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पुरानी बोतलों पर ब्रांड का लेबल चिपका बेची जा रही नकली शराब, कई जिलों में फैला है यह जानलेवा कारोबार

Jharkhand News in Hindi. पुरानी बोतलें कबाड़ी और कचरे से होकर माफियाओं तक पहुंचती हैं। इसे बनाते समय तत्वों की गुणवत्ता तथा औसत का ख्याल नहीं रखा जाता।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 10:44 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 10:44 AM (IST)
पुरानी बोतलों पर ब्रांड का लेबल चिपका बेची जा रही नकली शराब, कई जिलों में फैला है यह जानलेवा कारोबार
पुरानी बोतलों पर ब्रांड का लेबल चिपका बेची जा रही नकली शराब, कई जिलों में फैला है यह जानलेवा कारोबार

रांची, जेएनएन। झारखंड में पुरानी बोतलों में भररकर नकली शराब बेचने का धंधा खूब फल-फूल रहा है। राज्य के दर्जनों इलाके में शराब माफियाओं ने इसकी फैक्ट्रियां खोल रखी हैं। समय-समय पर उत्पाद विभाग और पुलिस की छापेमारी में ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। इस धंधे के जरिये माफिया जहां एक ओर बिना कोई टैक्स चुकाये नकली माल बेचकर लाखों कमाते हैं, वहीं लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ करते हैं। नकली शराब के इस खेल से शराब बनाने वाली बड़ी-बड़ी ब्रांडेड कंपनियां भी परेशान हैं।

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कबाड़ी से खरीदी जाती हैैं खाली बोतलें

नकली शराब के इस धंधे से कई लोग जुड़े रहते हैं। शराब पीने के बाद फेंकी गई या जमा कर बेची गई बोतलें कबाडिय़ों से होकर इन धंधेबाजों तक पहुंचती हैं। इसके बाद बोतलों की धुलाई कर उनपर किसी भी ब्रांड का लेबल लगाकर उसमें नकली शराब भरकर बाजार में बेच दिया जाता है। बाजार में पहुंचने के बाद नकली की पहचान मुश्किल हो जाती है।

कई बार जानलेवा भी साबित हो चुकी है नकली शराब

नकली शराब के सेवन से कई बार उपभोक्ताओं की जान भी चली जाती है। रांची समेत पूरे झारखंड में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। इसे बनाते समय इसमें उपयोग किए जाने वाले तत्वों की गुणवत्ता तथा औसत का ख्याल नहीं रखा जाता। इससे शराब जहरीली भी बन जाती है।

कई बार पकड़ा जा चुका है नेटवर्क

हजारीबाग में सितंबर 2019 में उत्पाद विभाग ने विष्णुगढ़ के सुदूरवर्ती अरजरी पीरो गांव में छापेमारी कर नकली विदेशी शराब बनाने की फैक्ट्री का खुलासा किया था। फैक्ट्री से 500 लीटर स्प्रिट, 400 लीटर तैयार विदेशी नकली शराब, 20 हजार आइबी और आरएस कंपनी के रैपर, झारखंड सरकार का नकली होलोग्राम उत्पाद स्टीकर, 20 हजार से अधिक ढक्कन और पांच हजार से अधिक खाली बोतलें बरामद की थीं। झारखंड और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र चतरा जिले के हंटरगंज एवं प्रतापपुर प्रखंड के सुदूरवर्ती गांवों में अवैध शराब की सैकड़ों भट्ठियां संचालित हो रही हैं।

यहां से अवैध शराब सीमावर्ती राज्य बिहार के विभिन्न जिलों में आपूॢत की जाती है। इसी तरह रामगढ़ प्रखंड के कैथा व गोबरदरहा में भी पिछले दिनों छापेमारी कर पुलिस ने नकली विदेशी शराब बनाने के फैक्ट्री का खुलासा किया था। यहां से रेडीमेड एक हजार लीटर विदेशी नकली शराब की बोतलें, 50 हजार से अधिक विभिन्न ब्रांड के रैपर, कैप बरामद किए गए थे। झारखंड सरकार का नकली होलोग्राम उत्पाद स्टीकर व ब्लेंडर प्राइड, आरएस, ओसी ब्लू आदि के एक हजार से अधिक खाली बोतलें बरामद की गई थीं।

लगभग हर जिले में फैला है धंधा

लोहरदगा जिले में 2 वर्षों में दो अवैध शराब फैक्ट्रियों का खुलासा हुआ है। मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी। बुधवार 24 जून को भी कुडू के बरहनिया में शराब की अवैध फैक्ट्री का खुलासा हुआ है। कोडरमा जिले में वर्ष 2015 में डोमचांच थाना अंतर्गत ढोढाकोला के जंगली क्षेत्र से में शराब की मिनी प्लांट का उद्भेदन हुआ था। यहां काफी मात्रा में विभिन्न ब्रांडों की शराब की बोतलें, रैपर, ढक्कन के अलावा काफी मात्रा में तैयार माल बरामद किए गए थे। इसके बाद अक्सर यहां से नकली शराब की बरामदगी होती रही है।

सरायकेला के खरसावां रोड में मुक्ती पोखर के घर में छापेमारी कर नकली विदेशी शराब बनाने की फैक्ट्री का खुलासा उत्पाद विभाग ने किया था। यहां से दो हजार फुल बोतल शराब 150 लीटर  स्प्रिट, आइबी और आरएस कंपनी के रैपर, भारी मात्रा में झारखंड सरकार का नकली होलोग्राम उत्पाद स्टीकर आदि बरामद किए गए थे। पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर में विगत 16 मार्च को सीतारामडेरा थाना के छायानगर में उत्पाद विभाग ने नकली विदेशी शराब की फैक्टरी पकड़ी गई थी।

फैक्टरी में ब्रांडेड कंपनी की नकली शराब बनाने के लिए स्प्रीट समेत अन्य सामान धनबाद से मंगाए गए थे। इसी तरह पलामू, गढ़वा, खूंटी, सिमडेगा, लातेहार एवं अन्य जिलों के विभिन्न थाना क्षेत्रों में अवैध शराब के धंधे तथा उत्पादन की खबरें समय समय पर प्रकाश में आती रही हैं। विभागीय स्तर से कार्रवाई भी समय समय पर होती रही है।


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