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Lockdown Update: खनन क्षेत्र पर लॉकडाउन का असर, कोयले की कमी से छोटे उद्योगों-ईंट भट्ठों पर आफत

Lockdown Update. खान विभाग ने रोड सेल चालू करने का आदेश दिया है। लेकिन उपायुक्तों को शारीरिक दूरी सुनिश्चित कराना है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2020 11:26 AM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2020 11:26 AM (IST)
Lockdown Update: खनन क्षेत्र पर लॉकडाउन का असर, कोयले की कमी से छोटे उद्योगों-ईंट भट्ठों पर आफत
Lockdown Update: खनन क्षेत्र पर लॉकडाउन का असर, कोयले की कमी से छोटे उद्योगों-ईंट भट्ठों पर आफत

रांची, राज्य ब्यूरो। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के मद्देनजर कोयला खदानों में उत्पादन घटा दिए जाने से अब इसका असर हजारों की संख्या छोटे-बड़े उद्योगों पर पड़ सकता है। इन उद्योगों में पहले से ही उत्पादन प्रभावित है, जिस कारण इनसे जुड़े लाखों मजदूरों के सामने खाने-पीने की भी समस्या हो गई। यह एक ऐसा सेक्टर है, जहां मजदूरी मासिक तौर पर नहीं बल्कि प्रतिदिन की हाजिरी के आधार पर मिलती है। जाहिर सी बात है कि वेतन नहीं रोकने का आदेश इस सेक्टर में प्रभावी नहीं हुआ और बड़ी संख्या में मजदूर या तो पलायन कर गए या फिर दाने-दाने को मोहताज हैं।

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ऐसे मजदूरों को रोजगार देनेवाले सेक्टरों में सबसे महत्वपूर्ण है ईंट भट्ठा। राज्य में इनकी संख्या ढाई हजार के आसपास है और लगभग 100 के आसपास अवैध रूप से भी संचालित हैं। स्थानीय स्तर पर बंगाली ईंट भट्ठों के संचालन की जानकारी भी कई जिलों से हैं जिसपर समय-समय पर कार्रवाई होती रहती है। इन उद्योगों के बंद होने से इससे संबंधित मजदूर, ट्रांसपोर्टर, ड्राइवर, हेल्पर आदि भी बड़े पैमाने पर प्रभावित हो रहे हैं। महीने भर के लॉक डाउन में करोड़ों का कारोबार प्रभावित हुआ है।

लॉक डाउन के कारण रोड सेल बंद होने से इन उद्योगों को कोयला मिलना बंद हो गया। ट्रांसपोर्टिंग भी बंद। ऐसे में कोयला मजदूरों के सामने भी बड़ी समस्या आ गई है। सोमवार, 20 अप्रैल से रोड सेल की अनुमति दी जा रही है। खान विभाग ने इस संदर्भ में सभी उपायुक्तों और खनन कंपनियों को निर्देश दे दिए हैं। इसके बावजूद पुरानी रफ्तार में कोयले का ना तो उत्पादन हो सकेगा और ना फिर ट्रांसपोर्टेशन। कारण यह है कि उपायुक्तों को निर्देश दिया गया है कि वे शारीरिक दूरी के सिद्धांतों का पालन करते हुए ऐसे उद्योगों के संचालन की अनुमति प्रदान करें। ऐसा होने पर कई इलाकों में मजदूरों की संख्या स्वत: कम हो जाएगी।

हालांकि ईंट भट्ठों को चालू करने के लायक कोयला एक सप्ताह के अंदर पहुंच जाएगा। कई ईंट भट्ठों के संचालकों ने पूर्व से राशि जमा कर बुकिंग कर रखी है, उन्हें कोयला मिल सकता है। ईंट भट्ठों पर कार्यरत मजदूरों में से ज्यादातर को संचालक उन्हीं क्षेत्रों में रखकर उनके खाने-पीने का इंतजाम कर रहे हैं। मजदूर किसी कारण से वापस चले गए तो समस्या और भी बढ़ सकती है। ऐसे में भा संचालकों में अधिक बोझ तो पड़ ही रहा है और मजदूरों को भोजन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा। अगले कुछ दिनों में छोटे उद्योगों के लिए भी कोयला मिलने लगेगा।

इससे उन उद्योगों का संचालन भी शुरू हो जाएगा। कोयला आधारित ऐसे हजारों छोटे-बड़े उद्योगों से लाखों लोग जुड़े हैं जिनके सामने रोजी-रोटी की समस्या आ गई है। लोडिंग सेक्टर में सभी हाजिरी आधारित कर्मी हैं, ट्रांसपोर्टिंग सेक्टर में वेतन आधारित तो हैं लेकिन काम नहीं करने की स्थिति में वेतन की गारंटी नहीं होती है। कई ट्रकों का संचालन राउंड के आधार पर होता है और ड्राइवरों को राउंड के आधार पर ही भुगतान किया जाता है। इन सभी के सामने यह समस्या तब तक बनी रहेगी जब तक पूरी व्यवस्था सही तरीके से चालू ना हो जाए।

ढुलाई के इंतजार में खड़ी हैं सैंकड़ों गाडिय़ां

रामगढ़ जिले की सबसे बड़ी कोयला मंडी कुजू ट्रांसपोर्ट नगर में लगभग 200 रैक कोयला ढुलाई के इंतजार में खड़ी है। यहां से प्रतिदिन औसतन 100 गाडिय़ां बनारस व अन्य मंडियों में कोयला लेकर जाती हैं। इसी तरह यहां के बरका-सयाल क्षेत्र में जहां-तहां एक 100 से अधिक गाडिय़ा खड़ी है। यहां से प्रतिदिन 50 से 60 गाडिय़ां देश के विभिन्न मंडियों में जाती हीं। फिलहाल सीसीएल के खदानों से उत्पादित कोयला केवल रेलवे रैक के माध्यम से देश के विभिन्न पावर प्लांटों में जा रही है।

अप्रैल में रोड सेल के लिए नहीं लगी बोली

धनबाद में लॉकडाउन की वजह से अप्रैल माह में रोड सेल के लिए कोयले की बोली भी नहीं लगी। 15 व 16 अप्रैल को 84,500 टन कोयले व स्लरी की बिडिंग होनी थी। बीसीसीएल ने उत्पादन तो कम कर दिया है, लेकिन ढुलाई के लिए प्रबंधन इजाजत नहीं दे रहा। वहीं बीसीसीएल धनबाद के कर्मचारी भी लॉकडाउन में फंसे हैं।

'सभी उपायुक्तों और कोल कंपनियों को रोड सेल चालू करने से संबंधित जानकारी दे दी गई है। गृह मंत्रालय के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराना उपायुक्तों का काम है और फिलहाल उन्हें ही कर्मियों की संख्या को लेकर निर्णय लेना है।' -अबू बकर सिद्दीख पी., सचिव, खान।


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