अब झारखंड के प्रज्ञा केंद्रों पर भी इ-स्टांप-10 रुपये स्टेशनरी चार्ज लगेगा, स्टांप पेपर की कालाबाजारी पर सरकार का हथौड़ा
स्टांप पेपर की घोर किल्लत के बीच इसकी कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं।
रांची, विनोद श्रीवास्तव। कम मूल्य के स्टांप पेपर की घोर किल्लत तथा इसकी कालाबाजारी करने वालों पर अंकुश लगाने का मसौदा सरकार ने तैयार किया है। तय मसौदे के अनुसार अब राज्य के प्रज्ञा केंद्रों पर भी इ-स्टांप की बिक्री होगी।
इस एवज में क्रेता को 500 रुपये तक के स्टांप पर प्रति स्टांप 10 रुपये का स्टेशनरी चार्ज देना होगा। राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार किया है। प्रस्ताव पर विधि, वित्त एवं विभागीय मंत्री ने अपनी मुहर लगा दी है। कैबिनेट की हरी झंडी मिलते ही पूरे राज्य में यह व्यवस्था प्रभावी हो जाएगी।
बताते चलें कि स्टांप पेपर की छपाई पर होने वाले व्यय तथा इसकी कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को इ-स्टांप की बिक्री के लिए प्राधिकृत किया था।
2013 में विभाग और कॉरपोरेशन के बीच हुए करार के बाद से बैंकों, डाकघरों, इंश्योरेंस कंपनियों आदि वित्तीय संस्थानों के माध्यम से इ-स्टांप की बिक्री हो रही है। इस एवज में कॉरपोरेशन को इ-स्टांप की कुल बिक्री का 0.65 फीसद हिस्सा बतौर कमीशन दिया जा रहा है।
विभाग की दलील है कि संबंधित वित्तीय संस्थानों से इ-स्टांप प्राप्त करने में आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इससे इतर कम कमीशन की वजह से भी संबंधित संस्थान एक, पांच, 10 और 20 रुपये के स्टांप बेचने में अपेक्षाकृत कम दिलचस्पी ले रहे हैं।
संस्थानों का मानना है कि स्टांप की छपाई पर होने वाला व्यय कमीशन से कहीं अधिक पड़ रहा है। ऐसे में छोटे मूल्यों के स्टांप पर 10 रुपये कमीशन देने से संस्थानों की दिलचस्पी इसमें बढ़ेगी। साथ ही प्रज्ञा केंद्रों को इस कार्य के लिए प्राधिकृत किए जाने पर यह और भी सहजता से लोगों को उपलब्ध हो सकेगा।
एक रुपये की टोकन राशि पर 50 लाख तक की रजिस्ट्री का भी पेच
पिछले साल से एक रुपये की टोकन राशि पर महिलाओं के लिए 50 लाख रुपये तक की अचल संपत्ति की रजिस्ट्री की छूट ने भी सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। एक तो इस निर्णय के प्रभावी होने के बाद सरकार को राजस्व का काफी नुकसान हुआ है, वहीं दूसरी ओर कम मूल्य के स्टांप की उपलब्धता कम रहने से महिलाओं को अधिक मूल्य देकर इसे खरीदना पड़ रहा है।
इन परेशानियों से बचने के लिए विभाग ने यह मसौदा तय किया है। बहरहाल यह व्यवस्था उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और दमनदीव में प्रभावी है।