रेखा को देखकर अभिनय का लगा चस्का : शिखा स्वस्प
रेखा के अभिनय को देखकर अभिनय शिखा है झारखंड की स्टार कलाकार शिखा स्वरूप ने। शिखा अपनी फिल्म कालाबाजार से लोगों को लुभाने आ रही हैं।
जागरण संवाददाता, रांची
शिखा स्वरूप को मशहूर अदाकारा रेखा की अदाकारी देख अभिनय का चस्का लगा। शिखा रेखा की बड़ी फैन हैं। शिखा कहती हैं, रेखा को पर्दे पर देख-देख अभिनय सीखा। शिखा की पहली फिल्म 'इलाका किशोरगंज' 21 सितंबर को रिलीज हो रही है। शिखा इस क्षेत्र में छोटे-छोटे कदमों से आगे बढ़ी। युवा रंगमंच से जुड़ीं। यहां खूब काम किया। फिर दूरदर्शन से जुड़ीं। एंक¨रग की। एक्टिंग भी की। प्रमोशन प्ले ने ख्याति दी। इससे आत्मविश्वास बढ़ा। धारावाहिकों में काम किया। तमिल, मराठी में काम करने की ख्वाहिशमंद शिखा कहती हैं कि इस क्षेत्र में काफी संघर्ष है। पर, मुकाम पाने के लिए यह जरूरी शर्त है। हमें संघर्ष से घबराना नहीं चाहिए। इससे काम में भी निखार आता है और आत्मविश्वास भी पैदा होता है। शिखा अपनी पहली फिल्म को लेकर उत्साहित हैं। शिखा पिस्कामोड़ में रहती हैं। घर का सपोर्ट है। वे इस क्षेत्र में आगे जाना चाहती हैं। फिल्म उनका शौक नहीं, जुनून है। इस क्षेत्र में वह अपना नाम रौशन करना चाहती हैं।
तेज कंप्यूटर्स, मा देवड़ी मोशन पिक्चर्स के बैनर तले यह फिल्म बनी है। इसकी पूरी शूटिंग राची और इसके आसपास के क्षेत्रों में हुई है। फिल्म में छह गाने हैं। फिल्म के सारे फाइट सीन साउथ स्टाइल में है। वहीं गानों की रिकॉर्डिंग मुंबई में हुई, जिसमें बॉलीवुड सिंगर देव शर्मा, स्वाति शर्मा और दीपाली सेठ ने अपनी आवाजें दी हैं। फिल्म के प्रोड्यूसर रूपेश अग्रवाल हैं।
फिल्म बनाना है मुख्य मकसद
पिस्का मोड़ के पास कुबौली कोठी में लाइट-एक्शन-कैमरा शब्द गूंज रहा है। पचास से ज्यादा तकनीकीशियन और दर्जन भर कलाकार फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हैं। कोठी के बाहर सन्नाटा और अंदर शूटिंग। पेशे से वकील और हरफनमौला संजय अंबष्ठ दो करोड़ की लागत से 'कालाबाजारी का अंत' फिल्म बना रहे हैं। मुख्य कलाकार और तकनीशियन मुंबई से हैं, बाकी कलाकार रांची के हैं। निर्देशक भी रांची, पुदांग के हैं। शूटिंग से थोड़ा समय निकालकर जागरण से बातचीत करते हुए संजय ने बताया कि दो करोड़ की लागत से यह फिल्म बन रही हैं। सलमान खान व अक्षय कुमार की कई फिल्मों में कोरियोग्राफर रहे अकरम खान कोरियोग्राफी कर रहे हैं। बछेंद्री पाल के शिष्य रहे और कंचनजंघा पर फतह करने वाले संजय अंबष्ठ कहते हैं कि फिल्म बनाने का शौक था, लेकिन ऐसी फिल्म जिसे लोग देखें। इसलिए इसकी कहानी और गाने खुद लिखे हैं। यह फिल्म जेपी आंदोलन की भी याद दिलाएगी। दिखेगी झारखंड की खूबसूरती
संजय खुद को हरफनमौला कहते हैं। कहने के पीछे कारण है। वे कंचनजंघा पर चढ़ाई कर चुके हैं। हरिद्वार से कोलकाता तक नॉन स्टाप राफ्टिंग कर चुके संजय कहते हैं कि फिल्म सब्सिडी के लिए नहीं बना रहा हूं। फिल्म पर्दे के लिए बना रहा हूं। लोग इसे देखें। इसमें झारखंड की खूबसूरती भी दिखेगी। पांच सितंबर से शूटिंग शुरू है। पांच अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी। इसके बाद डबिंग आदि काम होंगे। नए साल में इसे रिलीज करने का विचार है। झारखंड से हैं 80 फीसद कलाकार
संजय साफगोई से कहते हैं, एक बेहतर फिल्म बनाना मकसद है। इसलिए अंबर बेदी और अमित शर्मा को इस फिल्म में लिया गया है। यही लीड रोल में हैं। बाकी अस्सी प्रतिशत कलाकार रांची-झारखंड के हैं। राजू श्रीवास्तव के छोटे भाई दीपू श्रीवास्तव दर्शकों को गुदगुदाते नजर आएंगे। हिमालया आर्ट मूवी के बैनर तले बन रही फिल्म के बारे में प्रोडक्शन हेड दिव्या सिंह कहती हैं कि यह एक बेहतर फिल्म है। सभी कलाकार बड़ी मेहनत कर रहे हैं। यहां के लोकेशन बहुत अच्छे हैं। गानों की शूटिंग एक दो दिन बाद मैकलुस्कीगंज में होगी। अपने बारे में दिव्या कहती हैं कि ग्वालियर अपना पैतृक घर है। यहीं पर रंगमंच से जुड़ी। नाटक करती रही। मॉडलिंग भी की। इसके बाद प्रोडक्शन के क्षेत्र में कदम रखा है। पर्दे के पीछे क्या होता है, कितनी मेहनत करती होती है, यह जानना भी जरूरी है। इसलिए, यह काम भी सीख और देख रही हूं। दिव्या कहती हैं, सात सालों से इस क्षेत्र में हूं। बाद में निर्देशन के क्षेत्र में उतरने का विचार है। फिल्म के आर्ट निर्देशक दिलेश्वर लोहरा हैं। लोहरा पटना और बीएचयू से पढे़ हैं और आधा दर्जन फिल्मों में बतौर कला निर्देशन काम कर चुके हैं।