कोल इंडिया में कॉमर्शियल माइनिग को कोयला कर्मियों ने नकारा : संयुक्त मोर्चा
कमर्शियल माइनिग व कॉल ब्लॉक के निजीकरण करने समेत अन्य मांगों
संवाद सूत्र, गिद्दी (रामगढ़) : कमर्शियल माइनिग व कॉल ब्लॉक के निजीकरण करने समेत अन्य मांगों के विरोध में कोल इंडिया में पांचों ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत तीन दिवसीय हड़ताल के पहले दिन गुरुवार को गिद्दी कोयलांचल के गिद्दी, रेलीगढ़ा, गिद्दी सी, गिद्दी वाशरी परियोजना व रेलीगढ़ा आउट सोर्सिंग में हड़ताल का व्यापक असर रहा है। संयुक्त मोर्चा अरगडा के नेता गुरुवार की सुबह साढ़े पांच बजे से ही चारों परियोजनाओं में अलग-अलग स्थानों पर जमे हुए थे। बंदी के कारण गिद्दी, रेलीगढा़, गिद्दी सी व रेलीगढ़ा आउट सोर्सिंग कार्य में उत्पादन पूर्ण से तीनों पालियों में ठप रहा है। हालाकि हेडक्वार्टर रांची के मनीष राज, रेलीगढ़ा प्रभारी पीओ सह मैनेजर कैलाश कुमार, गिद्दी थाना के सअनि रामु महतो व अरगडा एरिया सुरक्षा पदाधिकारी एसएन तिवारी ने रेलीगढ़ा आउट सोर्सिंग को प्रथम पाली में उत्पादन चालू कराने को ले मशीन निकालने प्रयास किया। परंतु मोर्चा के नेता मिथिलेश सिंह, बैजनाथ मिस्त्री, अरूण कुमार सिंह, धनेश्वर तुरी, जन्मेजय सिंह, अखिलेश सिंह, प्रदीप रजक, रासो सिंह, शाबीर अंसारी के विरोध के कारण उत्पादन चालू नहीं हो पाया और अधिकारी वापस चले गए। वहीं गिद्दी सी रोड सेल में पावर प्लांट की गाड़ी प्रवेश नहीं कर पाई। जबकि पावर प्लांट की तीन हाइवा जीएसटी फेल होने और रोड सेल की तीन कोयला लोड ट्रक तथा 33 खाली ट्रक हड़ताल के कारण परियोजना में ही फंस गई है। साथ ही पावर प्लांट की आई गाड़ी रोड सेल में प्रवेश नहीं कर पाई। वहीं गिद्दी सी व रेलीगढ़ा में विद्युत सबस्टेशन में आपातकालीन सेवा में कोई कर्मी नहीं देने के कारण दोपहर तक दोनों परियोजना में बिजली गुल रही। जबकि गिद्दी परियोजना के विद्युत कर्मी ने श्रम दान कर बिजली परियोजना व कॉलोनी में बहाल कर रखा था। बाद में दोपहर में मोर्चा व प्रबंधन के बीच वार्ता हुई। इसमें तीनों परियोजना के सबस्टेशन में तीनों सिफ्ट में दो-दो कर्मी को आपातकालीन सेवा में ड्यूटी देने के निर्णय के बाद गिद्दी सी व रेलीगढ़ा में दोपहर में बिजली बहाल कर दी गई। उधर कोयला उद्योग में कमर्शियल माइनिग लाने के फैसले से इतनी नाराजगी दिखीं कि कर्मी स्वेच्छा से काम पर नहीं गए। मौके पर मिथिलेश सिंह, बैजनाथ मिस्त्री, अरूण कुमार सिंह, जन्मेजय सिंह, धनेश्वर तुरी, अखिलेश सिंह ने कहा कि 1973 में इंदिरा गांधी ने कोयला उद्योग का राष्ट्रीय करण कर लाखों मजदूरों को रोजगार देने कार्य किया था। परंतु केंद्र की मोदी सरकार कोल इंडिया में कमर्शियल माइनिग लाकर लाखों मजदरों के रोजगार छीनने का प्रयास कर रही है। साथ ही कोयला उद्योग को समाप्त करने की साजिश रच रही है। उन्होंने कहा कि कोयला कर्मियों ने कमर्शियल माइनिग के फैसले के विरोध में शतप्रतिशत हड़ताल कर कोल इंडिया में कमर्शियल माइनिग को नकार दिया। कोयला कर्मियों ने हड़ताल के जरीय केंद्र सरकार को संदेश देने का कार्य कि जान दे देंगे, परंतु कोल इंडिया में खदान निजी मालिकों को नहीं देने देंगे। वहीं बंदी को लेकर गिद्दी पुलिस पदाधिकारी व जवान सभी परियोजनाओं में सुरक्षा के मद्देनजर गस्त लगाते देखा गया। बंद कराने वालों में मिथिलेश सिंह, बैजनाथ मिस्त्री, कन्हैया सिंह, अरूण कुमार सिंह, धनेश्वर तुरी, सीपी संतन, विदेश्वरी सिंह, जन्मेजय सिंह, मधुदूदन सिंह, प्रभात कुमार, अखिनेश सिंह, सुनील सिंह, रासो सिंह, प्रदीप रजक, कृष्णा सिंह, मंगरू महतो, प्रदीप अखौरी, शंभु कुमार, सियाराम साह, जवाहर यादव, सतीश सिंह, अजीत प्रजापति, लखबीर सिंह, नरेंद्र सिंह, देवनाथ महली, घनश्याम पांडेय, गुलाम मुस्तफा, शशि भुषण यिह, रविद्र मिस्त्री, राजेश सिंह, सत्येंद्र सिंह, दशरथ करमाली, विगन महतो, चंदन सिंह, विजय कुमार, लच्छी राम, संजय बक्सी, आनंद, संतु बेदिया, नेमन यादव, विनोद सिंह, रस्का समेत दर्जनों कर्मी उपस्थित थे।