नई चुनौती : कोरोना को दी मात, पर साइड इफेक्ट से पस्त
अमन मिश्रा रांची काठीटांड की रहनेवाली शीतल शुक्ला 11 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव हुईं।
अमन मिश्रा, रांची : काठीटांड की रहनेवाली शीतल शुक्ला 11 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव हुईं। 12 दिन बाद रिपोर्ट निगेटिव आई। ढाई महीने बीतने को है लेकिन अब भी कमजोरी हो रही है। सुस्ती लगती है। इससे पहले कोई समस्या नही थी, लेकिन कोरोना से ठीक होने के बाद फेफड़े में संक्रमण फैल गया है। तीन अस्पतालों के डाक्टर से दिखाने के बाद भी समस्या जस की तस है। अचानक धड़कन बढ़ जाती है। डाक्टर ने एचआर सीटी जांच लिखा है। इसी तरह बरियातू के रहनेवाले संतोष सोनी ने कोरोना को तो मात दे दिया। लेकिन उनकी परेशानी कम नहीं हुई। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी स्थिति इतनी खराब थी कि किसी तरह सांसें चल रही थीं। आक्सीजन सेचुरेशन 70 से 75 तक पहुंच गया था। ठीक होने के बाद भी तीन महीने तक बेड रेस्ट पर रहा। रिम्स के चिकित्सकों से लगातार परामर्श लेने के बाद भी राहत नहीं मिली। अब पोस्ट कोविड केयर सेंटर खुलने के बाद दोबारा इलाज के लिए पहुंचे। पिछले एक माह में तीन बार बुखार हो चुका है। दरअसल, कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने के बाद भी लोगों में कई तरह के लक्षण विकसित हो रहे हैं। कई लोगों में सुस्ती, कमजोरी के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। किसी को किडनी में परेशानी है तो किसी को फेफड़े में। रिम्स के पोस्ट कोविड केयर सेटर में ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं। हर दिन 15 से 20 मरीजों की काउंसिलिग पोस्ट कोविड केयर सेंटर में की जा रही है।
क्या कहते हैं सेटर कोआर्डिनेटर
सेंटर कोआर्डिनेटर डा. देवेश कुमार ने बताया कि अब तक जितने भी मरीज फालोअप के लिए पहुंचे, उनमें से अधिकतर में कई तरह के लक्षण पाए गए। दरअसल, संक्रमण होने के बाद कई मरीजों में देखा जा रहा है कि दो या तीन महीनों के बाद उनमें लक्षण विकसित हो रहा है। संक्रमण के साइड इफेक्ट के रूप में किसी के पाचन तंत्र में तो किसी के हार्ट, किडनी और लंग्स में इफेक्शन हो रहा है। पोस्ट कोविड केयर सेंटर में काउंसलिग के साथ मरीजों को जांच व दवाएं भी दी जा रही हैं। 10 दिन पहले हुई थी शुरुआत
रिम्स में बीते सोमवार को पोस्ट कोविड केयर एंड काउंसिल सेंटर (पीसीसीसीसी) का संचालन शुरू किया गया था।
पीसीसीसीसी इमरजेंसी में पुलिस बूथ के बगल वाले कमरे में बनाया गया है।
पोस्ट कोविड केयर सेंटर हर दिन सुबह 10 से 11.30 व दोपहर 3 बजे से 4.30 तक संचालित हो रहा है।
यहां लंग्स की क्षमता बढ़ाने के लिए ब्रीदिग एक्सरसाइज, योग, फिजियोथेरेपी व इम्युनिटी बूस्टर, खानपान के अलावा व्यवहारगत बदलावों के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।
मरीजों को न्यूरोलाजिकल, कार्डियक व अन्य परेशानियों के बारे में विशेषज्ञ चिकित्सक परामर्श दे रहे।
लक्षणवाले मरीज या जिन्हें आक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था, उन्हें महीने में एक बार केंद्र पर आकर जांच करानी होती है। रिम्स प्रबंधन कॉल कर मरीजों को दे रहा अप्वाइंटमेट
रिम्स में पोस्ट कोविड केयर सेंटर खुलने के बाद से रिकवर हो चुके मरीजों के हेल्थ की लगातार मॉनिटरिग हो रही है। परामर्श और काउंसिलिग के अलावा रिम्स प्रबंधन ने एक और नई पहल की है। पहले रिम्स पहुंचने के बाद भी मरीजों को डाक्टर से समय लेने और दिखाने में परेशानी होती थी। अब पोस्ट कोविड केयर सेंटर के डाक्टर खुद मरीजों को कॉल कर एक सप्ताह के बाद का अप्वाइंटमेट दे रहे हैं ताकि मरीजों को प्रॉपर केयर और काउंसिलिग मिल सके। रिम्स प्रबंधन ने उन तमाम मरीजों की सूची तैयार की है जिनका इलाज पहले रिम्स में हो चुका है। डा. देवेश ने बताया कि हर दिन करीब 50 रिकवर्ड मरीजों को फोन कर एक सप्ताह बाद बुलाया जाता है। कई मरीज बाहर या दूसरे जिले में होने के कारण नही आ पाते, लेकिन अधिकांश अस्पताल पहुंचकर काउंसिलिग कराते है। कोई लक्षण दिखने पर उसका भी बेहतर इलाज कराया जाता है। कोरोना से स्वस्थ होने के बाद क्या आ रही परेशानी
फेफड़ो का संक्रमण बरकरार
गले में संक्रमण का असर
जोड़ों पर भी दिख रहा प्रभाव
डायबिटिक रोगियों की भी बढ़ी परेशानी
पेट से जुड़ी परेशानी आ रही सामने
मांसपेशियों को कर रहा कमजोर
ब्लड प्रेशर की भी समस्या
स्कीन एलर्जी
किडनी रोग में हुई बढ़ोतरी
ऑक्सीजन सेचुरेशन की समस्या बनी हुई रिम्स के पोस्ट कोविड क्लीनिक में किस रोग से संबंधित कितने पहुंचे मरीज
बीमारी मरीजों की संख्या
फेफड़ा 21
बीपी व शुगर 15
सांस लेने में शिकायत 10
सीने में दर्द 15
मामूली सर्दी, बुखार दो दर्जन
वहम के शिकार 15