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World Food Safety Day 2021: इस लंका में होती है अन्न की पूजा, अनाज की बर्बादी पर लगता है दंड

Latehar Jharkhand News World Food Safety Day घर के सदस्यों व पालतू पशु-पक्षियों के लिए हिस्से के अनुसार अनाज बनता है। इससे अनाज की बर्बादी नहीं होती है। ग्रामीणों की सजगता के कारण बीते दस वर्षों से गांव में अनाज की बर्बादी का कोई मामला सामने नहीं आया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 06:23 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 12:23 PM (IST)
World Food Safety Day 2021: इस लंका में होती है अन्न की पूजा, अनाज की बर्बादी पर लगता है दंड
Latehar Jharkhand News, World Food Safety Day घर के सदस्यों व पालतू पशु-पक्षियों के लिए हिस्से अनुसार अनाज बनता है।

लातेहार, [उत्कर्ष पाण्डेय]। लंका गांव में अनाज की बर्बादी पर ग्रामीण दंडित किए जाते हैं। यह अनोखी परंपरा रावण की लंका में नहीं, लातेहार जिले की लंका में वर्षों से चली आ रही है। लातेहार के लंका गांव में निवास करने वाले परहिया परिवार में आदि काल से ही अन्न की पूजा करने और अनाज की बर्बादी पर दंड स्वरूप एक टाइम अनाज नहीं बनाकर ईश्वर से क्षमा मांगने की प्रथा है। इसका पालन गांव के लोग आज भी पूरी शिद्दत से कर रहे हैं। अनाज की बर्बादी को फैशन मानने वालों को इस गांव के ग्रामीणों से प्रेरणा लेकर अनाज की बर्बादी बंद कर, यदि अनाज बच भी जाए तो उसे जरूरतमंद या जानवरों को देना चाहिए।

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हर घर में घर के सदस्यों व जानवरों के हिस्सा अनुसार बनता है अनाज

रंथू परहिया, जगेश्वर परहिया, अकलू परहिया व टीनू परहिया आदि ने बताया कि अनाज की बर्बादी न होने पाए, इसके लिए गांव के लोग हमेशा सजग रहते हैं। अधिकांश घरों में दो समय चूल्हा जलता है। ज्यादातार ग्रामीण लकड़ी के चूल्हे का इस्तेमाल करते हैं। अनाज पकाने से पूर्व महिलाएं घर के प्रत्येक सदस्य से खाने के बारे में पूछताछ करती हैं कि कौन कितना खाना खाएगा। इसके बाद ही घर के सदस्य और पालतू पशु-पक्षियों के हिस्से के अनुसार ही अनाज पकाया जाता है। ताकि अनाज बिल्कुल बर्बाद न हो। लिहाजा गांव में अनाज की बिल्‍कुल बर्बादी नहीं होती।

अनाज की बर्बादी पर दंडस्वरूप एक टाइम नहीं बनता खाना, करनी पड़ती है क्षमा याचना

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पूर्वजों ने अनाज की बर्बादी राेकने के लिए दंड का प्रावधान किया था। इस दंड प्रावधान के अनुसार यदि किसी के घर में अनाज की बर्बादी हुई तो उसे दंड स्वरूप एक टाइम अपने घर में अनाज नहीं बनाते हुए गलतियों के लिए ईश्वर से क्षमा याचना करनी पड़ती है। इसके बाद ही गलतियों की माफी मिलती है। ग्रामीणों ने बताया कि बीते दस वर्षों में ऐसी नौबत नहीं आई है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि किसी ने अनाज की बर्बादी नहीं की।

प्रकृति प्रेमी हैं यहां के ग्रामीण

गांव में परहिया परिवार की संख्या 50 से अधिक है। सभी प्रकृति प्रेमी हैं। गांव में हर साल होने वाली सरहूल पूजा के दौरान गांव में निवास करने वाले ग्रामीणों के साथ मित्र और गांव की सीमा में आने वाले को सुरक्षित रखने के लिए प्रार्थना की जाती है। ग्रामीणों ने दैनिक जागरण से खास बातचीत के दौरान कहा कि हमारे गांव कभी भी आइए। हमलोग गांव आने वालों के लिए भी पूजा करते हैं, इसलिए हमारे गांव की सीमा में प्रवेश करने पर आपको कोई खतरा नहीं रहेगा।

'अनाज की बर्बादी नहीं करने वाले इस गांव के ग्रामीण बधाई के पात्र हैं। कोरोना काल में अनाज की महता को हम सब ने करीब से देखा है। अनाज की बर्बादी कभी न करें, यदि अनाज किसी कारण बच जाता है तो उसे जरूरतमंद को दें या जानवरों को खिला दें।' - बैद्यनाथ राम, पूर्व मंत्री सह विधायक लातेहार विधानसभा क्षेत्र।


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