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Farmers Protest Delhi: किसान आंदोलन के छह माह पूरे, काला झंडा फहराकर मनाया काला दिवस

Farmers Protest Delhi कृषि संशोधन कानून के विरोध में किसानों के आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत काला दिवस को कांग्रेस के नेताओं का व्यापक समर्थन मिला। किसानों ने काला झंडा फहराकर काला दिवस मनाया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 27 May 2021 04:41 AM (IST)Updated: Thu, 27 May 2021 06:57 AM (IST)
Farmers Protest Delhi: किसान आंदोलन के छह माह पूरे, काला झंडा फहराकर मनाया काला दिवस
Farmers Protest Delhi: किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर किसानों ने काला झंडा फहराकर काला दिवस मनाया।

रांची, राज्य ब्यूरो। Farmers Protest Delhi कृषि संशोधन कानून के विरोध में किसानों के आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत काला दिवस को कांग्रेस के नेताओं का व्यापक समर्थन मिला। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डा. रामेश्वर उरांव के आह्वान पर राजधानी रांची सहित पूरे राज्य के कांग्रेस नेताओं, कार्यकर्ताओं, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व विधायकों, मंत्रियों एवं पदाधिकारियों ने अपने-अपने घरों में काले झंडे लगाए, काला बिल्ला लगाकर कृषि काले कानून का विरोध किया एवं केंद्र सरकार पर कानून वापस लिए जाने की मांग की।

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प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव के बरियातू स्थित आवासीय कार्यालय में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे,डा राजेश गुप्ता छोटू ने काला बिल्ला लगाकर विरोध जताया। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए उरांव ने कहा कि उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए किसानों के हितों को नजरअंदाज किया गया है।

कानून लाने के पहले ना तो किसानों से ना उनके संगठनों से बात की गई, उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए वेयरहाउस बनवाए गए हैं और उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए काला कानून लाया गया। लोकसभा में बहुमत होने के दौरान उन्होंने जरूर वहां से कानून पास किया लेकिन राज्यसभा में विरोध के बावजूद इन्होंने इस काले कानून को पास किया है। देश की जनता व देश के अन्नदाता इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद भी केंद्र सरकार ने इस काले कानून को वापस नहीं लिया जबकि 200 किसानों की शहादत हो चुकी है। इसे बिना राज्यों की सहमति के लोकसभा व राज्यसभा से पास कराया गया। देश के ज्यादातर प्रदेशों में भाजपा की सरकार रहने के बावजूद राज्यों से कोई सहमति नहीं ली गई। हम एक बार फिर केंद्र की सरकार से मांग करते हैं कि यह काला कानून वापस लें और किसानों के लिए पहले की तरह से जो नियम थे उसे बरकरार रखा जाए।

किसान आंदोलन के छह माह पूरे, भाकपा माले व एक्टू ने राज्यभर में मनाया काला दिवस

किसान आंदोलन के छह माह पूरे होने पर संयुक्त किसान और मजदूर संगठनों के पूर्व घोषित देशव्यापी काला दिवस कार्यक्रम के तहत बुधवार को भाकपा माले और ऑल इंडिया सेंट्रल ट्रेड यूनियन (एक्टू) से जुड़े कार्यकर्ताओं ने माथे पर काली पट्टी और बाहों पर काला फीता बांधकर राज्यभर में काला दिवस मनाया। इन कार्यकर्ताओं ने कृषि संशोधन कानून व लेबर कोड के खिलाफ विरोध जताया और विरोध स्वरूप जिला स्कूल मैदान में कोविड गाइडलाइंस के दिशा-निर्देश का पालन करते हुए प्रतिरोध कार्यक्रम किया।

प्रतिरोध कार्यक्रम कार्यकर्ताओं ने किसान आंदोलन जिंदाबाद, काला कृषि कानून वापस लो, तानाशाही रवैया नहीं चलेगा आदि की नारोबाजी की। मौके पर माले राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद, माले जिला सचिव भुवनेश्वर केवट, मजदूर नेता शुभेंदु सेन, राज्य कमेटी के सदस्य मोहन दता, नंदिता भट्टाचार्य, इनामुल हक, छात्र नेता नौरीन अख्तर आदि उपस्थित थे।


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