अनुराग गुप्ता प्रकरण में चुनाव आयोग का जवाब चुनाव के दौरान किसी भी अधिकारी के तबादले का अधिकार
रांची झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में एडीजी अनुराग गुप्ता की याचिका पर चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट में कहा कि चुनाव के समय किसी अधिकारी के तबादले का उसे अधिकार है।
रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में एडीजी अनुराग गुप्ता की याचिका पर बहस पूरी कर ली गई। इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अनुराग गुप्ता की ओर से चुनाव के दौरान राज्य से बाहर रहने के चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती दी है।
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि जनप्रतिनिधि कानून की धारा (28ए) के तहत आयोग को चुनाव के दौरान किसी भी अधिकारी का तबादला करने का अधिकार है। मिजोरम में आयोग की ओर से ऐसा ही कदम उठाया गया है। अदालत को बताया गया कि अनुराग गुप्ता विशेष शाखा के एडीजी पद पर तैनात थे। विशेष शाखा के मुखिया होने के नाते इनके पास कई तरह की खुफिया सूचनाएं आती थीं। नक्सली मूवमेंट व राजनीति पार्टियों को सुरक्षा देने का जिम्मा भी इनके पास था। राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग के यहां आवेदन देकर इनको चुनाव कार्य से अलग रखने का आग्रह किया था। इन पर राज्यसभा चुनाव के दौरान विधायक निर्मला देवी पर दबाव बनाने का आरोप लगा है, जो गंभीर मामला है। दलों की शिकायत व मतदाताओं को प्रभावित करने की आशंका को देखते हुए चुनाव आयोग ने उन्हें राज्य के बाहर पदस्थापित किया है। जहां तक इनको पद देने की बात है, यह अधिकार राज्य सरकार को है कि उन्हें किस पद पर पदस्थापित किया जाए। इस पर अदालत ने कहा कि जब 2016 के राज्यसभा चुनाव में इनपर आरोप लगा तो इस बीच हुए कई उपचुनाव के दौरान क्या उन्हें चुनाव से अलग रखा गया था? जिस पर आयोग की ओर से बताया गया कि उस दौरान इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। मतदान के लिए दें आवेदन
अनुराग गुप्ता की ओर से मतदान से दूर रखने की बात पर आयोग की ओर से कहा गया कि अगर वो मतदान के लिए रांची आना चाहते हैं, तो उन्हें इसके लिए चुनाव आयोग के पास आवेदन देना होगा। जिसपर चुनाव आयोग विचार करेगा।
बता दें कि चुनाव आयोग के निर्देश पर राज्य सरकार ने एडीजी अनुराग गुप्ता का तबादला कर दिया था। आयोग की ओर दिए आदेश में अनुराग गुप्ता के लोकसभा चुनाव तक राज्य में आने पर रोक लगाई गई है। इसको लेकर अनुराग गुप्ता की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें कहा गया है कि राज्य से बाहर रहने के आदेश से उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है, इसलिए आयोग के आदेश को निरस्त किया जाए।