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उपवास पर रहकर झारखंड के 70 हजार पुलिसकर्मियों ने की ड्यूटी

राज्य के 70 हजार पुलिसकर्मियों-पदाधिकारियों ने भूखे पेट रहकर बुधवार को ड्यूटी दी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 05:31 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 05:31 AM (IST)
उपवास पर रहकर झारखंड के 70 हजार पुलिसकर्मियों ने की ड्यूटी
उपवास पर रहकर झारखंड के 70 हजार पुलिसकर्मियों ने की ड्यूटी

रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य के 70 हजार पुलिसकर्मियों-पदाधिकारियों ने भूखे पेट रहकर बुधवार को अपनी ड्यूटी की। अपनी सात सूत्री मांगों के समर्थन में झारखंड पुलिस एसोसिएशन, झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन व झारखंड पुलिस चतुर्थवर्गीय कर्मचारी संघ आंदोलित है।

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बुधवार का सामूहिक उपवास कार्यक्रम आंदोलन का दूसरा चरण था। अब तीसरे चरण में 27 फरवरी की आधी रात से चार मार्च तक यानी पांच दिनों के सामूहिक अवकाश का कार्यक्रम है। राज्य में चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों से लेकर इंस्पेक्टर स्तर तक के सभी पदाधिकारी अवकाश पर चले जाएंगे।

सामूहिक उपवास के कार्यक्रम में बुधवार को जो जहां कार्यरत थे, वहीं उपवास पर रहकर उन्होंने अपनी ड्यूटी की। इस दरम्यान सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक पुलिसकर्मी उपवास पर रहे। इससे पूर्व 12 से 14 फरवरी तक ये पुलिसकर्मी काला बिल्ला लगाकर अपनी ड्यूटी कर चुके हैं।

हालांकि अब तक उनकी मांगों पर सरकार के स्तर पर कोई विचार नहीं किया जा सका है। इस आंदोलन में तीनों संघों के केंद्रीय पदाधिकारी, विशेष शाखा, सीआइडी, झारखंड जगुआर, आइआरबी, वायरलेस, अग्निशमन के साथ ही पुलिस मुख्यालय में पदाधिकारी, प्रतिनियुक्त पदाधिकारी व कर्मी आदि शामिल थे।

क्या है पुलिसकर्मियों की सात सूत्री मांगें

- सीमित विभागीय प्रतियोगिता परीक्षा नियमावली को बिना कोई परीक्षा लिए समाप्त किया जाय।

- 13 माह के वेतन देने के आश्वासन को पूरा किया जाए।

- सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुरूप पुलिसकर्मियों के भत्तों को पुनरीक्षित दर से दिया जाय।

- एसीपी-एमएसीपी मामले का शीघ्र निपटारा किया जाय एवं इसकी गणना नियुक्ति की तिथि से की जाय।

- शहीद-मृत पुलिसकर्मियों के आश्रित को नौकरी के लिए अधिकतम उम्र सीमा को शिथिल करने की छूट ने व आश्रित परिजन को मिलने वाली राशि में से 25 फीसद उनके माता-पिता को दी जाय।

- नई पेंशन नियमावली की जगह पुरानी पेंशन योजना लागू की जाय।

- वरीय पुलिस पदाधिकारी की तरह ही कनीय पुलिस पदाधिकारियों व कर्मियों को भी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जाय व इसकी नियमावली को सरल बनाया जाय।


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