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हजारीबाग में कामयाब ई-नाम, बिहार के किसानों के आएगा काम

बिहार में कृषि बाजार अधिनियम लागू नहीं है। ऐसे में बिना एक्ट के ई-नाम कैसे प्रभावी बन सकता है। इसके अलावा एफपीओ के गठन को लेकर भी जानकारी ली। इसके लिए इचाक एग्रो प्रोड्यूसर फार्मर कंपनी के निदेशक अशोक मेहता से बात की और ट्रेड के बारे में जानकारी ली।

By Madhukar KumarEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 09:10 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 09:10 PM (IST)
जाना कैसे आनलाइन बिकता है उत्पाद, बिहार की 20 मंडियां जुड़ेंगी

हजारीबाग, जागरण संवाददाता। हजारीबाग कृषि बाजार समिति द्वारा ई-नाम पर किया गया काम अब पड़ोसी राज्य बिहार के काम आने वाला है। कृषि विभाग बिहार सरकार के एग्रीकल्चर प्रोड्यूस वैल्यू एडिशन सिस्टम की दो सदस्यीय टीम गुरुवार को हजारीबाग कृषि बाजार समिति पहुंची। टीम में शामिल नवीन भूषण और अमित कुमार ने ई-नाम के माध्यम से किसानों को जोडऩे की प्रक्रिया समेत व्यापार की जानकारी ली। जाना कि कैसे हजारीबाग बाजार समिति घर बैठे किसानों के खाते में पैसे पहुंचा रही है। बिहार में इसे कैसे शुरू किया जा सकता है और इसमें क्या-क्या समस्याएं आ सकती हैं।

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बिना एक्ट के ई-नाम के कैसे बन सकता है प्रभावी

टीम ने जानकारी दी कि बिहार में कृषि बाजार अधिनियम लागू नहीं है। ऐसे में बिना एक्ट के ई-नाम कैसे प्रभावी बन सकता है। इसके अलावा एफपीओ के गठन को लेकर भी जानकारी ली। इसके लिए इचाक एग्रो प्रोड्यूसर फार्मर कंपनी के निदेशक अशोक मेहता से बात की और ट्रेड के बारे में जानकारी ली। हजारीबाग बाजार समिति के सचिव राकेश कुमार ङ्क्षसह ने निबंधन की पूरी प्रक्रिया बताई। कहा कि यह बेहद सरल है। पोर्टल पर आधार कार्ड, बैंक पासबुक और मोबाइल नंबर के माध्यम से निबंधन कराया जा सकता है। इसके अलावा कृषि उत्पाद की खरीद बिक्री, डिजिटल भुगतान की जानकारी समेत अन्य जानकारियां दी गईं। टीम शुक्रवार को झारखंड राज्य कृषि विपणन परिषद के प्रबंधन निदेशक मनोज कुमार और कृषि विभाग के सचिव से भी मुलाकात करेगी।

बज रहा है डंका 

हजारीबाग में केंद्र सरकार के कृषि पोर्टल ई-नाम का डंका बज रहा है। यह देश की टॉप मंडियों में शामिल है और व्यापार में पूरे झारखंड में नंबर वन है। अब तक छह करोड़ का डिजिटल भुगतान ई-नाम के माध्यम से किया गया है। करीब 30 हजार किसान इस पोर्टल से जुड़े हुए हैं। जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने बिहार के 20 मंडियों को ई-नाम से जोडऩे ही सहमति दी है। इसके लिए डीपीआर भी भेज दिया गया है। डीपीआर की मंजूरी के बाद प्रत्येक मंडी को इसके लिए 75 लाख रुपये भी प्राप्त होंगे। वर्तमान में बिहार के कुछ किसान यहां से कृषि उत्पाद की खरीद बिक्री कर रहे हैं। साथ ही चार फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) ने हजारीबाग कृषि बाजार समिति में निबंधन भी करा लिया है।

ई-नाम से कैसे होती है खरीद बिक्री 

कृषि मंत्रालय के ई पोर्टल का खरीद बिक्री बेहद आसान है। इसका पोर्टल यूजर फ्रेंडली है। व्यापारी और किसान दोनों को पोर्टल पर पंजीकृत होना रहता है। इसके लिए आधार, बैंक एकाउंट और मोबाइल इसके दिए गए कॉलम में भरना होता है। पंजीकृत होने के बाद इनका यूजर आइडी और पासवर्ड जेनरेट होता है। जैसे कोई किसान बाजार समिति के माध्यम से ई-नाम पोर्टल पर अपने उपज को बिक्री के लिए प्रदर्शित करता है तो पंजीकृत व्यापारी आनलाइन बोली लगाते हैं और जिसकी बोली सबसे अधिक होती है वही खरीदार होता है। ये सभी प्रक्रिया आनलाइन होती है।


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