Move to Jagran APP

रिम्स के अग्निशामक एक्सपायर, एक्सटिंग्युशर बना कूड़ादान

रिम्स में अधिकतर अग्निशामक यंत्र एक्सपायर हो चुके हैं। यहां मरीजों से खिलवाड़ किया जा रहा है। बड़ी घटना घट जाए तो कोई देखने वाला नहीं होगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 06:34 AM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 06:34 AM (IST)
रिम्स के अग्निशामक एक्सपायर, एक्सटिंग्युशर बना कूड़ादान
रिम्स के अग्निशामक एक्सपायर, एक्सटिंग्युशर बना कूड़ादान

अमन मिश्रा, रांची :

loksabha election banner

झारखंड के सरकारी अस्पतालों में अगर आग लग जाए तो क्या होगा, इसका अनुमान रिम्स की स्थिति देखने के बाद आसानी से लगाया जा सकता है। राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज रिम्स में फायर सेफ्टी की व्यवस्था तो है लेकिन पूरे अस्पताल में लगे अग्निशमन यंत्र एक्सपायर हो चुके हैं। वहीं फायर एक्सटिंग्युशर में कचड़ा भरा है। आपात स्थिति में कर्मियों को फायर फाइटिंग सिस्टम चालू करने का प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया है। पूरे अस्पताल परिसर में गिने चुने ही दुरुस्त फायर फाइटिंग सिस्टम बचे हैं, वो भी एक आध महीने के भीतर एक्सपायर हो जाने वाला है। एक्सपायर्ड फायर सिलेंडर के भरोसे ही रिम्स की अग्निशमन व्यवस्था टिकी हुई है। इस ओर प्रबंधन का ध्यान नहीं है। शासी परिषद की मंगलवार को हुई 47वीं बैठक में सुरक्षाकर्मियों की बहाली, नर्सो की बहाली, पूरे अस्पताल परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात पर निर्णय लिया गया, लेकिन सुरक्षा के दृष्टिकोण से अस्पताल में जरूरी व्यवस्था को दरकिनार कर दिया गया। बता दें कि अग्निशमन सिलेंडर को लेकर न एक्सपायर होने से पहले कोई निर्णय लिया गया और न ही एक्सपायर होने के बाद रिफिलिंग के लिए कोई टेंडर निकाला गया है। प्रबंधन की लापरवाही दे रही बड़े हादसे को न्योता

अस्पताल प्रबंधन की ये लापरवाही कभी भी किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकती है। इतने बड़े अस्पताल में इमरजेंसी, ट्रामा सेंटर, बर्न वार्ड, सर्जरी, न्यूरो समेत 25 से ज्यादा विभाग हैं। सभी विभागों में 15 सौ से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं। ऐसे में अग्निशमन सिलेंडर के एक्सपायरी डेट को प्रबंधन द्वारा नजरअंदाज करना प्रबंधन की लापरवाही को दर्शाता है। कई विभागों में लगे अग्निशमन सिलेंडर के एक्पायर हुए पांच महीने से भी ज्यादा हो गए हैं। वहीं आधे से ज्यादा सिलेंडर 15 दिन पहले एक्सपायर हो गए। नई बिल्डिंग में पांच महीने पहले ही हो चुके हैं यंत्र एक्सपायर

रिम्स के डेंटल कालेज के ओपीडी से लेकर पूरे बिल्डिंग में कई अग्निशमन यंत्र लगे हैं। सभी बीते साल सितंबर-अक्टूबर में ही एक्सपायर हो चुके हैं। वहीं कार्डियो बिल्डिंग में भी करोड़ों की मशीनें लगी हैं। एक समय में सौ से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं, लेकिन अग्निशमन यंत्र काम नहीं कर रहा है। आंकोलॉजी विभाग की भी यहीं स्थिति है। अग्निशमन यंत्र लगने के बाद किसी को नही दिया गया प्रशिक्षण

अस्पताल के कर्मियों ने बताया कि अस्पताल के सभी विभागों से लेकर पूरे परिसर में फायर फाइटिंग सिस्टम लगा है। लेकिन इसके इस्तेमाल का प्रशिक्षण किसी भी स्टाफ, सुरक्षाकर्मी व नर्सो को नहीं दिया गया है। नियम के अनुसार सभी कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। कार्डियों में मरीजों को होगी ज्यादा परेशानी

कार्डियों विभाग में सैकड़ों दिल के मरीज भर्ती रहते है। अधिकांश को सांस की भी परेशानी होती है। ऐसे में उनके लिए धुआं बहुत हानिकारक है। आग लगने की स्थिति में सांस और दिल के मरीजों की जान भी जा सकती है। आग लगने के दौरान अगर उसपर नियंत्रण पाने के लिए ट्रेंड सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं रहा तो उसपर काबू पाना संभव नहीं होगा। इस दौरान कई जाने जा सकती है। कोई अपना अग्निशमन वाहन तक नहीं है

अस्पताल के कार्डियो, डेंटल व आंकोलॉजी बिल्डिंग और उसके बाहर लगे फायर एक्सटिंग्युशर बॉक्स डस्टबीन बन चुके हैं। इसका पूरा सिस्टम फेल हो चुका है। इतने बड़े अस्पताल में अपना कोई अग्निशमन वाहन तक नहीं है। रिम्स में 2-3 बार इस तरह की घटनाएं घट चुकी हैं, बावजूद प्रबंधन लापरवाह है। अस्पताल में फ्री स्पेस तो है मगर किसी तरह की आकस्मिक घटना घटने की स्थिति में मरीजों को कहीं दूसरे स्थान में शिफ्ट करने के लिए बैकअप स्पेस की व्यवस्था नहीं है। कार्डियों के बाहर लगे पाइपलाइन चोरी हो चुकी है। कोट ::

फायर फाइटिंग को रिफिलिंग के लिए आदेश जारी कर दिया गया है। इसमें फायर फाइटिंग का सुपरविजन होता है। जल्द रिफिलिंग करा दी जाएगी।

-डॉ डीके सिंह, निदेशक रिम्स।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.