जानें इन शातिरों को, डीजीपी के असली नंबर से एसपी को कर देते हैं फर्जी कॉल
Cyber Crime. साइबर अपराधी असली नंबर से फर्जी कॉल कर लोगों से ठगी कर रहे हैं। केबीसी के नाम पर डीवीसी कर्मी से 90 लाख रुपये की ठगी का मामला रांची में सामने आ चुका है।
रांची, [फहीम अख्तर]। अगर किसी एसपी (पुलिस अधीक्षक) के मोबाइल पर डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) के नंबर से फोन आए और कोई आदेश हो तो क्या करना होगा समझा जा सकता है। यही फोन अगर कोई साइबर अपराधी कर दे तो उसके इंपैक्ट का अनुमान लगाया जा सकता है। ऐसा हो रहा है। डीजीपी के असली नंबर से एसपी को फर्जी कॉल किया जा सकता है। डीजीपी का नंबर तो उदाहरण की तरह है। साइबर अपराधी किसी के भी मोबाइल नंबर से किसी को भी फोन मिला सकते हैं। वे झांसे में डाल ठगी कर रहे हैं। इंटरनेट की दुनिया की तकनीक और उनकी खामियों का भरपूर फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं। गूगल प्ले स्टोर पर ऐसे एप मौजूद हैं, जिससे किसी के मूल नंबर का इस्तेमाल करते हुए दूसरे व्यक्ति को फोन किया जा सकता है।
ऐसे करते हैं असली जैसा फर्जी कॉल
मान लीजिए आप डीजीपी के नाम पर उनके मोबाइल नंबर से किसी को फोन करना चाहते हैं। गूगल प्ले स्टोर से फेक कॉल एप को इंस्टॉल करने के बाद डीजीपी का नंबर कॉलर आइडी पर सेट कर किसी भी एसपी या अधीनस्थ अधिकारी को कॉल करना संभव है। दूसरी तरफ घंटी बजेगी तो मोबाइल में सेव किया हुआ डीजीपी का नाम और नंबर दिखने लगेगा। इस तरह के 44 कॉल के लिए 633 रुपये अदा करने होंगे।
इसी फॉर्मूले से बैंक अधिकारियों के असली नंबर से फर्जी कॉल किए जा रहे हैं। कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी)जैसे कार्यक्रम के नाम पर ठगी के लिए कॉल किए जा रहे हैं। रांची के साइबर थाना में कौन बनेगा करोड़पति से संबंधित कॉल कर 90 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आ चुका है। कोडरमा के डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) के कर्मचारी प्रभु महतो को चार करोड़ रुपये पुरस्कार का झांसा देकर 90 लाख रुपये ठग लिए गए थे।
उनसे सवाल पूछे गए और कहा गया कि आपने बिल्कुल सही जवाब दिया है। इस वजह से आप चार करोड़ रुपये जीत गए हैं। प्रोसेसिंग शुल्क, टैक्स आदि के नाम पर 90 लाख रुपये ठग लिए गए। इसमें फोन नंबर कौन बनेगा करोड़पति का उपयोग किया गया है। साइबर पुलिस को आशंका है कि इसमें भी फेक कॉल एप का इस्तेमाल किया गया है। इसी तरह डोरंडा के सत्यनारायण सिंह के खाते से साढ़े तीन लाख रुपये की इसी माह ठगी हुई। बैंक के नंबर से कॉल कर ठगी की गई। इसमें भी फेक कॉल एप का इस्तेमाल किया गया। साइबर पुलिस इसी दिशा में जांच कर रही है।
मुश्किल है अपराधी को पकड़ना
फेक कॉल एप के जरिये किए गए कॉल को पुलिस के लिए ट्रेस कर पाना भी मुश्किल है। इस तकनीक को विकसित वाली कंपनी ने इसके दुष्परिणाम को नहीं सोचा होगा, लेकिन आने वाले दिनों में यह घातक रूप भी ले सकता है। रांची के साइबर थाने की पुलिस को इसकी जानकारी मिली तो उसके होश फाख्ता हो गए। टीम पता लगा रही है कि ऐसे फेक कॉल करने वाले शातिरों को कैसे पकड़ा जा सकता है, इस एप के क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।
फर्जी कॉल एप 10 लाख से अधिक लोगों ने इंस्टॉल किया है। इंस्टॉल करने के बाद इसका इस्तेमाल भी यूजर फ्रेंडली है। इंस्टॉल करने के बाद पांच कॉल फ्री दिए जाते हैं। फ्री कॉल के बाद 44 कॉल का ऑप्शन आता है। इसके लिए ऑनलाइन पेमेंट के जरिये 633 रुपये लगते हैं। इसी तरह ज्यादा कॉल के लिए अलग-अलग राशि की मांग की जाती है।
संदिग्ध कॉल के सत्यापन के बाद ही बातचीत करें
फेक कॉल एप के जरिये ठगी हो रही है। संदिग्ध कॉल के सत्यापन के बाद ही बातचीत करनी चाहिए। संदिग्ध लगने पर तुरंत पुलिस को सूचित कर प्राथमिकी दर्ज कराएं, ताकि पुलिस कार्रवाई कर सके। -सुमित प्रसाद, डीएसपी साइबर क्राइम थाना रांची।