सरकार गरीबों तक अनाज पहुंचाए : ज्यां द्रेज
रांची : प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने भूख से मौत के सवाल पर राज्य सरकार को एक बार फिर कठघरे
रांची : प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने भूख से मौत के सवाल पर राज्य सरकार को एक बार फिर कठघरे में खड़ा किया है। ज्यां द्रेज ने अपनी जांच टीम के निष्कर्षो के हवाले से कहा कि झारखंड में लगातार हो रही भूख से मौत को सरकार द्वारा न स्वीकारना करना ठीक नहीं है। गुरुवार को वे और भोजन का अधिकार अभियान के सदस्य एक्सआइएसएस में प्रेस से मुखातिब थे। ज्यां द्रेज ने अपनी जांच रिपोर्ट को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि 2016 से लेकर जून 2018 तक 14 लोगों की भूख से मौत हो गई और इनमें से दस महिलाएं हैं। ये सभी दलित-आदिवासी परिवार से हैं। उन्होंने चतरा से लेकर रामगढ़ और गिरिडीह में हुई कथित भूख से मौतों का हवाला दिया। ज्यां द्रेज ने सवाल उठाया कि आखिर, इनकी भूख से मौत नहीं हुई तो किस कारण हुई? इनके घरों की हालत देखने से साफ पता चलता है कि इन्हें जनवितरण प्रणाली का लाभ नहीं मिल रहा था। कहीं बायोमीट्रिक समस्या थी तो किसी के पास आधार कार्ड नहीं था। उन्होंने कहा कि यह काम सरकार का है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी की मौत भूख से न हो। आधार कार्ड के कारण किसी को अनाज न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने बताया कि खूंटी में साढे़ पांच लाख राशन कार्ड पेंडिंग हैं। आखिर, इसमें गरीबों का क्या कसूर है? उन्होंने सरकार से सभी गरीबों को सरल तरीके से राशन उपलब्ध कराने की मांग की। कहा, पोषक वस्तुएं जैसे दाल और खाद्य पदार्थ में तेल भी इसमें शामिल किया जाए। राज्य में अंत्योदय श्रेणी के अंतर्गत लोगों का दायरा बढ़ाया जाए। आधार से लिंक करने की अनिवार्यता खत्म हो। प्रेसवार्ता में अशर्फी, रामदेव विश्वबंधु, धीरज, स्वाति, सिराज आदि मौजूद थे। इन्होंने चतरा, रामगढ़, हजारीबाग, गिरिडीह में हुई मौत की जमीनी हकीकत को सामने रखा। इस मौके पर फादर स्टेन स्वामी ने भी कहा कि सरकार आदिवासियों की जमीन छीन रही है। उन्हें भूख से मार रही है। भरपेट भोजन नहीं देना चाहती। नगड़ी में डीबीटी को तत्काल बंद करे सरकार
नगड़ी में जन वितरण प्रणाली में डीबीटी पर भी ज्यां द्रेज ने सवाल उठाते हुए कहा, इससे लाभुकों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उल्टे उन्हें परेशानी हो रही है। वहां ज्यां द्रेज की टीम ने भी सर्वे किया तो 97 प्रतिशत इसके विरोध में आए और जब सरकार ने भी अपनी टीम से जांच कराई तो प्रतिशत यही था। ज्यां द्रेज ने कहा कि सरकार को इस योजना को तत्काल बंद कर देना चाहिए। अर्थशास्त्री ज्या द्रेज ने कहा, एक संगठन ने सर्वे कर बताया कि यहा के लोगों को इसका लाभ मिलने में परेशानी हो रही है। पहले अकाउंट में पैसा आता है फिर पैसा निकाल कर अनाज खरीदने जाना पड़ता है। इस पूरी प्रक्रिया में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई लोगों के अकाउंट में पैसा देर से पहुंचता है। सरकार ने दोबारा सर्वे कराया, उसमें भी लोगों ने बताया कि परेशानी है। इस सर्वे में 97 फीसद लोगों ने कहा, डीबीटी योजना सरकार को वापस लेनी चाहिए।