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झारखंड में इस कोल परियोजना पर रहा है उग्रवादियों का साया, जानें अब क्‍यों है चर्चा में

झारखंड की एक कोल परियोजना अपने स्‍थापना के समय से चर्चा में रही है। परियोजना शुरू होने के बाद से ही इस पर उग्रवादियों और अपराधियों का साया रहा। अब यह घोटाले की वजह से चर्चा में है। सीबीआइ ने इसका पता लगाने के लिए देशभर में छापेमारी की है।

By Brajesh MishraEdited By: Published: Mon, 30 Aug 2021 01:05 PM (IST)Updated: Mon, 30 Aug 2021 01:05 PM (IST)
झारखंड में इस कोल परियोजना पर रहा है उग्रवादियों का साया, जानें अब क्‍यों है चर्चा में
झारखंड की एक कोल परियोजना अपने स्‍थापना के समय से चर्चा में रही है।

 चतरा,जासं। झारखंड की एक कोल परियोजना अपने स्‍थापना के समय से चर्चा में रही है। परियोजना शुरू होने के बाद से ही इस पर उग्रवादियों और अपराधियों का साया रहा। अब यह घोटाले की वजह से चर्चा में है। सीबीआइ की ओर से हाल ही में इन परियोजना में हुई कोयले की लूट को लेकर पूरे देशभर में छापेमारी की गई है। इसके बाद इस परियोजना को लेकर देश दुनिया के लोगों की जिज्ञासा बढी है। हम बात कर रहे हैं भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली कंपनी सीसीएल के टंडवा स्थित अम्रपाली कोल परियोजना की। प्रारंभ से ही यह परियोजना लगातार किसी न किसी विवाद में रही है। परियोजना की स्थापना से ही यहां उग्रवादी तथा आपराधिक घटनाएं होती रही हैं। इसकी असली वजह लेवी तथा रंगदारी वसूली रही है। कभी भाकपा माओवादी, तो कभी तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी के उग्रवादी परियोजना क्षेत्र में वर्चस्व को लेकर खून खराबा करते रहे हैं। अम्रपाली कोल परियोजना की स्थापना वर्ष 2013-14 में हुआ है। उस वक्त तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी का वर्चस्व था। टीएसपीसी के शीर्ष नेतृत्व ने ओवर बडन हटाने वाली कंपनी के साथ मिलकर करोड़ों नहीं, अरबों रुपये का वारा-न्यारा की है। टेरर फंडिंग इह मामले की जांच एनआईए कर रही है। इसमें संलिप्त एक दर्जन से अधिक उग्रवादी एवं लाइजनर जेल की हवा खा रहे हैं। रविवार को अमन गिरोह के गुर्गों का हमला पूर्व नियोजित है। अमन साहू गिरोह के सदस्य पहले से ही रंगदारी की मांग कर रहे थे। आरकेटीसी को कोल ट्रांसपोर्टेशन का काम पिछले ही महीना मिला है। उससे पूर्व अंबे माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड की सहायक कंपनी कोयले का परिवहन कर रहा था। परिवहन का ठेका समाप्त होने के बाद आरकेटीसी को रोकने की बहुत कोशिश हुई थी। यहां तक के आंदोलन का भी रूप दिया गया था। लेकिन यसह सब काम नहीं आया और 26 जुलाई से आरकेटीसी कोयले का परिवहन शुरू कर दिया। ऐसे में यह भी संभावना जताई जा रही है कि कहीं अंबे माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के लोग अमन गिरोह से मिलकर घटना नहीं कराया है। वैसे यह सिर्फ संभावना है। इसका कहीं से कोई प्रमाणिकता नहीं है। इधर घटना के बाद डीआईजी और एसपी टंडवा में ही कैंप किए हुए हैं।

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