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रांची मंडल के 35 ट्रेनों में लगाए गए फॉग सेव डिवाइस, रफ्तार में नहीं आई है कोई कमी

डिवाइस की मदद से ट्रेन के चालक को आधा किमी पहले ही सिग्नल आने की जानकारी मिल जाएगी। इससे ट्रेन के परिचालन में लोको पायलट को सहूलियत हो रही है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 10:37 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 10:37 AM (IST)
रांची मंडल के 35 ट्रेनों में लगाए गए फॉग सेव डिवाइस, रफ्तार में नहीं आई है कोई कमी
रांची मंडल के 35 ट्रेनों में लगाए गए फॉग सेव डिवाइस, रफ्तार में नहीं आई है कोई कमी

रांची, [शक्ति सिंह]। घने कोहरे में सुरक्षित यात्रा और समय पर ट्रेनों का परिचालन हो इसके लिए रांची रेल मंडल के 35 ट्रेनों में फॉग सेव डिवाइस लगा दिया गया है। यही वजह है कि घने कोहरे के बाद भी ट्रेनों के परिचालन में ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है और न ही ट्रेनों की रफ्तार में कोई खास कमी आई है। डिवाइस की मदद से ट्रेन के चालक को आधा किमी पहले ही सिग्नल आने की जानकारी मिल जाएगी। कई बार घना कोहरा होने के कारण ट्रेन सिग्नल को पार कर जाता था, इससे ट्रेन दुर्घटना का शिकार हो सकता था। डेढ़ माह पहले इसकी सेवा ट्रेनों में मिलनी शुरू हुई। 

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रांची रेल मंडल ने धनबाद-एलेप्पी एक्सप्रेस में हटिया से राऊरकेला के बीच इस डिवाइस का परीक्षण किया था, जो सफल रहा था। डेढ़ माह के अंदर 90 फीसद कोचिंग ट्रेनों में इसकी सेवा उपलब्ध करा दी गई है। जल्द ही शत प्रतिशत ट्रेनों में इसकी सेवा मिलनी शुरू हो जाएगी। इससे ट्रेन के परिचालन में लोको पायलट को सहूलियत हो रही है। वहीं, मालगाड़ी के इंजन में लोको पायलट को इसकी सेवा नहीं दी गई है। कोचिंग ट्रेनों के बाद भविष्य में मालगाड़ी ट्रेनों में इसकी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। 

डिवाइस के हैं कई विशेषता 

लोको पायलट को सिग्नल आने की सूचना मिलने पर वह सतर्क हो जाएगा और सिग्नल लाल है या हरा। यह समय रहते देख सकेगा, जिससे दुर्घटना पर रोक लगाने पर सहायक होगा। क्रॉसिंग गेट पर लगा सिग्नल नहीं दिखता है और ट्रेन गुजर जाती है। फॉग सेव डिवाइस से लेवल क्रॉसिंग गेट पर लगे सिगनल का भी ड्राइवर को पता चल जाएगा, जिससे बड़ा हादसा रोका जा सकता है। 

ट्रेन के इंजन में पहली फॉग सेव डिवाइस लगाने से लोको पायलट को आधा किमी पहले ही सिग्नल आने का पता चल जाता है, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहतर है। अब तक 35 ट्रेनों में इसकी सेवा दी जा रही है।- नीरज कुमार 

सीपीआरओ, रांची रेल मंडल

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