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Emergency Story: भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश सिंह ने बताई आपातकाल की कहानी... पिता यशराज सिंह के साथ दोनों भाई भी हुए थे गिरफ्तार

Emergency in India Emergency Story झारखंड के कोडरमा जिले के भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश सिंह ने आपातकाल की कहानी बताई है। उन्होंने बताया कि उनके पिता यशराज सिंह के साथ दोनों भाई को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

By Sanjay KumarEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 01:07 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 01:09 PM (IST)
Emergency Story: भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश सिंह ने बताई आपातकाल की कहानी... पिता यशराज सिंह के साथ दोनों भाई भी हुए थे गिरफ्तार
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कोडरमा, जासं। Emergency in India, Emergency Story आज ही के दिन 25 जून 1975 की मध्यरात्रि को पूरे देश में लगे आपातकाल लगने के बाद दूसरे ही दिन 26 जून को झारखंड के कोडरमा जिले में विद्रोह की आग भड़क उठी थी। सैकड़ों की संख्या में जेपी आंदोलनकारियों व अन्य लोगों ने जुटकर तिलैया थाने का घेराव किया। बाद में भीड़ से पथराव शुरू हो गया। थाने में जबरदस्त तोड़फोड़ हुई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करनी पड़ी। बाद में इसी दिन रात को तत्कालीन समाजवादी नेता यशराज सिंह (अब स्वर्गीय) गिरफ्तार कर लिए गए।

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वहीं आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभानेवाले छात्र संघर्ष मोर्चा के संयोजक स्व. यशराज सिंह के पुत्र रमेश सिंह पुलिस के हिटलिस्ट में थे। 67 वर्षीय रमेश सिंह वर्तमान में भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वे पूर्व में तीन बार भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़े थे।

स्व. यशराज सिंह।

रमेश सिंह बताते हैं, उनके पिता यशराज सिंह तब बड़े सोशलिस्ट नेता वे। वे उस दौर में लोकसभा व विधानसभा चुनाव लड़े थे। जेपी आंदोलन में वे काफी आगे बढ़कर काम कर रहे थे। 26 जून की रात उनके पिता के गिरफ्तार के बाद पुलिस उन्हें (रमेश सिंह) को सरेंडर करने के लिए उनके परिवार पर दबाव बनाने लगे। लेकिन वे भूमिगत हो गए थे। बाद में दबाव बनाने के लिए उनके छोटे भाई सुरेश सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

स्व. सुरेश सिंह।

रमेश सिंह बताते हैं, सुरेश सिंह का आंदोलन से कोई लेनादेना नहीं था। करीब तीन महीने के बाद पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद करीब 19 माह बाद जेल से छूटे थे। अपने संस्मरण के आधार पर रमेश सिंह बताते हैं, उस दौर में उनके जैसे हजारों छात्र जेपी के आह्वान पर पढ़ाई बीच में ही छोड़कर कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन में कूद पड़े थे। आपातकाल के पूर्व ही जेपी की संपूर्ण क्रांति आंदोलन के दौरान वे तीन बार निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर सभा करने और एक बार तत्कालीन सांसद शंकरदयाल सिंह पर पथराव करने के मामले में वे गिरफ्तार हो चुके थे। उनके साथ अशोक वर्मा, विष्णु वर्णवाल, मुन्ना सुल्तानिया, मोहन अंबष्ठ सहित दर्जनों छात्र एवं युवा गिरफ्तार होकर जेल गए थे।

उन्होंने बताया कि इस बीच 25 जून की रात पूरे देश में आपातकाल की घोषणा से आंदोलन और भी उग्र हो गया। आपातकाल के बाद पुलिसिया दमन और बढ़ा और सरकार के खिलाफ बोलनेवाले सैकड़ों लोग अंग्रेजी हुकूमत के दौरान बने कानून डीआआर और मीसा के तहत गिरफ्तार किए गए। एकीकृत हजारीबाग जिले का कोडरमा अनुमंडल उस दौर में आंदोलन का बड़ा केंद्र था।

उन्होंने बताया कि जयप्रकाश नारायण के अलावा कर्पूरी ठाकुर, वशिष्टनारायण सिंह, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार समेत उस दौर तमाम बड़े नेताओं ने यहां जनसभा व बैठक की थी। कांग्रेस के खिलाफ जनाक्रोश का ही परिणाम था कि इमरजेंसी के बाद 1977 में पहली बार कोडरमा लोकसभा बना और यहां चुनाव हुए तो जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में रीतलाल प्रसाद वर्मा चुनाव जीते थे।


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