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इंप्लाई को ह्यूमन क्लाउड की तरह काम करना होगा

समय तेजी से बदल रहा है और उसी रफ्तार से कंपनियों की जरुरतें भी बदल रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 04:00 AM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 04:00 AM (IST)
इंप्लाई को ह्यूमन क्लाउड की तरह काम करना होगा
इंप्लाई को ह्यूमन क्लाउड की तरह काम करना होगा

जागरण संवाददाता, रांची : समय तेजी से बदल रहा है और उसी रफ्तार से कंपनियों की जरुरतें भी बदल रही हैं। इंप्लाई को भी जरुरत के अनुसार खुद को बदलना होगा। इंप्लाई को ह्यूमन क्लाउड की तरह काम करना होगा। यानी कंपनी में कार्य करने वाले अधिकारी या कर्मचारी ऑफिस से बाहर रहते हुए ठीक उसी तरह कार्य करें जिस तरह वे आफिस में करते हैं। ऐसा टीम वर्क की भावना से संभव हो सकता है। ये बातें आइआइएम रांची द्वारा आर्यभट्ट सभागार में आयोजित एचआर कॉन्क्लेव में मार्स एंड मेकलन के डायरेक्टर एचआर दीपायन सेन शर्मा ने कही। कान्क्लेव की थीम- फ्यूचर आफ वर्क, वर्कफोर्स एंड वर्क प्लेस था। शर्मा ने कहा कि कंपनी में हमेशा अपना बेस्ट देने की कोशिश होनी चाहिए। इससे पहले आइआइएम के एक्टिंग डायरेक्टर प्रो. रेखा सिंघल व प्रो. असित महापात्रा ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। आयोजन को सफल बनाने में आइआइएम के हायर क्लब के महक महाजन, तरु, संजना, हरिता, जय, प्रकृति आदि का योगदान रहा।

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चुंबक बने ताकि लोग खींचे चले आए

द वेब ग्रुप की रश्मि मनसा रमाणी ने कहा कि किसी भी आर्गेनाइजेशन में तीन तरह के लोग होते हैं। एक होते हैं जो हमेशा देने में विश्वास रखते हैं, चाहे उन्हें उसके बदले रिटर्निग कुछ मिले या ना मिले। दूसरे ऐसे लेाग होते हैं उन्हें जितना मिल रहा है उसी हिसाब से कंपनी को भी रिटर्न देते हैं। तीसरे लोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ लेने में विश्वास रखते हैं। आप हमेशा देने की भूमिका में रहेंगे तो आपकी भी जरुरतें पूरी होती जाएगी। मैग्नेट की तरह बनें ताकि सभी आपकी ओर आकर्षित होते रहें। ध्यान रहे कि किसी भी सिस्टम को शानदार प्रदर्शन के लिए उसके सभी कंपोनेंट को अपना सौ फीसदी देना होगा। इमेरट्स डॉ. देवी सिंह ने कहा कि चींटी की फिलास्पी को अपनाएं। गिरना प्रकृति का नियम है। इस दौरान दूरदर्शिता होनी चाहिए। जो भी काम करें वह लंबे समय तक मान्य रहे। अपने चारों ओर सस्टेनेबल इन्वायरामेंट बनाएं।

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ध्यान रहे टेक्नोलॉजी आपको कंट्रोल नहीं करे

क्रॉम्पटॉन ग्रीव्स के सीएचआरओ सत्यजीत मोहंती ने कहा कि हमें लगता है कि हम टेक्नोलॉजी का अधिक उपयोग कर रहे हैं। लेकिन सच तो यह है कि टेक्नोलॉजी हमें कंट्रोल कर रहा है। आर्गेनाइजेशन में टेक्नोलॉजी के कंट्रोल में नहीं आएं, बल्कि आप उसे कंट्रोल करें। माइक्रोलैंड के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट सुजीतेस दास ने कहा कि अधिक इंप्लाई कंपनी के लिए बोझ नहीं होता है, उसे वर्क फोर्स करेंसी के तौर पर देखें और सही उपयोग करना चाहिए। कोकूया केमलिन के सीएचआरओ चंद्रशेखर ने हमेशा बदलाव के लिए तैयार रहने की बात कही।


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