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तेजी से घूमने लगे कुम्हारों के चाक

बोडेया गांव में कुम्हारों के चाक तेजी से घूमने लगे हैं

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 06:00 AM (IST)
तेजी से घूमने लगे कुम्हारों के चाक
तेजी से घूमने लगे कुम्हारों के चाक

रघुवीर प्रसाद, रांची : राजधानी से 10 किलोमीटर दूर बोडेया गांव में कुम्हारों के चाक तेजी से घूमने लगे हैं। कुम्हारों के हाथ मिट्टी को आकार देने में लगे हैं। धूप में सूखने के लिए कच्चे दीयों की कतार लंबी होती जा रही है। आषाढ़ माह से चल रही इस तैयारी में कुम्हारों का पूरा परिवार जुटा हुआ है। पिछले वर्ष कोरोना के कारण दीपावली का बाजार प्रभावित हुआ था। अब कुम्हार और उनके परिवार के सदस्यों ने मिट्टी के दीये और खिलौने बनाने में दिन रात एक कर दिया है। साथ ही अब कुम्हार बढ़ती मांग को देखते हुए कुल्हड़, केतली, हांडी भी बना रहे हैं। छोटे-बड़े दीये के अलावा रंगीन दीये भी बाजार में मौजूद हैं। कुम्हार के यहां से दीये 80 रुपये से लेकर करीब 100 रुपये सैकड़ा तक में बिक रहे हैं। साथ ही चाय या खाना बनाने वाली हंडी की कीमत 80 रुपये से लेकर 300 रुपये तक है। बाजार में ज्यादातर कुल्हड़ बंगाल से आते हैं। बाजार में रांची में बने कुल्हड़ भी बिक रहे हैं। इसकी कीमत 150 रुपये सैकड़ा है।

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विड चाइम्स, लैंप और चाय की प्याली पसंद कर रहे लोग

गेतलातूू केदल स्थित कुम्हार बिमल प्रजापति ने बताया कि, मिट्टी से बने किचन अप्लायंसेस और डेकोरेशन आइटम लोगों को काफी आकर्षित करते हैं। ये सारे उत्पाद कोलकाता से आते हैं। इसकी खूबसूरती लोगों में ऐसी है कि एक बार देखने के बाद लोग इसे खरीदना चाहते है। पिछले वर्ष कोरोना महामारी के दौरान भी इन सभी सामग्रियों की बिक्री ठीक हुई।

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मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने के फायदे

मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से खाने में आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा पाई जाती है। ये शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। साथ ही मिट्टी के बर्तनों में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, जो आग और नमी को बराबर सर्कुलेट करते हैं। इससे खाने के पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं।

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चाइनीज नही स्वदेशी है लोगों की पसंद

चाइनीज आइटम के बजाय अब लोग मिट्टी से बने आइटम ज्यादा खरीद रहे हैं। आमतौर पर घर सजाने में 5-10 हजार रुपये का खर्च होता है। लेकिन मिट्टी के उत्पाद किफायती दामों में खरीदकर खुद के घर के साथ-साथ इन कारीगरों का घर भी रोशन कर रहे हैं।

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मिट्टी उत्पादों की ये है कीमत समान रेट विड चाइम्स 150 रुपये से लेकर 700 रुपये तक

लैंप 150 रुपये से लेकर 450 रुपये तक

लक्ष्मी-गणेश मूर्ति 50 रुपये से लेकर 600 रुपये तक

लाफिग बुद्धा 350 रुपये से रुपये से लेकर 700 रुपये तक

गौतम बुद्ध 500 रुपये से लेकर 1250 रुपये तक

चाय की प्याली 250 रुपये से लेकर 400 रुपये तक (6 पीस)

प्लेट 200 रुपये (6 पीस)

केतली 350 रुपये से लेकर 450 रुपये तक

वाटर बोटल 100 रुपये से लेकर 200 रुपये तक

फ्लावर पॉट 1000 रुपये प्रति(जोड़ा)

गमला 300 रुपये

कुल्हड़ 150 रुपये (100 पीस)

हांडी 80 रुपये से लेकर 300 रुपये तक (साइज के अनुसार) --------कोट------- कुल्हड़ की अच्छी बिक्री है। मटन-चिकन या खाना बनाने के लिए मिट्टी की हांडी की बिक्री भी पहले से बढ़ी है। दीपावली की तैयारी के लिए सभी परिवार वाले साथ मिल कर काम कर रहे हैं।

शांति देवी, कुम्हार, बोड़ेया सजावट के सामान की बिक्री अच्छी है। लोग काफी शौक से आते हैं खरीदारी करने। साथ ही इससे जुड़ी सारी खूबियों को हम बताते हैं तो ग्राहक विश्वास के साथ ले जाते हैं। ये सारा समान बंगाल से आता है।

- गीता देवी, कुम्हार, गेतलातू, केदल

---- हमलोग 55 वर्षों से ये काम कर रहे हैं। दीपावली के वक्त बिक्री बढ़ जाती है। पिछले वर्ष कारोबार ठंडा रहा था। इस वर्ष उम्मीद है कि अच्छी बिक्री होगी।

-किरण देवी, कुम्हार, गेतलातूू केडल

मुझे मिट्टी के बर्तन में बना मटन काफी पसंद है। मिट्टी के बर्तन में बने नॉनवेज बहुत स्वादिस्ट होता है। साथ ही इसमें गर्म किया हुआ दूध भी काफी पौष्टिक होता है।

- शुभम कुमार, छात्र आज-कल हर चाय की दुकान में कुल्हड़ का उपयोग हो रहा है। ये काफी अच्छी बात है। मिट्टी के बर्तन में बनी चाय को कुल्हड़ में पीने से एक अलग ही स्वाद मिलता है।

-शिवम, छात्र।


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