Naukri.com में विज्ञापन डाल ठगी करने वाली कंपनी के आॅफिस में छापेमारी Ranchi News
रांची के लालपुर में ऑफिस बंद कर एचबी रोड के श्री लोक कांप्लेक्स में रेलवे में नौकरी का झांसा देकर युवाओं को चूना लगाया जा रहा था। छापेमारी के बाद एक कर्मी को हिरासत में लिया गया।
रांची, जासं। स्मोक मल्टीप्रोलजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा करोड़ों रुपये की ठगी का मामला सामने आने के तीसरे ही दिन एक और कंपनी का नाम सामने आया है। कंपनी यूनियनएटिक प्राइवेट लिमिटेड है, जिसपर नौकरी डॉट कॉम में रेलवे की नौकरी का विज्ञापन डाल लोगों को झांसे में लेकर ठगी करने का आरोप है। शहर के एचबी रोड स्थित श्रीलोक कांप्लेक्स के चौथे तल्ले पर चल रहे यूनियनएटिक प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय में पुलिस ने गुरुवार को छापेमारी की।
इस कंपनी का कार्यालय पहले लालपुर स्थित आरएस टावर में चल रहा था। वहां कार्यालय बंद कर इन दिनों श्रीलोक कांप्लेक्स में चल रहा था। इसकी सूचना पुलिस को दिए जाने के बाद लोअर बाजार पहुंचकर पुलिस ने छापेमारी की। वहां के कर्मी नवनीत को हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने कार्यालय में रखे सारे दस्तावेज भी जब्त कर लिए हैं। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। हालांकि इस मामले में किसी ने लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराई है।
रेलवे में नौकरी का झांसा देकर की ठगी
ठगी के शिकार छात्रों के अनुसार नौकरी डॉट कॉम में रेलवे की नौकरी का विज्ञापन देख उसमें आवेदन दिया था। आवेदन करने के बाद उन्हें कॉल किया गया। कॉल कर यूनियनएटिक प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय में बुलाया गया। कार्यालय बुलवाने के बाद 1300 रुपये वसूले गए। सैकड़ों छात्रों को रेलवे में नौकरी का झांसा दिया गया है। हालांकि गुरुवार को थाना पहुंचे ठगी के शिकार पीडि़तों को पैसे लौटा दिए गए थे। हालांकि लोअर बाजार के प्रभारी थानेदार बैजनाथ कुमार का कहना है कंपनी की कार्यशैली की जांच चल रही है। पूरी छानबीन के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
सुपरवाइजर की नौकरी देने का झांसा
ठगी के शिकार छात्रों के अनुसार उन्हें रेलवे में कांट्रैक्ट पर नौकरी का झांसा दिया जा रहा था। कहा गया था कि सुपरवाइजर के पद पर उन्हें नौकरी दी जाएगी। उनका काम प्लैटफॉर्म की साफ-सफाई व ट्रेनों की सफाई का ध्यान रखना रहेगा। छात्रों द्वारा रुपये देने के बाद भी महीनों बीत जाने पर उन्हें नौकरी नहीं मिली। छात्रों ने जब पूछताछ की तो उन्हें हटिया रेलवे स्टेशन बुलाया जाता था। वहां पहुंचने पर कोई नहीं मिलता था।