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Jharkhand: अपने बयान पर अड़े पूर्व CM रघुवर दास, कहा- किसी को मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं

पूर्व सीएम रघुवर दास ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-झामुमो समेत समूचा विपक्ष प्रधानमंत्री को सार्वजनिक मंचों से चोर कहता रहा पूरे देश प्रदेश में घूम-घूम कर। यदि चोर शब्द संसदीय तो चोट्टा असंसदीय कैसे है? वह भी मैंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा था कि...

By Vikram GiriEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 06:17 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 06:25 PM (IST)
Jharkhand: अपने बयान पर अड़े पूर्व CM रघुवर दास, कहा- किसी को मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं
पूर्व CM रघुवर दास ने कहा- किसी को मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं। जागरण

रांची (राज्य ब्यूरो) । झामुमो नेताओं को एक शब्द पर मिर्ची लग गई, लेकिन इसके लिए मैं क्या करूं और मैं दोषी कैसे हूं? लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-झामुमो समेत समूचा विपक्ष प्रधानमंत्री को सार्वजनिक मंचों से चोर कहता रहा, पूरे देश प्रदेश में घूम-घूम कर। यदि चोर शब्द संसदीय तो चोट्टा असंसदीय कैसे है? वह भी मैंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा था कि सरकार के भ्रष्टाचार को जनता के सामने ले जाएं। इस पर झामुमो पिनक गया। वह कुछ मामलों की जांच कराने की धमकी दे रहा है। लेकिन रघुवर दास इस तरह की धमकी से डरने वाला नहीं है। जो जांच करनी है कराओ, परंतु यह तो बताओ कि कोयला-बालू का अवैध उत्खनन हो रहा है या नहीं?

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पैसे लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग हो रही है या नहीं? इस पर सरकार के 10 महीने के कार्यकाल में डेढ़ हजार से ज्यादा दुष्कर्म की घटनाएं हुई है या नहीं? यह सब सवाल सीता जी (सीता सोरेन, झामुमो के प्रथम परिवार की पुत्र वधू) ने उठाया है। मीडिया में इससे संबंधित खबरें भरी पड़ी हैं। लेकिन सरकार और सरकारी पार्टी के खैरख्वाह कह रहे हैं कि राज्य में रामराज्य कायम हो गया है। यह रामराज्य वाले सीता जी को तो गलत नहीं कह रहे हैं, लेकिन रघुवर दास पर खीज उतार रहे हैं। झामुमो के नेता यह फरेब फैलाते रचते रहते रहे हैं कि झारखंड उनके आंदोलन की बदौलत बना है।

लेकिन हकीकत यह है कि समय-समय पर क्षुद्र स्वार्थों के चलते झारखंड आंदोलन को बेचा। 1980 में कांग्रेस ने इन्हें पटाया और यह आंदोलन भूलकर जगन्नाथ मिश्र की गाय का दूध पीने लगे। फिर लालू प्रसाद की भैंस का दूध पीने लगे और बाद में नरसिम्हा राव की बकरी का दूध पीते पीते जेल चले गए थे। क्या वह जेल यात्रा झारखंड आंदोलन के कारण हुई थी? नहीं, झामुमो सांसदों ने कांग्रेस सरकार बचाने के लिए घूस ली थी।

उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ इस आधार पर बरी किया था कि मामला चूंकि संसद के अंदर का है, इसलिए वह सजा नहीं दे सकता। जरा सोचिए जिसका शीर्ष नेतृत्व संसद में पैसा लेकर वोट बेचता हो, जिसके घर की बहू चोरी-चकारी, फर्जीवाड़े का खुलेआम आरोप लगाती हो, जिसके राज में अवैध कोयला-बालू लदे ट्रक पकड़े जाने के बावजूद छोड़ दिए जाते हैं, उसे विपक्ष आखिर किस शब्द से विभूषित करे। विपक्ष का काम ही है सरकार को घेरना, उसके कुकृत्यों का पर्दाफाश करना और मैं वह करता रहूंगा।

सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली हज करने चली जाए तो वह हाजी नहीं हो जाएगी, इसलिए मुझे डराइये-धमकाइए मत। मैं हर जांच के लिए तैयार हूं। तीनों वंशवादी पार्टी (झामुमो, कांग्रेस व राजद) की करतूतों की फेहरिस्त लंबी है। बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जाएगी। भाजपा सड़क से सदन तक लड़ने के लिए कमर कस चुकी है। जो सच है मैंने वही कहा है और कहता रहूंगा। बहत्तर छेदवाली छलनी सूप का क्या जांच कराएगी? वैसे भी रघुवर दास कोई कुम्हड़े का बतिया नहीं है, जो किसी की तर्जनी के इशारे पर कुम्हला जाएगा।


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