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पहली बार रेलमार्ग से बांग्‍लादेश गया चावल, दुर्गापुर ड्राइ पोर्ट साइडिंग से रवाना हुए 60 कंटेनर

Durgapur West Bengal News अब चौबीस घंटे में चावल की रैक बांग्लादेश पहुंच जाएगी। सड़क मार्ग से 20 दिन लगते थे। इस कवायद से परिवहन खर्च में बचत होगी। समय भी कम लगेगा। 1639 टन चावल बांग्लादेश भेजा गया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 01:55 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 04:22 PM (IST)
पहली बार रेलमार्ग से बांग्‍लादेश गया चावल, दुर्गापुर ड्राइ पोर्ट साइडिंग से रवाना हुए 60 कंटेनर
इस कवायद से परिवहन खर्च में बचत होगी।

दुर्गापुर, जासं। अब तक चावल व्यापारी सड़क मार्ग से बांग्लादेश चावल भेजते थे। मंगलवार को पहली बार दुर्गापुर से रेलवे मार्ग से कंटेनर के माध्यम से चावल बांग्लादेश (ईश्वरडीह) भेजा गया। यह रैक (रेल वैगन) करीब 24 घंटे में बांग्लादेश पहुंच जाएगी। एक सप्ताह में इस पूरी व्यवस्था को तैयार कर लिया गया। इस प्रकार चावल का बांग्लादेश को निर्यात किफायती एवं समय बचत करने वाला माना जा रहा है। इस काम को आइसीडी एलॉयड सर्विसेज लिमिटेड व भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड ने रेलवे के साथ मिलकर अंजाम दिया है।

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भविष्य में इस प्रकार से चावल भेजने का सिलसिला और तेज होगा। अब तक सड़क मार्ग से चावल समेत अन्य सामग्री बांग्लादेश जाती थी। आइसीडी ही सड़क मार्ग से कंटेनर से बांग्लादेश चावल भेजती थी। ज्यादा समस्या बांग्लादेश में जाम से होती थी। कस्टम अधिकारी मनोज रजक ने बताया कि तीस बोगी में 60 कंटेनर का रैक है। इससे 1639 टन चावल बांग्लादेश भेजा गया है। इस कवायद से परिवहन खर्च में बचत होगी। समय भी कम लगेगा। एक रैक का परिवहन शुल्क करीब चार लाख रुपये है।

एसीडी एलॉयड सर्विसेज लिमिटेड की उप महाप्रबंधक अनुश्री सेन ने बताया कि पहली बार रेलमार्ग से चावल बांग्लादेश भेजा गया है। मालूम हो कि सड़क मार्ग से एक कंटेनर ले जाने पर करीब अस्सी हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। बांग्लादेश बॉर्डर में जाम होता है, इस कारण सड़क से चावल भेजने में करीब 20 दिन लग जाते हैं। पूर्व भारत का यह पहला संचालित ड्राई पोर्ट है। आइसीडी के मैनेजर वीके सेनगुप्ता, कस्टम अधिकारी गोपाल चंद्र, शिव कुमार, अशोक पांडे आदि की मौजूदगी में रैक रवाना हुई।


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