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Jharkhand Assembly Election 2019: कल जिन पर था भाजपा का दारोमदार, वे आज हुए लाचार

झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के टिकट पर संशय है। दिनेशानंद ताला मरांडी अभयकांत प्रसाद व रवींद्र राय के लिए टिकट की राह आसान नहीं है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 10:11 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 07:00 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: कल जिन पर था भाजपा का दारोमदार, वे आज हुए लाचार
Jharkhand Assembly Election 2019: कल जिन पर था भाजपा का दारोमदार, वे आज हुए लाचार

रांची, [आनंद मिश्र]। सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश में कमान संभालने वाले कई पूर्व अध्यक्ष इन दिनों अपने राजनीतिक वजूद को लेकर चिंतित दिखाई दे रहे है। दिनेशानंद गोस्वामी, रवींद्र राय, अभयकांत प्रसाद और ताला मरांडी ऐसे ही चेहरे हैं। ताला मरांडी को छोड़ दें, तो इन सभी पूर्व अध्यक्षों ने अपना कार्यकाल पूरा किया है। कभी पार्टी का सिंबल बांटने की हैसियत रखने वाले इन पूर्व अध्यक्षों के खुद के टिकट पर इस बार संशय दिखाई दे रहा है।

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लोकसभा से गए रवींद्र राय की विधानसभा की राह भी कठिन

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय को लोकसभा चुनाव में ही पार्टी ने उनकी हैसियत का अहसास करा दिया था। भाजपा में ऐसा कम ही होता है कि वर्तमान सांसद का टिकट काटा जाए। राय की जगह कोडरमा से राजद छोड़कर पार्टी मेंं शामिल हुईं अन्नपूर्णा देवी को टिकट दिया गया था। बात इतने पर ही खत्म नहीं होती। विधानसभा चुनाव मेंं भी उनके टिकट की राह आसान नहीं दिखती।

राय पूर्व में धनवार से विधायक चुने जा चुके हैं, इस बार भी उसी क्षेत्र से चुनाव लडऩे को इच्छुक हैं। लेकिन, पार्टी उन्हें टिकट देगी या नहीं, इसे लेकर संशय है। रवींद्र राय ने लोकसभा चुनाव से पूर्व स्कूलों के विलय के मसले पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। चर्चा यही है कि इस एक गलती का खामियाजा वे अब तक भुगत रहे हैं।

कुणाल ही इस बार भी बनेंगे गोस्वामी का रोड़ा

भाजपा के तेज तर्रार प्रदेश अध्यक्षों में से एक रहे दिनेशानंद गोस्वामी 2014 के विधानसभा चुनाव मेें बहरागोड़ा सीट से भाजपा की पहली पसंद थे। 2014 में वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कुणाल षाडंगी से चुनाव हार गए थे। पिछले पांच सालों से वे 2019 के विधानसभा चुनाव की तैयारी के सिलसिले से पसीना बहा रहे हैं। लेकिन, यह अभी से महसूस होने लगा है कि बहरागोड़ा में भाजपा की पहली पसंद इस बार गोस्वामी नहीं रहेंगे। कुणाल षाडंगी इस बार चुनाव से पूर्व ही उनका रोड़ा बनते दिखाई दे रहे हैं। कुणाल के भाजपा में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है।

महज एक गलती का खामियाजा भुगत रहे ताला मरांडी

ताला मरांडी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर कम समय ही रहे। ताला ने किसी को भरोसे में लिए बगैर प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा कर दी थी। इसका विरोध हुआ और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस घटना के बाद से ताला मरांडी चुप हैं, पार्टी लाइन से इतर उन्होंने कोई कदम भी नहीं उठाया है। बावजूद इसके, अभी तक वे प्रदेश नेतृत्व का भरोसा हासिल नहीं कर सके हैं। इस बार ताला के टिकट पर भी कैंची चल सकती है।

अभयकांत प्रसाद को इस बार मौका मिलना मुश्किल

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अभयकांत प्रसाद जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं। इस बार भी इच्छुक हैं, लेकिन टिकट की राह आसान नहीं है। बताया जा रहा है कि कई बार चुनाव हार चुके अभयकांत प्रसाद को भाजपा इस सक्रिय राजनीति से ससम्मान विदा करेगी। वर्तमान में प्रसाद झारखंड राज्य सहकारी बैंक निदेशक पर्षद के अध्यक्ष हैं।


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