Exclusive Interview: बाबूलाल बोले- मुंडा-रघुवर पुराने साथी, भाजपा से बाहर रहना राजनीतिक तपस्या
Exclusive Interview of Babulal Marandi. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मेरा भाजपा से बाहर रहना राजनीतिक तपस्या जिम्मेदारी तय करना भाजपा का काम।
रांची, [आनंद मिश्र]। झारखंड विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सोमवार 17 फरवरी को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष अपनी पार्टी का भाजपा में विधिवत विलय करने जा रहे हैं। बाबूलाल मरांडी ने वर्ष 2006 में भाजपा छोड़ी थी और पूरे 14 वर्ष बाद घर वापसी कर रहे हैं, निश्चित रूप से यह उनके लिए खास क्षण है। इतने वर्षों तक भाजपा से दूरी और अब वापसी का निर्णय उन्होंने क्यों लिया, भाजपा में अपनी नई भूमिका को लेकर वह क्या सोचते हैं जैसे तमाम सवालों पर उन्होंने शनिवार को दैनिक जागरण के प्रिंसिपल कॉरेस्पोंडेंट से खुलकर बात की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश।
आप 14 वर्ष बाद भाजपा में घर वापसी कर रहे हैं। इतने वर्षों तक भाजपा से दूरी और अब वापसी। कैसा महसूस कर रहे हैं।
हमने 2006 में भाजपा छोड़ी थी। लेकिन हम कहीं गए नहीं थे। 2006 से 2014 वर्षों तक जनता के बीच रहे। इस दौरान लगभग छह से सात लाख किलोमीटर की यात्रा की। झारखंड को नजदीक से देखने का मौका मिला। लोगों के दुख-तकलीफ को महसूस किया। इसे आप राजनीतिक तपस्या भी कह सकते हैं।
आपको क्या लगता है, भाजपा में आपको क्या जवाबदेही सौंपी जा सकती है।
दायित्व संगठन को सौंपना है। हमने अपनी ओर से कह दिया है कि हमें घूमने-फिरने का काम सौंप दें। बाकी पार्टी क्या निर्णय लेती है, यह उन्हें तय करना है।
झाविमो के भाजपा में विलय के साथ ही संगठन के स्तर पर बड़ा फेरबदल होने वाला है। ऐसे में झाविमो कार्यकर्ताओं की भूमिका क्या होगी?
झारखंड विकास मोर्चा 11 फरवरी को भाजपा में विलय का प्रस्ताव पारित कर चुकी है। भाजपा को इस प्रस्ताव से भी अवगत करा दिया गया है। अब हमारे साथ जितने लोग जुड़े हैं उनकी भूमिका भाजपा को तय करनी है।
भाजपा में शामिल होने को लेकर तकनीकी या संवैधानिक अड़चन तो पेश नहीं आएगी?
हमारी पार्टी ने भाजपा में विलय का प्रस्ताव पारित कर दिया है और इससे भाजपा को भी अवगत करा दिया गया है। भाजपा ने भी अपनी सहमति दे दी है। इलेक्शन कमीशन को भी इसकी सूचना दे दी गई है। अब हमारा रोल समाप्त हो गया है।
आपकी पार्टी के विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की आपके फैसले से सहमत नहीं है। वे पार्टी से निष्कासित भी किए जा चुके हैं। ऐसे में विधानसभा में वे झाविमो के विधायक के तौर पर जाने जाएंगे या नहीं। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भी कुछ ऐसी ही स्थिति बनीं थी।
यह हम नहीं बात सकते कि तकनीकी रूप क्या होगा, लेकिन इतना तो कहूंगा कि उस समय दल का विलय नहीं हुआ था। इस बार वर्किंग कमेटी ने सर्वसम्मति से विलय का प्रस्ताव पारित किया है। इलेक्शन कमीशन को भी लिखित रूप में इसकी सूचना दे दी गई है।
भाजपा इतने सालों से आपको वापस लाने का प्रयास कर रही थी, आखिर वापसी के लिए अभी का वक्त क्यों चुना। पूर्व में आपके लिए बेहतर परिस्थितियां थीं।
यह सच है कि 2006 में लोकसभा चुनाव जीतने के साथ ही उनकी तरफ से वापसी की कोशिशें की गई थीं। पिछले 12-13 सालों से भाजपा, आरएसएस व अन्य मित्र बार-बार मुझसे कहते थे, लेकिन मैं बहुत देर तक अड़ा रहा। अब जब मन हुआ तो लगा अब देर क्या करना है। जहां तक निर्णय लेने की बात है तो इसे संयोग कह सकते हैं।
आपकी भाजपा में वापसी के बाद खेमेबाजी तो नहीं बढ़ेगी। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा जैसे नेताओं से रिश्ते कैसे रहेंगे।
हम सभी लोगों ने पूर्व में साथ में काम किया है। एक परिवार की तरह रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि कहीं कोई खेमेबाजी होगी। कहीं कोई अड़चन नहीं आएगी। 2006 में तकलीफ हुई थी तब हमने भाजपा छोडऩे का निर्णय लिया था। आज परिस्थितियां अलग हैं।
आपकी भाजपा में वापसी को लेकर आरएसएस का रोल अधिक रहा कि भाजपा के शीर्ष नेताओं का।
आरएसएस, भाजपा और मेरे करीबी मित्रों की ओर से बीच-बीच में वापसी के लिए कहा जाता था, तब हमने कह दिया था कि हम नहीं जा सकते हैं। वापसी के लिए किसी एक व्यक्ति ने मुझे प्रभावित नहीं किया।