक्री धड़ल्ले से ग्रामीण क्षेत्रों, छोटे शहरों और तंग बस्तियों में होने की खबर एफएसएसएआइ तक पहुंची है।
प्लास्टिक किस हद तक खतरनाक
दरअसल प्लास्टिक में कई तरह की रासायनिक सामग्री मिली होती है, जो हमारे शरीर को कई स्तरों पर नुकसान पहुंचाता है। प्लास्टिक गर्मी और ताप के संपर्क में आने पर जो खाद्य सामग्री में मिलकर हमारे शरीर के अंदर पहुंच जाता है। प्लास्टिक के खिलौनों में कई तरह के रंग मिले होते हैं। इनमें शीशा और आर्सेनिक जैसे विषैले तत्व भी मिले होते हैं। एक शोध के अनुसार ऐसे तत्वों के उपयोग से 90 फीसद तक कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
स्टेपलर पिन लगी सामग्री पर भी प्रतिबंध
एफएसएसएआइ ने स्टेपलर पिन लगी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। एफएसएसएआइ के अनुसार सामान्य तौर पर तेजपत्ता, चाय, विभिन्न तरह के मसालों आदि की पैकिंग प्लास्टिक में कर उसमें पिन मार दिया जाता है। संबंधित उत्पादों के उपयोग में विलंब आदि की वजह से पिन में जंग लग जाती है। इससे खाद्य सामग्री दूषित हो जाती है। खासकर बरसात के समय यह स्थिति अधिक देखने को मिलती है।
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